18.1 C
Ranchi
Sunday, February 23, 2025 | 12:41 am
18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मिथिला विश्वविद्यालय शोधार्थियों से पंजीयन शुल्क लेता, पर जारी नहीं करता प्रमाणपत्र

Advertisement

लनामिवि अपने शोधार्थियों से पीएचडी या डीलिट कोर्स में पंजीयन शुल्क 2000 रुपये लेता है, लेकिन पंजीयन प्रमाण पत्र जारी नहीं करता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

दरभंगा. लनामिवि अपने शोधार्थियों से पीएचडी या डीलिट कोर्स में पंजीयन शुल्क 2000 रुपये लेता है, लेकिन पंजीयन प्रमाण पत्र जारी नहीं करता है. पीएचडी अवार्ड होने के बावजूद शोधार्थियों के नाम से जारी अधिसूचना में सिर्फ पंजीयन संख्या अंकित कर खानापूरी कर दी जाती है. बताया जाता है कि प्रदेश के कई अन्य विवि में शोधार्थियों को पीएचडी कोर्स में पंजीयन का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. प्रभावित शोधार्थियों का कहना है जारी पंजीयन प्रमाणपत्र में शोधार्थी का फोटो, माता- पिता व पर्यवेक्षक का नाम, शोध शीर्षक, पंजीयन की प्रभावी तिथि, थीसिस जमा करने की अवधि व थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि सहित कई महत्वपूर्ण जानकारी अंकित होती है. इस प्रमाणपत्र के अभाव में शोधार्थियों को फैलोशिप से वंचित होना पर जाता है. देश व विश्व के कई संस्था शोध के लिए फैलोशिप देती है, परंतु विश्वविद्यालय द्वारा पंजीयन प्रमाणपत्र निर्गत नहीं रहने के कारण यहां के शोधार्थी फैलोशिप के लिए आवेदन नहीं कर पाते. इसको लेकर कई बार शोधार्थियों ने शिकायत भी की है. बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. बता दें कि लनामिवि में प्रत्येक वर्ष करीब 25 विषयों में 400 छात्र- छात्रा पीएचडी के लिए पंजीयन कराते हैं. लनामिवि अबतक पीएचडी कोर्स के शोधार्थियों के लिये अलग से पंजीयन प्रमाण पत्र कभी जारी ही नहीं किया है. जबकि शोधार्थियों से पंजीयन के लिए आवेदन सहित अन्य आवश्यक कागजात 2000 रुपये शुल्क के साथ जमा लेकर रसीद भी जारी करता है. पंजीयन के आवेदन प्रपत्र की अधकट्टी भी देता है, लेकिन उसमें पंजीयन संख्या अंकित नहीं रहता है. उस पर केवल आवेदन फार्म संख्या अंकित रहता है. जानकारी के अनुसार जब शोधार्थियों का पीएचडी एवार्ड की अधिसूचना जारी की जाती है, तो उसमें पीएचडी कोर्स की पंजीयन संख्या का उल्लेख किया जाता है. जबकि इससे पूर्व अन्य सभी जगह शोधार्थियों का विवि का पंजीयन संख्या का उल्लेख किया जाता है, जो स्नातक या स्नातकोत्तर में दर्ज होता है. पीएचडी कोर्स वर्ग में नामांकन के बाद छह माह का वर्ग संचालित होता है, फिर आंतरिक एवं बाह्य परीक्षा होती है. सफल होने पर शोध प्रारुप विभागीय शोध परिषद से अनुशंसा के बाद पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल को भेजा जाता है. वहां से स्वीकृति के बाद पंजीयन शुल्क जमा कराया जाता है. इस बीच करीब एक से डेढ़ वर्ष का समय लग जाता है. इसके बाद भी पीएचडी एवार्ड होने में शोधार्थियों को न्यूनतम दो से तीन वर्षों का समय लगता है. बावजूद विवि इन वर्षों में पंजीयन प्रमाण पत्र जारी नहीं कर एवार्ड की अधिसूचना में केवल संख्या उपलब्ध करा पाती है. परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनोद कुमार ओझा ने बताया कि अब तक किसी शोधार्थी ने पंजीयन प्रमाण पत्र की आवश्यकता के बाबत शिकायत या मांग नहीं की है. किसी शोधार्थी को इसकी आवश्यकता हो, तो विधिसम्मत वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें