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नाराज किसानों ने मंत्री के दरवाजे के बाहर की नारेबाजी

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भारत माला परियोजना के तहत बनाये जाने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण के मसले पर रविवार को बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो जमा खां ने किसानों से मुलाकात नहीं की. इसे लेकर नाराज किसानों ने मंत्री के घर के बाहर सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी.

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भभुआ. भारत माला परियोजना के तहत बनाये जाने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण के मसले पर रविवार को बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो जमा खां ने किसानों से मुलाकात नहीं की. इसे लेकर नाराज किसानों ने मंत्री के घर के बाहर सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी. इधर, इस संबंध में किसान संघर्ष मोर्चा के जिला सचिव पशुपतिनाथ सिंह पारस ने बताया कि वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में किये गये भूमि अधिग्रहण के मामले को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दूसरे चरण में 25 अगस्त से किये जाने वाले धरना व प्रदर्शन को लेकर मोर्चा ने पहले ही जिला प्रशासन को अवगत करा दिया था. मोर्चा के कार्यक्रम में स्थानीय मंत्री बिहार के मो जमा खां के आवास का घेराव और उनसे किसानों के पक्ष में समर्थन देने का बातचीत का भी एजेंडा शामिल था. इसकी सूचना मंत्री को भी दी गयी थी और उनके द्वारा 25 अगस्त को मिलने पर सहमति भी जतायी गयी थी. इस आलोक में किसान मंत्री से मिलने चैनपुर प्रखंड के नौघरा गांव में उनके दरवाजे पर पहुंचे थे. यहां मंत्री के दरवाजे के हॉल में किसानों को बैठाया गया और बताया गया कि मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं, थोड़ी देर में मिलेंगे. लेकिन, आधे घंटे बीतने के बाद फिर मंत्री से मिलने की सूचना भिजवायी गयी, तो फिर जवाब आया कि मंत्री अभी आधे घंटे बाद मिलेंगे. सचिव ने बताया कि आखिर इंतजार का धैर्य छूटने के बाद किसान उनके दरवाजे से बाहर निकल गये और किसान एकता जिंदाबाद, नीतीश सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी, जो किसान की बात करेगा वहीं देश पर राज करेगा आदि नारा लगाते हुए हमलोग निर्माण कंपनी के बेस कैंप पर वापस लौट गये. = उचित मुआवजा निर्धारण के बाद एक्सप्रेसवे निर्माण कराने की मांग कैमूर जिले में वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण में किये गये भूमि अधिग्रहण में किसानों को उचित मुआवजा की मांग पर केंद्र सरकार द्वारा हरी झंडी दे दी गयी है. राज्य सरकार की सहमति का इंतजार हो रहा है. इस संबंध में किसान संघर्ष मोर्चा के जिला सचिव पशुपतिनाथ सिंह पारस ने बताया कि सरकार द्वारा उचित मुआवजा नहीं दिये जाने को लेकर पूर्व में किसान मोर्चा द्वारा उचित मुआवजा निर्धारण को लेकर मध्यस्थ कोर्ट बहाल किया जाने तथा उचित मुआवजा के निर्धारण के बाद ही एक्सप्रेसवे निर्माण का काम शुरू कराये जाने की मांग की गयी थी. इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा मध्यस्थ कोर्ट बहाल किये जाने की अनुशंसा कर दी गयी है. इस अनुशंसा को बिहार सरकार के भूमि सुधार व राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल द्वारा अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के सचिव के पास भेजा गया है. इन्सेट मुआवजा के लिए किसानों ने फिर शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना भभुआ. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण में किये गये भूमि अधिग्रहण के उचित मुआवजे को लेकर किसानों द्वारा दूसरे चरण में एक्सप्रेसवे निर्माण कंपनी के बेस कैंप चैनपुर प्रखंड के मसोई में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया है. रविवार को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के आवास का घेराव करने और बातचीत करने मंत्री के आवास पर पहुंचे किसानों ने मंत्री के नहीं मिलने पर वहां से नाराजगी जताते हुए एक्सप्रेसवे निर्माण कंपनी के बेस कैंप पर पहुंच कर किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया. गौरतलब है कि कोलकाता-वाराणसी एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा कैमूर जिले के 93 मौजों का 1700 एकड़ किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है. लेकिन, अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा को लेकर पिछले दो साल से किसान धरना व प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि कीमती जमीन के बदले बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है. मोर्चा के जिला महासचिव पशुपतिनाथ सिंह ने बताया कि अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा को लेकर इस साल 78 दिन किसानों ने कैंप स्थल पर पूर्व में धरना दिया था. बाद में आचार संहिता को ले डीएम के अनुरोध पर यह धरना स्थगित कर दिया गया था और किसानों को लगा था कि सरकार उनके बातों पर विचार कर बढ़े रेट पर किसानों को भूमि का मुआवजा प्रदान करायेगी. लेकिन, ऐसा कुछ हुआ नहीं. इसके बाद फिर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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