24.1 C
Ranchi
Saturday, February 15, 2025 | 11:20 am
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

30 जून को मनाये जाने वाले हुल दिवस की तैयारी पर बैठक में हुई चर्चा

Advertisement

30 जून को आदिवासी समुदाय द्वारा मनाए जाने वाला पर्व सिदो कान्हू हुल दिवस को मनाने के लिए राजेश किस्कू की अध्यक्षता में बैठक हुई.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पोठिया. 30 जून को आदिवासी समुदाय द्वारा मनाए जाने वाला पर्व सिदो कान्हू हुल दिवस को मनाने के लिए पोठिया मांडेर मांझी थान प्रांगण में एक आवश्यक बैठक आयोजित की गई.जिसकी अध्यक्षता राजेश किस्कू द्वारा की गई.बैठक में आगामी 30 जून को पोठिया चौक से सटे मांझी थान प्रांगण में हुल दिवस समारोह मनाने का निर्णय लिया गया.इस कार्यक्रम की सफलता को लेकर स्थानीय स्तर पर एक आदिवासी कमिटी गठित की गई.जिसमें सर्वसम्मति से राजेश किस्कू को अध्यक्ष,सुपल मुर्मू को उपाध्यक्ष व सिसुराम मरांडी को सचिव के रूप में सर्वसम्मति से चुना गया.

यह क्यों मनाया जाता है,ओर इसका इतिहास

हूल संथाली भाषा का शब्द है,जिसका मतलब होता है विद्रोह,30 जून,1855 को आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ पहली बार विद्रोह का बिगुल फूंका.इस दिन 400 गांवों के 50000 लोगों ने साहिबगंज के भोगनाडीह गांव पहुंचकर अंग्रेजों से आमने-सामने की जंग का एलान कर दिया.आदिवासी भाइयों सिद्धो-कान्हो और चांद-भैरव के नेतृत्व में तब संथालों ने मालगुजारी नहीं देने और अंग्रेज हमारी माटी छोड़ो का जोर-शोर से एलान किया.अंग्रेजों ने तब संथाल विद्रोहियों से घबराकर उनका दमन प्रारंभ किया.इसकी प्रतिक्रिया में आदिवासियों ने अंग्रेजी सरकार की ओर से आए जमींदारों और सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया.तब विद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं.चांद और भैरव को अंग्रेजों ने मार डाला.इसके बाद सिद्धो और कान्हो को भोगनाडीह में ही पेड़ से लटकाकर 26 जुलाई 1855 को फांसी दे दी गई.संथाल की माटी के इन्हीं शहीदों की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है.एक अंग्रेज इतिहासकार हंटर ने लिखा है कि इस महान क्रांति में लगभग 20000 आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया.हालांकि,संथालों के इस बलिदान पर कोई भी अंग्रेज सिपाही ऐसा नहीं मिला,जो शर्मिंदा न हुआ हो.जनवरी 1856 में जब हूल क्रांति समाप्त हुआ,तब इस इलाके को समेकित तौर पर संथाल परगना का नाम दिया गया.जिसका मुख्यालय दुमका बनाया गया.हूल क्रांति के 44 साल बाद वर्ष 1900 मे मैक पेरहांस कमेटी ने आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा के लिए एक बंदोबस्त अधिनियम बनाया.इसमें यह प्रावधान किया गया कि आदिवासी की जमीन,कोई दूसरा आदिवासी ही खरीद सकता है.खरीदने और बेचने वालों के घर एक ही इलाके में होना चाहिए.ओर यह नियम अब तक लागू है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें