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बोरिंग फेल होने से जिले में 55 नल जल योजनाएं ठप

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रकार के सात निश्चय में शामिल हर घर नल का जल योजना के जिले में 55 योजनाएं बोरिंग फेल होने के कारण बंद हैं. बोरिंग फेल होने वाली सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायती राज विभाग के माध्यम से कराया गया था.

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भभुआ. सरकार के सात निश्चय में शामिल हर घर नल का जल योजना के जिले में 55 योजनाएं बोरिंग फेल होने के कारण बंद हैं. बोरिंग फेल होने वाली सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायती राज विभाग के माध्यम से कराया गया था. गौरतलब है कि सरकार की नल जल योजनाओं का क्रियान्वयन आरंभिक जिम्मेदारी नगर विकास विभाग, पंचायती राज विभाग तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को सौंपा गया था. इस पर पिछले कुछ वर्षों से इन तीनों विभागों द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में सरकार की नल जल योजना का क्रियान्वयन कराया गया है. इधर, पंचायती राज विभाग के माध्यम से आरंभ कराया गया था. नल जल योजना का काम कराने के लिए सभी वार्डों में वार्ड क्रियान्वयन व प्रबंधन समिति का गठन कराया गया था. इनके माध्यम से वार्डों में नल जल योजना का काम आरंभ तो हुआ, लेकिन, समिति के माध्यम से कराये जाने वाले कामों में घटिया सामग्री, खराब गुणवत्ता की टंकी या पाइप, मानक के अनुसार जमीन में पाइप नहीं डाले जाने आदि की जब ढेरों शिकायतें सरकार के पास पहुंचने लगी, तो सरकार ने पंचायती राज विभाग की योजनाओं को लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग के जिम्मे लगा दिया. इधर, इस संबंध में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल कैमूर के कार्यपालक अभियंता रवि प्रकाश ने बताया कि वर्तमान में जिले के 55 नल जल योजनाओं की बोरिंग फेल होने से योजनाओं का क्रियान्वयन बाधित हुआ है. हालांकि, फेल बोरिंग को साफ कर गहरा करने का काम आरंभ करा दिया गया है. लेकिन, योजनाओं को चालू करने में कुछ समय लगेगा. उन्होंने बताया कि बोरिंग फेल वाली सभी योजनाएं पंचायती राज विभाग के माध्यम से करायी गयी बोरिंग वाली है. इन योजनाओं में कम बोरिंग कराने के कारण और पानी का लेयर भाग जाने से इस तरह की परेशानी पैदा हुई है. उन्होंने बताया कि पीएचइडी विभाग द्वारा नल जल योजनाओं की बोरिंग वर्तमान में कहीं फेल नहीं है. बोरिंग फेल होने वाले ये 55 योजनाएं जिले के पहाड़ी क्षेत्र की नहीं बल्कि मैदानी क्षेत्र जैसे कुदरा, मोहनियां आदि प्रखंडों में चलायी जा रही थी. सरकार के सात निश्चय में शामिल हर घर नल जल योजना का क्रियान्वयन जब पंचायती राज विभाग द्वारा सफलता के साथ संचालित नहीं होने की शिकायत के बाद सरकार के निर्देश पर कुल 1010 वार्डों के 1060 ऐसी योजनाएं जिनका क्रियान्वयन आरंभ नहीं हुआ था, उनका हस्तांतरण लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग को करने के निर्देश दिया गया था. जबकि, इसके पूर्व जिले के पहाड़ी प्रखंड अधौरा ओर फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में नल जल योजना का काम पहले से ही लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग द्वारा कराया जा रहा था. मिलाजुला कर वर्तमान लोक स्वास्थ्य प्रमंडल कैमूर जिले के कुल 1834 वार्डों के 2074 नल जल योजनाओं की मानीटरिंग कर रहा है. इन्सेट 1 कई घरों को नहीं मिल रहा योजना का पानी भभुआ. सरकार की नल जल योजना में सभी घरों को नल के जल का पानी पहुंचाने का लक्ष्य तो रखा गया है. लेकिन लगभग पांच-छह साल पहले शुरू इस योजना के बाद भी अभी कई घरों का नल जल योजना का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. कहीं नल जल योजना लगने के बाद पाइप फटने, टंकी खराब होने, मोटर खराब होने या फिर बहुत घरों तक कनेक्शन नहीं दिये जाने, तो कहीं बिजली सप्लाई नहीं होने के कारण कई घरों को अभी भी पानी नहीं मिल रहा है. इसकी शिकायत जिला प्रशासन तक लगातार ग्रामीणों द्वारा किया भी जाता है. उदाहरण के लिए सितंबर माह पर ही नजर डालें तो दुर्गावती प्रखंड की सावठ पंचायत के वार्ड सात में लगे नल- जल का पानी इस वार्ड के लोगों को लगभग डेढ़ माह से नहीं मिल रहा था. इसी तरह कुदरा प्रखंड की डेरवा पंचायत वार्ड नंबर एक के गोरा गांव और देवकली में भी लोगों का नल जल योजना का पानी नहीं मिल रहा था. मोहनिया की उसरी पंचायत के भदवलिया गांव तथा भभुआ की रूपुर पंचायत के वार्ड 11 में भी नल जल योजना ठप पड़ी थी. हालांकि, नल जल योजना का पानी पहुंचाने का काम बड़े स्तर पर हुआ है और इसका लाभ भी बहुसंख्यक लोगों तक पहुंच रहा है. इन्सेट 2 नल जल योजना जनप्रतिनिधियों की कमाई का जरिया भभुआ. नल जल योजना जनप्रतिनिधियों की कमाई का जरिया है. जनता को नहीं मिलता है योजना का पानी. यह टिप्पणी जून 2023 में सरकारी हुक्मरान तत्कालीन बीडीओ प्रखंड भभुआ मनोज जयसवाल की थी. जब उन्होंने सभी मुखिया, वार्ड समिति के अध्यक्ष, सचिव तथा पंस को पत्र जारी कर योजना के खर्च का ब्योरा मांगा था. पत्र में कहा गया था कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान ग्रामीणों द्वारा बताया गया है कि नल जल योजना का पानी दो से लेकर तीन बार मरम्मत कराने के बाद भी स्वच्छ तथा सुचारू रूप से उन्हें नहीं मिल रहा है. जनता को आर्सेनिक वाले चापाकल पानी को ही पीना पड़ रहा है. 15वें वित्त आयोग की साइट से यह पता चलता है कि मरम्मत के नाम पर आवश्यकता से अधिक खर्च किया गया है. पत्र में कहा गया था कि सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना में आपके द्वारा रूचि नहीं ली गयी है. बल्कि इस योजना को कमाई का जरिया बनाया गया है. नल जल योजना में मरम्मत के नाम पर आपलोगों द्वारा आवश्यकता से अधिक कहीं दो लाख, तो कहीं नौ लाख रुपये की निकासी की गयी है. कई जगह वार्ड क्रियान्वयन प्रबंधन समिति द्वारा, तो कई जगह मुखिया, पंचायत सचिव तथा तकनीकी सहायक की मिलीभगत से राशि निकासी की गयी है. बावजूद इसके नल जल योजना सुचारू रूप से नहीं चल रही है.

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