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एक जुलाई के बाद मॉब लिंचिंग के अपराध में अब होगी मौत की सजा

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अगले माह से पुलिस का पूरा जांच सिस्टम बदला हुआ नजर आयेगा. जापान के तर्ज पर गोपालगंज पुलिस भी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों पर जांच करेगी. अब कम से कम सात साल की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थलों पर साक्ष्य एकत्र करें और रिकॉर्ड करें.

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गोपालगंज. अगले माह से पुलिस का पूरा जांच सिस्टम बदला हुआ नजर आयेगा. जापान के तर्ज पर गोपालगंज पुलिस भी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों पर जांच करेगी. अब कम से कम सात साल की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थलों पर साक्ष्य एकत्र करें और रिकॉर्ड करें. यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा नहीं है, तो उसे दूसरे राज्य में सुविधा का उपयोग करना होगा. नया कानून के लागू होने के बाद मॉब लिंचिंग में हत्या से जुड़े मामले में बदलाव होगा. जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो इस मामले में मृत्युदंड या आजीवन कारावास के साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. नये कानून का प्रशिक्षण भी गोपालगंज पुलिस को दिया जा चुका है. जानकार पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, 1872 का स्थान लेगा. अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मेसेज को शामिल किया गया है. केस डायरी, एफआइआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जायेगा. इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगा. रेप पीड़ितों की जांच करने वाले चिकित्सकों को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट जांच अधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी. बहस के पूरा होने के 30 दिनों के भीतर कोर्ट की ओर से निर्णय सुनाया जाना चाहिए, जिसे 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है. पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में सूचित किया जाना चाहिए. वहीं, संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध और व्यक्तियों, ड्रग्स, हथियारों या अवैध वस्तुओं या सेवाओं की तस्करी को लेकर कड़े कानून बनाये गये हैं. वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी, संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्यों के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से मिलकर काम करने वाले व्यक्तियों या समूहों द्वारा की जाती है, उन्हें कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भौतिक लाभ के लिए हिंसा, धमकी, डराने-धमकाने, जबरदस्ती या अन्य गैरकानूनी तरीकों से किये गये इन अपराधों को कड़ी सजा दी जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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