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21 साल में 254 बार टूटे नदियों के तटबंध, अब कमला की तर्ज पर बांधों को मजबूत करने की तैयारी

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राज्य में कमला बलान की तर्ज पर अन्य नदियों के बांधों को मजबूत करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. 2020 में पहली बार कमला नदी के तटबंध पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का उपयोग किया गया. इसका अच्छा परिणाम दिख रहा है.

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पटना. राज्य में कमला बलान की तर्ज पर अन्य नदियों के बांधों को मजबूत करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. 2020 में पहली बार कमला नदी के तटबंध पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का उपयोग किया गया. इसका अच्छा परिणाम दिख रहा है.

स्टील शीट पाइलिंग के स्थान पर तटबंध काफी मजबूत

स्टील शीट पाइलिंग के स्थान पर तटबंध काफी मजबूत है. इससे बाढ़ के दौरान सुरक्षा की संभावनाएं बढ़ी हैं. इसके फायदे को देखते हुये अब गोपालगंज बाढ़ क्षेत्र में गंडक नदी के तटबंध पर संवेदनशील स्थानों पर आयरन शीट पाइलिंग का कार्य करवाया जा रहा है. वहीं अन्य मुख्य नदियों के तटबंधों को भी इसी तकनीक से मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है.

बाढ़ पूर्व तैयारी शुरू हो चुकी है

जल संसाधन विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार तटबंधों को मजबूत करने के लिए अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. इसके तहत जियो मैट्रेस बिछाने का काम, जिओ टेक्सटाइल फिल्टर और जिओ टेक्सटाइल ट्यूब का उपयोग, थ्री डी से बने जिओ सिंथेटिक मैट्रेस से स्लोप प्रोटेक्शन कार्य और लांच अप्रान का निर्माण आदि शामिल हैं. खासकर इस समय बाढ़ पूर्व तैयारी शुरू हो चुकी है. सभी तटबंधों के कमजोर स्थलों की पहचान की जा रही है. उनकी संख्या और जरूरत के अनुसार नई तकनीक का उपयोग किया जायेगा.

2004 में 26 स्थलों पर दरार आयी

राज्य में बाढ़ की विभीषिका ऐसी है जिसके तहत साल 2000 से 2021 तक प्रमुख नदियों के तटबंध 254 बार टूटे. इसमें सबसे अधिक कमला बलान नदी के तटबंध में 2004 में 26 स्थलों पर दरार आयी. वहीं गंडक नदी के तटबंध में 2020 में 13 बार दरार आयी. बागमती और करेह नदी के तटबंध में 2004 में 17 बार दरार आयी. इसके अलावा अन्य नदियों के बांधों में 2017 में 17 बार दरार आयी.

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