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झारखंड के CM सोरेन बोले- बिहार के लोग साजिश के तहत राज्य हित की नीतियों को ले जाते हैं कोर्ट, जानें मामला

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नियोजन नीति को लेकर कहा कि बिहार-यूपी के लोग साजिश के तहत झारखंडी हित में बनी नीतियों को न्यायालय में ले जाते हैं. नियोजन को लेकर सरकार गंभीर है. यह पहला मौका नहीं है, जब हाइकोर्ट से नियोजन नीति रद्द हुई है.

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रांची (पटना): झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नियोजन नीति पर सदन में अपनी बातें रखते हुए कहा कि बिहार-यूपी के लोग साजिश के तहत झारखंडी हित में बनी नीतियों को न्यायालय में ले जाते हैं. नियोजन को लेकर सरकार गंभीर है. यह पहला मौका नहीं है, जब हाइकोर्ट से नियोजन नीति रद्द हुई है. तीसरी बार नियोजन नीति रद्द हुई है.

‘रघुवर दास सरकार में भी बनी थी नियोजन नीति’

रघुवर दास सरकार में भी जो नियोजन नीति बनी थी, वह भी रद्द हुई थी. कार्यपालिका द्वारा तीन-तीन बार बनायी गयी नीतियों को हाइकोर्ट द्वारा खारिज किया गया है. यह दुर्भाग्य की बात है. हाइकोर्ट में एक आदिवासी युवक को आगे कर 20 लोग याचिका दायर कराते हैं. इसमें 19 लोग बिहार-यूपी के रहते हैं. वह शिकायतकर्ता बनते हैं. यह षड्यंत्र है. इस साजिश को समझने की जरूरत है.

‘आदिवासी-मूलवासी को मिले रोजगार, उसके लिए कर रहे काम’

झारखंड के सीएम ने आगे कहा कि इसी समस्या से निबटने के लिए स्थानीय नीति और आरक्षण विधेयक जो सदन से पारित हुआ है. इसे नौवीं अनुसूची में जोड़ कर सुरक्षा कवच पहनाना चाहते हैं, ताकि यहां के आदिवासी-मूलवासी को रोजगार मिल सके. उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा में राज्यपाल के यहां जाने पर चर्चा हुई थी. इसको लेकर पार्टियों से पत्राचार भी किया गया है. विपक्ष भी कार्यमंत्रणा में सहमत था, लेकिन रातभर में क्या खिचड़ी पक गयी, मुझे नहीं मालूम. विपक्ष ने भी 1932 के खतियान आधारित नीति व ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का समर्थन किया था. इसे लेकर राज्यपाल से मिलेंगे, ताकि यहां के युवाओं का भविष्य बेहतर बन सके.

‘नियोजन नीति को लेकर युवा चिंता नहीं करें’

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में कही अपनी बातें दोहराते हुए कहा कि यहां के नौजवानों का यह दुर्भाग्य है, कि वह थर्ड और फोर्थ ग्रेड में भी रोजगार पाने में असफल हो रहे हैं. सीएम ने कहा कि अभी जो नीति रद्द की गयी है, हमें इस बात का अंदेशा था. पूर्व के उदाहरण को ध्यान में रखकर हमलोग आगे बढ़ रहे थे. पर राज्य में कुछ ऐसी षड्यंत्रकारी शक्तियां हैं, जो येन केन प्रकारेण झारखंड के आदिवासी-मूलवासी के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है.

झारखंड की नियोजन नीति से दूसरे राज्य के युवाओं को हो रहा दर्द

आपको आश्चर्य होगा कि हाइकोर्ट में जिन लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी, उन 20 शिकायतकर्ता में से 19 लोग दूसरे राज्यों से संबंध रखते हैं. दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड की नियोजन नीति से दूसरे राज्य के नौजवानों को तकलीफ हो रही है. मुख्यमंत्री ने झारखंड के युवाओं से कहा है कि वे नियोजन नीति को लेकर चिंता नहीं करें. सात लाख बच्चों ने इस नियोजन नीति के तहत आवेदन भरा था. वे मायूस हैं. नियुक्तियों को लेकर हमलोग वैकल्पिक व्यवस्था करने में लगे हैं.

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