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हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का बदला नक्शा, लोगों को मिल रहा लाभ

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कोचाधामन प्रखंड के काशीबाड़ी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व बदलाव देखा है.

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किशनगंज. कोचाधामन प्रखंड के काशीबाड़ी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व बदलाव देखा है. कभी यह स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा था, जहां इलाज के लिए आने वाले लोगों को न केवल लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, बल्कि कई बार जरूरी सेवाएं भी उपलब्ध नहीं हो पाती थीं. आज यह केंद्र जिले के सबसे प्रभावशाली और सुविधा-संपन्न हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में से एक बन चुका है, जिसे राज्यस्तरीय निरीक्षण के बाद एनक्वास (राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक) प्रमाणीकरण प्रक्रिया में सम्मिलित किया गया है.

भूतकाल की चुनौतियां

जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि कभी काशीबाड़ी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थिति बेहद दयनीय थी. केंद्र तक पहुंचने के लिए स्थानीय लोगों को खराब और कच्ची सड़कों का सामना करना पड़ता था. स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और आधारभूत ढांचे की कमी के कारण यह क्षेत्र स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछड़ा हुआ था. गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था.

वर्तमान की उपलब्धियां

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ मुनाजिम ने बताया कि काशीबाड़ी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एक सफल और प्रेरणादायक उदाहरण बन चुका है. बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) की टीम ने 21 अक्टूबर, 2024 को इस केंद्र का दौरा किया और वहां के एनक्वास प्रमाणीकरण के लिए हो रहे कार्यों की समीक्षा की. टीम ने इस केंद्र में दी जा रही सेवाओं की गुणवत्ता की सराहना की और इसे राज्य स्तर पर एक मॉडल केंद्र के रूप में मान्यता दी.यहां अब नियमित रूप से गर्भवती महिलाओं की रक्त जांच, बीपी जांच और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं. एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत यहां विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के पोषण और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

स्थानीय प्रयासों की भूमिका

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि इस बदलाव में स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय मुखिया और जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. स्थानीय मुखिया के अथक प्रयासों से स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए मुख्य सड़क से संपर्क मार्ग का निर्माण कराया गया. यह संपर्क सड़क न केवल मरीजों के लिए बल्कि एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओं के लिए भी जीवनरेखा बन गई है.जिला प्रशासन ने सुनिश्चित किया कि स्वास्थ्य सेवाएं जिले के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे. इसके लिए सिफार द्वारा मीडियाकर्मियों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया गया. इस अभियान ने काशीबाड़ी क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने और नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया.

बीएमजीएफ टीम का योगदान और निरीक्षण

पीरामल स्वास्थ्य के जिला समन्वयक अश्वनी पटेल ने बताया कि बीएमजीएफ टीम ने अपने निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य केंद्र की सेवाओं की गुणवत्ता और एनक्वास प्रमाणीकरण प्रक्रिया की सराहना की. टीम ने इस केंद्र को जिले के लिए एक आदर्श बताया और वहां की सेवाओं को अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने की सिफारिश की.

जिले के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने की प्रतिबद्धता जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने यह सुनिश्चित किया कि जिले के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों तक भी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचे. मोबाइल मेडिकल वैन, नियमित स्वास्थ्य शिविर, और डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और प्रभावी बनाया गया है.

एक उज्ज्वल भविष्य की ओर

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि काशीबाड़ी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की यह यात्रा एक उदाहरण है कि समर्पण, सामुदायिक सहयोग, और प्रशासनिक इच्छाशक्ति से कैसे असंभव को संभव बनाया जा सकता है. एनक्वास प्रमाणीकरण प्रक्रिया के पूरा होने के बाद, यह केंद्र न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का प्रतीक बनेगा, बल्कि जिले के विकास और प्रगति का भी एक उदाहरण होगा.आज, यह सफलता न केवल स्थानीय समुदाय के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए प्रेरणा का स्रोत है. काशीबाड़ी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो बदलाव संभव है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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