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बिहार में नेताओं पर चल रहे आपराधिक मामलों की अब होगी तेजी से सुनवाई, हाइकोर्ट ने गृह सचिव से मांगा आंकड़ा

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मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए यह निर्देश दिया.

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पटना. बिहार के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए पटना हाइकोर्ट ने राज्य के गृह सचिव से उन तमाम आपराधिक मामलों के आंकड़ों को तलब किया है, जो राज्य के एमपी, एमएलए के खिलाफ चल रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए यह निर्देश दिया.

कोर्ट ने गृह सचिव को कहा कि इन जन प्रतिनिधियों पर चल रहे सभी आपराधिक मामलों की अद्यतन स्थिति का ब्योरा शपथ पत्र के माध्यम से दो सप्ताह में कोर्ट को दें.कोर्ट ने गृह सचिव को कहा कि हलफनामे में इस बात की जानकारी दी जाये कि किस पुलिस थाने में किस जनप्रतिनिधि के खिलाफ किन -किन धाराओं में प्राथमिकी दर्ज है और उस मामले के अनुसंधान की क्या स्थिति है . जिन मामले में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दायर हो चुका है उस मामले में ट्रायल की कोर्ट में क्या स्थिति है जिलावार आंकड़ा कोर्ट में अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाये.

क्या है मामला

विदित हो कि पटना हाइकोर्ट ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के आलोक में स्वतः सुनवाई के लिए शुरू किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद 16 सितंबर, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था . गौरतलब है कि उक्त आदेश के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाइकोर्ट प्रशासन को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि कोरोना काल में भी एमपी,एमएलए कोर्ट में चल रहे आपराधिक मामलों के ट्रायल में कोई शिथिलता नहीं आनी चाहिए . जहां तक हो सके वर्चुअल सुनवाई के जरिये जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे ट्रायल की रफ्तार बढ़नी चाहिए . जिन आपराधिक मामलों पर हाइकोर्ट से रोक लगी हुई है , उन मामलों पर रोजाना सुनवाई करने के लिए खुद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक खंडपीठ गठित हो .

सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के आलोक में पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने गुरुवार को रजिस्ट्रार लिस्ट एवं कंप्यूटर को भी निर्देश दिया की जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों या उनसे संबंधित मामलों में दायर की गयी अपील, रिवीजन एवं निचली अदालत के मामले या प्राथमिकी को निरस्त करने हेतु दायर हुई क्रिमनल मिसलेनियस याचिकाओं की सूची बना कर उसे दो सप्ताह के अंदर , मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सूचीबद्ध करें, ताकि इनके मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के आलोक में हो सके . इस मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को फिर होगी.

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