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बिहार में मानसून की मार से किसानों में मची हाहाकार, पंप सेट चलाकर धान की रोपनी करने को विवश हुए अन्नदाता

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Bihar weather: आषाढ़ का महीना बीतने को है. लेकिन, मानसून की दगाबाजी ने किसानों को संकट में डाल दिया है. किसान जैसे-तैसे पंप सेट चलाकर धान की रोपनी करने को विवश हैं. पानी की कमी से धान के फसल पिले पड़ने लगे हैं. खेतों में धूल उड़ रहे हैं. बहुत से किसानों ने अब तक खेत में बिचड़ा भी नहीं डाल पाया.

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पश्चिम चंपारण. आषाढ़ का महीना बीतने को है. लेकिन मानसून की दगाबाजी ने किसानों को संकट में डाल दिया है. बारिश के अभाव में जहां पटवन कर खेती की गयी है. वहां धान के फसल पिले पड़ने लगे हैं. बिहार में बारिश नहीं होने से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. खेतों में धूल उड़ रहे हैं. अगर धान की बुआई की बात करें तो नरकटियागंज अनुमंडल के पांचों प्रखंड क्रमश: नरकटियागंज, गौनाहा, लौरिया, सिकटा और मैनाटाड़ में हजारों हेक्टेयर खेत में धान की बोआई बारिश के अभाव में नहीं हो पायी है.

किसान पंप सेट चलाकर धान की रोपनी करने को विवश

किसान जैसे-तैसे पंप सेट चलाकर धान की रोपनी करने को विवश हैं. राजपुर मठिया के किसान बालचंद्र मिश्र, अखिलेश मिश्र, मोहर यादव, मटियरिया के किसान दीपू मणि तिवारी, सुविंजय कुमार, रंजन ओझा समेत अन्य किसानों ने बताया कि उन्होंने किसी प्रकार पंप सेट से पटवन करवाकर धान की रोपनी कर ली. लेकिन अब खेतों में दरार पड़ने लगी है. वे करें तो क्या करें. बता दें कि समय से पूर्व मानसून की दस्तक से किसानों में खुशी थी. लेकिन आषाढ़ महीना बीतने की ओर है और मानसून रूठ गया है. बूंद बूंद पानी के लिए किसान तरस रहे हैं और पानी है कि आसमान से नहीं बल्कि जमीन के अंदर से निकालने की विवशता हर तरफ दिख रही है.

एक बीघा खेत में लग रहा साठ लीटर डीजल

किसानों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिन खेतों में धान की बुआई की जा रही है. उन्हें जलने से बचाने के लिए दुबारा पटवन कराना पड़ रहा है. भुसरारी के किसान हेमेंद्र तिवारी बताते हैं कि उन्होंने एक बीघा खेत में पंप सेट से पटवन कराया. खेत में 30 लीटर डीजल लगा. जबकि एक सप्ताह के अंदर ही उसी खेत में दुबारा पटवन कराना पड़ा. उन्होंने बताया कि एक बीघा खेत में एक सप्ताह के अंदर ही करीब छह हजार का डीजल लग गया. पकड़ी के किसान अरूण कुमार, सीतापुर के मो.आलमगीर, चेंगोना के विजय मणि तिवारी समेत क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अगर बारिश का यहीं हाल रहा तो अब बिचड़े भी नहीं बचेंगे. किसानों की कमर टूट चुकी है. धान की रोपनी करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

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खेतों में पड़ने लगीं दरारें, किसान चिंतित

गया जिला के गुरुआ प्रखंड क्षेत्र में बारिश नहीं होने से किसान-मजदूर वर्ग के लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी है. खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं. धान रोपने का समय निकलता जा रहा है. किसान बताते हैं कि धान रोपना तो दूर, बहुत से किसानों ने अब तक खेत में बिचड़ा भी नहीं डाला है. जिन किसानों ने मोटर या सबमर्सिबल के माध्यम से अपने खेत में धान का बिचड़ा लगा दिया है, उस खेत में फिलहाल बहुत बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी हैं. धान के बिचड़े को उखाड़ कर खेत में लगाने वाला समय आने बाद भी चिलोर, बेलौटी, नगवां, नदौरा, काज एवं मंडा पकरी पंचायत में एक दर्जन से अधिक गांवों में अब तक 20 प्रतिशत ऐसे किसान हैं, जो अपने खेत में धान का बिचड़ा भी नहीं लगाये हैं.

धान की रोपनी में हो रही देरी 

किसानों का कहना है कि अब सवान का महीना शुरू होने वाला है. अब तक धान की रोपनी हो जाती थी. लेकिन, इस वर्ष दो दशक बाद ऐसा समय आया है कि अब तक सभी किसान बिचड़ा की बोआई भी नहीं कर पाये हैं. लोगों को इस वर्ष सुखाड़ की आशंका सताने लगी है. किसान रामजी सिंह, नरेश कुमार सिन्हा, सुरेश प्रसाद, राजकुमार प्रसाद सिंह, जगेश्वर यादव, जगदीश यादव, विनोद यादव आदि ने बारिश नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार का ध्यान किसानों की ओर आकृष्ट किया है.

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