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बिहार के जिला अस्पताल ऑनलाइन संजीवनी एप को चला रहे ऑफलाइन, स्वास्थ्य सचिव की समीक्षा में पकड़ी गई कई खामियां

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ऑनलाइन संजीवनी एप को जिला अस्पतालों द्वारा ऑफलाइन मोड में चलाया जा रहा है. फाइलों को हटाकर प्रयोग में लायी जाने वाली यह प्रणाली भी विफल हो गयी है. संजीवनी एप को लेकर स्वास्थ्य सचिव के सेंथिल कुमार ने समीक्षा की तो इस प्रकार की गड़बड़ी पकड़ी गयी.

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पटना. बिहार के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज की रियल टाइम जानकारी के लिए ऑनलाइन संजीवनी एप का प्रयोग किया जा रहा है. स्थिति यह है कि इस ऑनलाइन एप को जिला अस्पतालों द्वारा ऑफलाइन मोड में चलाया जा रहा है. फाइलों को हटाकर प्रयोग में लायी जाने वाली यह प्रणाली भी विफल हो गयी है. संजीवनी एप को लेकर स्वास्थ्य सचिव के सेंथिल कुमार ने समीक्षा की तो इस प्रकार की गड़बड़ी पकड़ी गयी. अब इस एप को ऑनलाइन करने का निर्देश दिया गया है.

मरीजों के टोकन संख्या और डॉक्टरों की जांच में विसंगति

स्वास्थ्य सचिव की समीक्षा में यह भी पाया गया कि जिला अस्पतालों में ओपीडी में मरीजों को दिये गये टोकन की कुल संख्या के परिप्रेक्ष्य में चिकित्सकों द्वारा जांच किये गये मरीजों की कुल संख्या में विसंगति पायी जा रही है. चिकित्सकों द्वारा जांच किये गये मरीजों की कुल संख्या की तुलना में दवा वितरण की कुल संख्या में भी विसंगति पायी जा रही है.

स्वास्थ्य सचिव ने मोबाइल एप्लीकेशन विकसित करने का दिया निर्देश

अस्पतालों में पायी जा रही विसंगतियों को दूर करने के लिए स्वास्थ्य सचिव ने एक मोबाइल एप्लीकेशन विकसित करने का निर्देश दिया है जिससे मरीजों की संख्या को संबंधित चिकित्सकों द्वारा मोबाइल एप्लीकेशन में अपडेट किया जा सके. जिला अस्पतालों द्वारा पैथोलॉजी जांच का ब्योरा भी संजीवनी एप पर अपडेट नहीं किया जा रहा है.

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पिरामिल व बहमिनी सॉफ्टवेयर से डाटा किया जाये अपडेट

स्वास्थ्य सचिव ने एनआइसी को निर्देश दिया कि इ-हॉस्पीटल सॉफ्टवेयर का प्रयोग जहानाबाद जिले में किया गया था. इसी प्रकार से मुजफ्फरपुर जिला में पिरामल स्वास्थ्य के द्वारा बहमिनि सॉफ्टवेयर के माध्यम से पॉयलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. इन दोनों सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्राप्त डाटा को अब संजीवनी शॉफ्टवेयर पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया.

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