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प्रखंडों में गैर-संचारी रोगों पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का आयोजन

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एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का आयोजन

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जागरूकता के साथ एनसीडी रोकथाम की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

किशनगंज

आज के दौर में जहां चिकित्सा जगत संक्रामक रोगों पर विजय पाने में काफी हद तक सफल हो चुका है. वहीं एक नई चुनौती हमारे स्वास्थ्य के लिए उभर रही है, गैर-संचारी रोग. यह एक ऐसा संकट है जो किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता, परंतु हमारी जीवनशैली, आदतों और अनदेखी के कारण कई गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आता है. उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे रोगों ने समाज में एक स्थायी स्थान बना लिया है, जिनका प्रभाव हर उम्र के व्यक्ति पर दिखाई देता है. इसी को ले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कोचाधामन में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, पहचान और प्रबंधन के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण के क्रम में बहादुरगंज में जिले के गैर संचारी रोग पदाधिकारी, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक की महत्वपूर्ण भूमिका रही. कार्यक्रम में गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य था कि स्वास्थ्य कर्मी से जुड़े मुद्दों को गहराई से समझ सकें और स्थानीय स्तर पर रोगियों की समय रहते पहचान करके उन्हें उचित उपचार प्रदान कर सकें. सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी और डाटा ऑपरेटरों ने इसमें भाग लिया और विभिन्न प्रकार के गैर-संचारी रोग जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर आदि की रोकथाम एवं उपचार के तरीकों पर चर्चा की.

गैर-संचारी रोगों की गंभीरता और रोकथाम के उपाय

पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि गैर-संचारी रोग, जिन्हें आमतौर पर एनसीडी कहा जाता है, वे बीमारियां हैं जो किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती. ये रोग जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, और कैंसर, दीर्घकालिक होते हैं और जीवनशैली से जुड़ी आदतों से भी प्रभावित होते हैं. इन रोगों का बढ़ता प्रभाव समाज में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है. सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि जागरूकता और समय पर इलाज के माध्यम से इन बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोग समय रहते नियंत्रित न किए जाने पर व्यक्ति की जीवनशैली और कार्यक्षमता पर गहरा असर डालते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अस्वास्थ्यकर भोजन, धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसे कारण इन बीमारियों के प्रमुख कारक हैं. डॉ कुमार ने एनसीडी की रोकथाम के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तंबाकू व अल्कोहल से दूरी बनाए रखने की सलाह दी.

प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूकता का संचार

पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया की प्रशिक्षण में सीएचओ और डाटा ऑपरेटरों को गैर-संचारी रोगों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने, सही जानकारी एकत्रित करने, और रोगियों को नियमित रूप से फॉलोअप करने की विधियां सिखाई गई. सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जागरूकता की कमी के कारण एनसीडी से पीड़ित कई लोग सही समय पर इलाज नहीं कर पाते, जिससे उनके स्वास्थ्य में जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं. इसलिए, इस प्रशिक्षण का उद्देश्य था कि स्वास्थ्यकर्मी जागरूकता का प्रसार करें और एनसीडी के बारे में समाज को शिक्षित करें ताकि लोग जीवनशैली में बदलाव कर इन रोगों से सुरक्षित रह सकें.

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका पर विशेष जोर

सिविल सर्जन ने जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को गैर-संचारी रोगों से जुड़े जोखिम और इसके बचाव के बारे में जागरूक करें. उन्होंने कहा कि नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और जीवनशैली में सुधार ही इस समस्या का समाधान है. इस कार्यक्रम से सभी स्वास्थ्यकर्मी एनसीडी कार्यक्रम के प्रति अधिक प्रतिबद्ध हुए और लोगों तक सही संदेश पहुंचाने के लिए प्रेरित हुए. इस कार्यक्रम के माध्यम से गैर-संचारी रोगों के बारे में जानकारी साझा करना और उनके प्रभाव को कम करने के उपाय बताना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो समाज को एक स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर करेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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