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बिहार में आंगनबाड़ी से जुड़ी लड़कियों को मिलेगा स्किल डेवल्पमेंट की ट्रेनिंग, ईंट-भट्ठों पर बनेगा पालनाघर

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सरकार की ओर से ताजा कार्यक्रम के तहत महिलाओं और लड़कियों के लिए कुछ योजनाएं शुरू की जा रही हैं. इन योजनाओं के तहत आंगनबाड़ी से जुड़ी 14 से 18 साल की लड़कियों को जनवरी से खेल-कूद एवं स्किल डेवल्पमेंट की ट्रेनिंग मिलेगी, ताकि वह सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से फिट रहें.

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पटना. बिहार सरकार ने महिलाओं और लड़कियों के लिए पिछले एक दशक में बहुत कुछ किया और बहुत कुछ करने की योजना है. सरकार की ओर से ताजा कार्यक्रम के तहत महिलाओं और लड़कियों के लिए कुछ योजनाएं शुरू की जा रही हैं. इन योजनाओं के तहत आंगनबाड़ी से जुड़ी 14 से 18 साल की लड़कियों को जनवरी से खेल-कूद एवं स्किल डेवल्पमेंट की ट्रेनिंग मिलेगी, ताकि वह सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से फिट रहें. वहीं श्रम संसाधन विभाग ने राज्य भर के ईंट भट्ठों पर काम करने वाले श्रमिकों के छह साल से कम उम्र के बच्चों के पालन घर खोलने का निर्णय लिया है. जहां प्री-स्कूलिंग की व्यवस्था रहेगी.

श्रम संसाधन और कला संस्कृति विभाग के सहयोग से मिलेगी ट्रेनिंग

आंगनबाड़ी से जुड़ी 14 से 18 साल की लड़कियों के लिए खेल-कूद एवं स्किल डेवल्पमेंट की ट्रेनिंग देने के पहले चरण में योजना का लाभ अररिया, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, गया, जमुई, नवादा, कटिहार, खगड़िया, पूर्णिया, शेखपुरा की लाभुकों को मिलेगा. समाज कल्याण विभाग ने इस योजना का लाभ लड़कियों को नियमित दिलाने के लिए सभी जिलों के अधिकारियों को दिशा – निर्देश दिया है, ताकि इससे लड़कियों का भविष्य बेहतर हो सकें. बालिका योजना के तहत श्रम संसाधन और कला -संस्कृति विभाग के सहयोग से ट्रेनिंग दी जायेगी, ताकि लाभुक लड़कियों को सिलाई एवं अन्य तकनीकों का स्किल बढ़ाया जा सके. वहीं, खेल- कूद के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए भी विभाग के स्तर पर अधिकारी काम करेंगे.

रोजगार संबंधित दी जायेगी ट्रेनिंग

दोनों विभाग के माध्यम से होने वाली ट्रेनिंग का लाभ लड़कियों को कितना मिल रहा है. इसकी समीक्षा हर माह होगा , ताकि लड़कियों को योजना का पूर्ण लाभ मिल सके. अधिकारियों के मुताबिक समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी दोनों विभाग के साथ समन्वय स्थापित करेंगे. लड़कियों को रोजगार संबंधित ट्रेनिंग दी जायेगी, जिसका लाभ भविष्य में उनको मिल सके और आर्थिक रूप से भी वह खुद के पैरों पर खड़ा हो सकें. वहीं, कौशल प्रशिक्षण से भी उन्हें जोड़ा जायेगा, ताकि उनकी हिंदी, इंग्लिश और कंप्यूटर की जानकारी मिल सके.

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ईंट-भट्ठों पर प्री स्कूलिंग की रहेगी व्यवस्था

श्रम संसाधन विभाग ने राज्य भर के ईंट भट्ठों पर काम करने वाले श्रमिकों के छह साल से कम उम्र के बच्चों के पालन घर खोलने का निर्णय लिया है. जहां प्री-स्कूलिंग की व्यवस्था रहेगी.विभाग ने बैठक के बाद इसके योजना के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.योजना बनाने में स्वास्थ्य व समाज कल्याण विभाग के अलावे अन्य विभागों को जोड़ा जायेगा.

डे केयर की सुविधाएं मिलेगी

विभागीय अधिकारियों के अनुसार क्रेच बनाने का उद्देश्य यह है कि ईंट – भट्ठों पर माताओं व उनके बच्चों को डे-केयर सुविधा मिल सके. वहीं, बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य (स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण) की स्थिति में सुधार करना है.योजना का उदेश्य तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए प्री-स्कूल शिक्षा, बच्चों की शारीरिक,सामाजिक और भावनात्मक विकास (समग्र) विकास को बढ़ाना है.

स्वास्थ्य केंद्र से लिया जायेगा सहयोग

विभाग के मुताबिक क्रेच में टीकाकरण, पोलियो दवा आदि के लिए नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र,सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र और उसके कार्यकर्ताओं से टाइअप होगा. इसके अलावा गंभीर बीमारी के मामले में बच्चों को निजी अस्पताल में ले जाने की व्यवस्था की जायेगी. क्रेच के प्रभावी संचालन एवं इसके कामकाज की निगरानी के लिए प्रशिक्षित सहायक नियोजकों की सहायता ली जायेगी. इसके लिए बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से सहयोग लेने का निर्णय लिया गया है.

हर एक पालनाघर से जुड़ेंगी आशा

अधिकारियों के मुताबिक हरेक क्रेच से एक आशा कार्यकर्ता जुड़ेंगी. क्रेच में आने वाले बच्चों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम का देख-रेख करने की जिम्मेदारी इन्हीं आशा कार्यकर्ताओं की रहेगी.बच्चों को टेक होम राशन व नियमित टीकाकरण सेवाओं सहित प्रारंभिक बाल देखभाल सेवाओं से भी जोड़ा जायेगा.

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