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Gopalganj News : सरसों की खेती के प्रति जिले के किसानों का तेजी से बढ़ रहा रुझान, कृषि विभाग ने चार सौ एकड़ में सरसों के लिए बीज किया आवंटित

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Gopalganj News : सरसों जिले के किसानों की अब नयी पसंदीदा फसल बन गयी है. जिले में किसानों ने सरसों का रकबा पिछले कुछ सालों के मुकाबले दो गुना तक बढ़ाया है.

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गोपालगंज. सरसों जिले के किसानों की अब नयी पसंदीदा फसल बन गयी है. जिले में किसानों ने सरसों का रकबा पिछले कुछ सालों के मुकाबले दो गुना तक बढ़ाया है. सरसों का रकबा बढ़ने से गेहूं का रकबा इस बार कम रहेगा. सरसों की फसल किसानों को अच्छी आमदनी देगी. जिले के किसान पहले केवल अपनी जरूरतों के हिसाब से ही सरसों की फसल बोते थे. सरसों का रकबा लगभग पांच सौ हेक्टेयर तक रहता था, लेकिन इस बार रकबा एक हजार हेक्टेयर से अधिक होने के आसार हैं. वहीं कृषि विभाग की ओर से चार एकड़ में सरसों की खेती करने का लक्ष्य रख गया है. उसी के हिसाब से बीज भी किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे है. कृषि विभाग के द्वारा सरसों की फसल का लक्ष्य को नहीं बढ़ाया गया है. प्रखंडों में किसानों को बांटा जा रहा बीज सोमवार को किसानों के बीच बीज के वितरण का शुभारंभ किया गया. सदर प्रखंड में आत्मा की उप परियोजना निदेशक रेणु कुमारी ने किसानों को बीज देकर इस योजना की शुरुआत कर दी. अगले 15 नवंबर तक जिले में कैंप लगाकर बीज वितरण का कार्य होगा. इस योजना में 80 प्रतिशत के अनुदान पर किसानों को बीज मिलेगा. जो पहले आयेंगे, उनको पहले बीज मिलेगा. बीज का स्टॉक खत्म होने के साथ ही वितरण भी बंद हो जायेगा. बीज लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर ओटीपी लेकर कैंप में आना होगा. कृषि के विशेषज्ञ डॉ आरके त्रिपाठी ने बताया कि एक बीघा जमीन पर गेहूं पर ये लागत छह हजार 480 और सरसों में केवल 1200 रुपये आती है. एक बीघा जमीन से चार क्विंटल गेहूं और एक क्विंटल पीली सरसों निकलती है. चार क्विंटल गेहूं दो हजार रुपये प्रति क्विंटल के दाम से आठ हजार रुपये तक का बिकता है, जबकि पीली सरसों इस समय नौ हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. यानी एक बीघा गेहूं से केवल डेढ़ हजार रुपये तक की ही आमदनी होगी, जबकि सरसों से साढ़े सात हजार रुपये तक बच जायेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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