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मसालों और सब्जियों के बढ़े दाम ने बिगाड़ा घर की रसोई का बजट

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जीरा और लहसुन के बाद अब प्याज की कीमत में आग लगनी शुरू हो गयी है. कुछ दिन पहले जहां अच्छी क्वालिटी का प्याज 30 रुपये केजी मिल रहा था, वहीं आज उसकी कीमत 50 रुपये प्रति केजी हो गयी है.

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जहानाबाद.

जीरा और लहसुन के बाद अब प्याज की कीमत में आग लगनी शुरू हो गयी है. कुछ दिन पहले जहां अच्छी क्वालिटी का प्याज 30 रुपये केजी मिल रहा था, वहीं आज उसकी कीमत 50 रुपये प्रति केजी हो गयी है. घटिया क्वालिटी का प्याज भी 40 रुपये केजी से काम नहीं है. डेढ़ माह पहले यही प्याज 20 रुपये केजी बिक रहा था. मुर्ग-मुसल्लम और सब्जियों को जायकेदार बनाने वाला प्याज अब लोगों के मुंह का स्वाद बिगाड़ने पर तुला है. प्याज व्यवसायी बताते हैं कि एक पखवारे से प्याज की कीमत में हर दो दिन में उछाल देखा जा रहा है. इससे ऐसा लगता है कि कहीं लहसुन और जीरे की तरह प्याज भी लोगों को रूलाने न लगे. ज्ञात हो कि पहले 200 रूपये केजी बिकने वाले जीरे की कीमत 800 रुपये केजी तक पहुंच गयी थी. फिलहाल अभी वर्तमान में जीरे की कीमत 400 रुपये केजी चल रही है. प्याज की बढ़ती कीमत के बारे में अभी तक कोई कुछ नहीं बता रहा है.

लहसुन की कीमत भी आसमान पर :

लहसुन की कीमत भी इन दिनों आसमान पर है. पिछले साल जहां अच्छी क्वालिटी का लहसुन 30-40 रुपये केजी बिक रहा था, वहीं लहसुन आज 150 से 200 रुपये प्रति केजी बिक रहा है. नई फसल आने के बाद इसमें गिरावट देखने को नहीं मिल रही है. लहसुन की फसल राजस्थान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है. पिछले साल लहसुन की कीमत इतनी कम थी. लहसुन उगाने वाले किसानों को घर से घाटा उठाना पड़ा. उनकी लहसुन कौड़ियों की कीमत में बेची गई. पिछले साल जहानाबाद में सबसे अच्छे लहसुन की खुदरा कीमत 30 रुपये प्रति केजी तक गिर गयी थी. ऐसे में वहां राजस्थान के किसानों को लहसुन की फसल के चंद रुपए मिले थे. इसी कारण इस वर्ष बहुत सारे किसानों ने लहसुन की फसल बोयी ही नहीं. पिछले सीजन में राजस्थान के लहसुन उत्पादन करने वाले किसानों को भारी घाटे का सामना करना पड़ा था. लहसुन के साथ अब प्याज की कीमत में भी उछाल आने से गृहणियों को रसोई का बजट बनाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोई भी सब्जी बगैर प्याज और लहसुन के नहीं बनायी जा सकती. वहीं नॉनवेज के लिए तो प्याज और लहसुन दोनों उसकी जान होते हैं.

सब्जी का स्वाद बढ़ाने वाली आदी भी हुई महंगी :

सब्जी से लेकर मुर्ग-मुसल्लम तक का स्वाद बहाने वाली आदि भी इन दिनों काफी हो चुकी है. छह माह पहले जो आदी 50 से 60 रूपये केजी मिल रही थी, वहीं इस समय इसकी कीमत 200 रुपये प्रति केजी है जिसके कारण आम लोगों की के घर में बनने वाली सब्जियों आदी का डाला जाना बंद हो गया है. वहीं चिकन और मुर्ग-मुसल्लम के लिए यह जरूरी आइटम खरीदने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं. बताया जाता है कि आदी बेंगलुरु से आती है. हालांकि नई आदि की फसल भी बाजार में आने के बावजूद इसकी कच्ची आदि की कीमत कम थी लेकिन जैसे ही आदि पक कर स्टोर करने लायक हो गई तो उसकी कीमत बढ़ गयी है.

आलू की कीमत भी बढ़ी :

मसाले और लहसुन-प्याज के साथ-साथ आलू की कीमत में भी तेजी दर्ज की गयी है. बाजार में आलू की नई फसल भी कोल्ड स्टोरेज में स्टोर की जा चुकी है जिसके कारण इसके भाव में तेजी देखी जा रही है. नया आलू निकलने के समय 40 से 50 रुपये प्रति पांच केजी बिक रहा था. एक माह पहले ही आलू की कीमत 80 रुपये पांच केजी थी. जो अब बढ़ कर 150 से 180 रुपये में 5 केजी आ रहा है. आलू हर सब्जी की जान है. ज्यादातर सब्जियों में आलू के मिलावट के बाद ही सब्जियां बनायी जाती हैं. इसकी कीमत में तेजी से भी गृहणियां खासी परेशान हैं.

टमाटर की कीमत में उछाल :

टमाटर एक बार फिर आम लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है. एक डेढ़ माह पहले जहां 20 से 30 रुपये केजी टमाटर मिल रहा था, वहीं अब इसकी कीमत 80 रुपये प्रति केजी तक पहुंच गयी है, जिसके कारण गरीब तो गरीब मध्यम वर्ग के लिए भी टमाटर खाना मुश्किल होता जा रहा है. पिछले ही साल टमाटर की कीमत 200 रुपये केजी तक पहुंच गयी थी. ऐसे में मध्यम वर्ग के घरों के साथ-साथ इन दिनों साधारण होटल में भी सलाद में टमाटर और प्याज नहीं मिल रहा है. सब्जियों में भी टमाटर और प्याज गृहणियां अब सोंच-समझ कर इस्तेमाल कर रही हैं. सलाद के साथ-साथ टमाटर की चटनी भी खाना लोग भूलने लगे हैं.

मसाले, दाल और सब्जियों की बढ़ी कीमत ने रसोई का बजट बिगाड़ा :

मसाले, दाल और सब्जियों की बढ़ती हुई कीमत ने हर घर की रसोई का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. गृहणियां परेशान हैं, वह जब भी वह बाजार जाती हैं तब वहां किसी न किसी चीज की कीमत बढ़ी हुई मिलती है. ऐसे में घर से सामान का लिस्ट कुछ और तैयार करती हैं तो उन्हें खरीद कर कुछ और ही आना पड़ता है. अगर पहले से तय लिस्ट के अनुसार खरीदारी करती हैं तो मात्रा घटाने पड़ती है. पहले जीरा फिर अरहर दाल उसके बाद लहसुन और आदि फिर अब प्याज की कीमत आसमान पर पहुंच गई है. बहुत सारी रसोई से अदरक, काली मिर्च, जीरा और अरहर दाल की गायब हो चुकी है. फिलहाल यह चारों आइटम इन दिनों जरूरी न होकर संपन्नता की निशानी बनी हुई है. इन दिनों मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इन्हें अपनी रसोई में शामिल करना उनके बूते के बाहर हो रहा है. उसके लिए उन्हें स्वाद से भी समझौता करना पड़ रहा है. जीरा हर सब्जी और दाल में तड़का लगाने की जरूरी आइटम है किंतु इन दिनों जीरा 400 रुपये तो अरहर दाल 200 रुपये केजी मिल रहा है. जबकि चना और मसूर दाल भी 90 रुपये केजी हो चुका है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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