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‍Bihar weather: गया में गर्मी व तपिश का कहर, सूखने लगे ताल-तलैया व नदियां, महिलाएं माथे पर ढो रही पानी

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बिहार के गया शहर में कड़ी धूप व तपिश का कहर अगर और बरपा, तो जलस्तर और नीचे खिसकेगा. इससे शहरी क्षेत्रों में भी जल संकट पैदा हो सकता है.

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Bihar weather बिहार का गया पहाड़ियों व बरसाती नदियों से घिरा जिला है. इसकी वजह से यहां गर्मी के दिनों में हर वर्ष पानी की किल्लत से जन-जीवन को रू-ब-रू होना पड़ता है. कभी-कभी तो स्थिति काफी भयावह हो जाती है. पीएचइडी के अभियंता की मानें, तो गर्मी के शुरुआती दौर में आमतौर पर सामान्य से तीन फुट व पहाड़ की तलहट्टी में बसे गांवों में सामान्य से लगभग पांच फुट पानी के लेयर नीचे चला गया है.

कड़ी धूप व तपिश का कहर

अगर, कड़ी धूप व तपिश का कहर और बरपा, तो जलस्तर और नीचे खिसकेगा. इससे जल संकट पैदा होगा. जिले की सभी नदियां आसपास की पहाड़ियों से निकले होने की वजह से सभी बरसाती हैं. अप्रैल के शुरुआती समय से ही सभी नदियां सूख गयी हैं. सभी ताल-तलैये, सरोवर, आहर, पोखर यानी जलस्रोत सूख गये हैं. यू कह लें कि गया का हलक सूख रहा है. पीएचइडी के माध्यम से चापाकल रिपेयर दल निकल चुका है, जो गांव, टोले, मुहल्ले में जाकर लगे चापाकलों की मरम्मत में लगा है.

पानी का संकट

लेकिन, नदी, पोखर, सरोवर, आदि जलस्रोतों के सूखने से जिस कदर तेजी से जलस्तर खिसक रहा है, इससे संकट और गहराने वाला है. पीने के पानी के साथ मवेशियों के स्नान कराने व पानी पिलाने की समस्या आ जायेगी. पानी की तलाश में जंगली पशु व पक्षी कहीं और चले गये हैं. अब वे नजर नहीं आ रहे हैं. इन क्षेत्रों में पानी का टैंकर पहुंचाना भी मुश्किल है.

महिलाएं माथे पर पानी ढोकर ला रही हैं

सुदूर गांवों की महिलाएं दूसरे-दूसरे गांवों में जाकर माथे पर बसना लेकर पानी ढोकर ला रही हैं, तब जाकर घर में चूल्हा-चौका हो रहा है. हालांकि, अभी शहर की स्थिति लगभग ठीक हैै. लेकिन, यहां भी जलस्तर तेजी से नीचे की ओर खिसक रहा है. वैसे डीएम डॉ त्यागराजन जल संकट के मद्देनजर कई बैठकें कर हिदायत दे रहे हैं. कहीं कोई दिक्कत न होने पाये, जहां भी ऐसी सूचना मिले, जाकर मुआयना कर वहां टैंकर से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है.

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