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जिले के 177 राजकीय नलकूप खराब

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धान का बिचड़ा किसान खेतों में डालने का काम शुरू कर दिये हैं. मगर ताज्जुब देखिये जिले के 177 राजकीय नलकूप खराब है

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बक्सर. धान का बिचड़ा किसान खेतों में डालने का काम शुरू कर दिये हैं. मगर ताज्जुब देखिये जिले के 177 राजकीय नलकूप खराब है. लिहाजा किसान धान का बिचड़ा डालने को लेकर परेशान हैं. यह राजकीय नलकूप पिछले पांच सालों से खराब हैं. लोकसभा चुनाव में भी यह चुनावी समर में उतरे योद्धाओं के लिये मुद्दा नहीं बना. जबकि लगभग पांच वर्ष पूर्व जिले की राजकीय नलकूपों को लघु सिंचाई विभाग से हटा कर सरकार ने इनके संचालन का मालिकाना हक पंचायती राज विभाग को सौंप दिया था. बावजूद इसके राजकीय नलकूपों के हालात में सुधार नहीं दिखायी दे रहा है. जिसका नतीजा है कि आज की तारीख में भी जिले के

344 राजकीय नलकूपों में से 177 नलकूप खराब चल रहे हैं. गौरतलब है कि जब राजकीय नलकूपों का संचालन लघु जल संसाधन विभाग करता था, तो ग्रामीणों की शिकायत होती थी कि नलकूपों को चलाने वाले ऑपरेटर कभी महीनों, तो कभी सप्ताह भर, तो कभी पखवारे भर गायब रहते हैं. समय से नलकूप नहीं चलाये जाने से खेती चौपट हो रही है. ऐसे तमाम शिकायतों के बाद सरकार ने राजकीय नलकूपों की व्यवस्था बदल दी और इनके रखरखाव और संचालन का काम ग्राम पंचायतों को लगभग पांच वर्ष पूर्व दे दिया गया. फिर भी राजकीय नलकूपों के संचालन की स्थिति ठीक नहीं हो सकी.

गौरतलब है कि राजकीय नलकूपों की मरम्मत को लेकर सरकार द्वारा जो राशि दी जाती है, उसके व्यय की उपयोगिता प्रमाण पत्र भी कई पंचायतों द्वारा लघु जल संसाधन विभाग को उपलब्ध नहीं करायी जाती है. जिससे नलकूपों की अगली मरम्मत बाधित हो जाती है. आज की तारीख में लघु जल संसाधन विभाग द्वारा हस्तांतरित किये गये जिले के 344 राजकीय नलकूपों में से 177 नलकूप बंद चल रहे हैं. जबकि, कुछ दिन में खरीफ फसल का सीजन शुरू हो जायेगा और किसान बीचड़ा डालने के लिए नलकूपों और नहरों का मुंह ताकने लगेंगे. इधर, इस संबंध में जानकारी देते हुए लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुमार ने बताया कि वर्तमान में 177 नलकूप बंद चल रहे हैं. इसमें से कुछ नलकूप पंचायतों द्वारा पूर्व में नलकूपों की मरम्मत के लिए दिये गये रुपये के व्यय की उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने के कारण अगली मरम्मत की राशि नहीं दी जा सकी.

इसके कारण मरम्मत के अभाव में ये नलकूप बंद है. वहीं, कुछ नलकूप यांत्रिक दोष के कारण, तो कुछ नलकूप बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण बंद हैं. कुछ ऐसे भी नलकूप हैं, जिनका बोर खत्म हो चुका है, ऐसे नलकूपों के नये बोर की खुदाई के लिए विभाग प्राक्कलन तैयार कर रहा है. राजकीय नलकूपों की मरम्मत को लेकर पंचायतों द्वारा सरकार से राशि की मांग तो की जाती है. पर मरम्मत के लिए सरकार द्वारा पंचायतों को उपलब्ध राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी कई पंचायतें नहीं दे पाती है. इस तरह के मामले को लेकर जिले की कई पंचायतों में राजकीय नलकूपों की मरम्मत के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में आवंटित राशि सरकार को वापस लौट गये. पंचायत के मुखिया से राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा गया ताकि उन्हें वर्तमान में बंद चल रहे नलकूपों की मरम्मति के लिए सरकार से प्राप्त राशि का नया आवंटन दिया जा सकें. लेकिन, पंचायतों मुखिया द्वारा कोई उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया. इससे गत वित्तीय वर्ष में सरकार से प्राप्त मरम्मत की राशि वापस लौट गयी. अब आगे जब पंचायतें पूर्व की राशि के व्यय का उपयोगिता प्रमाण पत्र देगी, तो नया आवंटन की मांग की जायेगी. उन्होंने बताया कि पंचायतों से उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिलने को लेकर जिला पंचायती राज विभाग को भी लिखा गया था, बावजूद इसके उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिल सका. बक्सर जिला के किसान प्रत्येक वर्ष बारिश के अभाव के चलते अपने फसल के पटवन को लेकर परेशान होते हैं. वर्षा नहीं होने से धान की फसल खराब हो जाती है. ऐसे में किसानों के खून और पसीने की कमाई उनके सामने ही देखते देखते बर्बाद हो जाती है. तब किसानों को पटवन के अंतिम उम्मीद के रूप में राजकीय नलकूप ही दिखाई देते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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