19.1 C
Ranchi
Friday, February 14, 2025 | 10:56 pm
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जिस बेटे के कंधे पर अंतिम यात्रा की थी तमन्ना, उसे ही देनी पड़ी अंतिम विदाई

Advertisement

कनौर निवासी किशोरी साह के जवान बेटे का शव पोस्टमार्टम के बाद गांव पहुंचा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

शिवेंद्र कुमार शर्माा, कमतौल.

जो आया है, वह जायेगा. यह विधि का विधान है, लेकिन सत्य यह भी है कि उपरवाले की मर्जी से चलने वाली इस दुनिया में जिंदगी व मौत के बीच कभी-कभी कुछ घटनाएं ऐसी हो जाती हैं कि बस रो पड़ने को दिल करता है. पिता के कंधे पर पुत्र की अर्थी को संसार का सबसे बड़ा बोझ माना जाता है. शनिवार को ऐसा ही दारुण दृश्य दिखा. कनौर निवासी किशोरी साह के जवान बेटे का शव पोस्टमार्टम के बाद गांव पहुंचा. अर्थी लेकर परिजन श्मशान घाट पहुंचे. जिस पुत्र को न मालूम कितने प्यार-दुलार से पाला था, उसी को थरथराते बदन से चिता पर लकड़ी देते देख मानो जिंदगी भी भयभीत होकर रो पड़ी. मृतक के बूढ़े पिता किशोरी साह बिलख-बिलखकर रो रहे थे. कलपते हुए उनके मुख से निकल रहा था कि हे राम, यह कैसा विकराल समय आ गया. जिस जवान बेटे के कंधों पर मुझे श्मशान आना था, आज वही बेटा मेरे कंधों पर श्मशान पहुंचा है. कैसे कटेगी बहू व चार छोटे-छोटे बच्चों की जिंदगी. किशोरी साह बार-बार आसमान की ओर हाथ उठाकर पूछते कि आखिर ऐसा अनर्थ तूने क्यों किया. ऐसी विकराल सजा मेरे परिवार को तूने क्यों दी. आसपास खड़े परिजनों व पुरोहित की भी आखें नम हो जाती. लोगों के पास शब्द ही नहीं थे इस बुजुर्ग पिता को समझाने के लिए. श्मशान के एक कोने में विधि के विधान के आगे आदमी बेबस था, जिंदगी भी बेबस थी. लोग कह रहे थे अब बूढ़े पिता को सहारा कौन देगा और नन्हें मासूमों को दुलार कौन करेगा. पत्नी मधुमाला पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है. चार पुत्री में सबसे बड़ी नौ वर्ष की है. तीन क्रमशः सात, पांच और तीन वर्ष की है.

इधर, शुक्रवार की देर शाम एफएसएल की टीम कनौर पहुंची. घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. जांच के लिए सैंपाल इकट्ठा कर ले गयी. ग्रामीणों ने बताया कि ललित का गांव में किराना दुकान है. इसीसे सात लोगों के परिवार का भरण-पोषण होता था. गांव में उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, फिर उसकी हत्या किसने की. समझ से परे है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें