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पटना जिले में आयुष्मान कार्ड बनाने के काम पर ब्रेक, 50 दिनों से नहीं बना कोई कार्ड, जानें कारण

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प्रशासनिक लापरवाही के चलते गरीब परिवारों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. पिछले 50 दिनों में जिले में एक भी नये व्यक्ति का आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जिले में डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर (डीपीसी) का समय पर नियुक्ति नहीं होना है.

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आनंद तिवारी, पटना. जागरूकता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के चलते गरीब परिवारों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खास बात तो यह है कि पिछले 50 दिनों में जिले में एक भी नये व्यक्ति का आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जिले में डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर (डीपीसी) का समय पर नियुक्ति नहीं होना है.

एक महीने तक संबंधित पद पर नियुक्ति नहीं

दरअसल, डीपीसी डॉ मनोज कुमार ने बीते नौ जुलाई को इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद करीब एक महीने तक संबंधित पद पर नियुक्ति नहीं की गयी. हालांकि, 10 दिन पहले बबीता कुमारी को डीपीसी के पद पर नियुक्त किया गया है. अधिकारी के नहीं होने से जिले में नया आयुष्मान कार्ड बनाने से लेकर अस्पतालों को सूचीबद्ध करने आदि सभी काम पर ब्रेक लग गया है.

नहीं हुआ एमओयू साइन

जिले में प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्पतालों को आयुष्मान योजना से जोड़ने से लेकर अस्पताल में जिला प्रशासन की टीम के साथ मिल कर जांच करने व एमओयू साइन कराने का जिम्मा डीपीसी को होता है. यहां तक कि जिला अधिकारी की समीक्षा बैठक में भी डीपीसी भाग लेते हैं और जिले में कितने लोगों का आयुष्मान कार्ड बना व कितने प्राइवेट व सरकारी अस्पताल योजना से सूचीबद्ध हुए आदि की रिपोर्ट देनी होती है.

एक भी नये अस्पताल को योजना से नहीं जोड़ा गया

पिछले 50 दिनों में न तो एक भी नये अस्पताल को योजना से जोड़ा गया और न ही पेडिंग में पुराने अस्पतालों का एमओयू ही साइन हो पाया. खास बात है कि वर्तमान में डीपीसी को पटना के अलावा जहानाबाद का भी चार्ज दिया गया है. ऐसे में वह तीन दिन पटना व तीन दिन जहानाबाद में आयुष्मान के कार्यों को देखेंगे.

25 लाख लोगों को नहीं मिल पा रहा लाभ

कार्ड बनाने की सुस्त रफ्तार से पटना जिले के करीब 25 लाख लाभुक आयुष्मान योजना का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा पटना जिले में कुल 29 लाख लोगों की सूची बनायी गयी है. सवा तीन साल में चार लाख से भी कम लोगों के ही कार्ड अब तक बन पाये हैं.

खाली पड़े डीपीसी के पद पर नियुक्ति कर ली गयी है. साथ ही उनका ट्रेनिंग प्रोग्राम भी पूरा हो गया है. डीपीसी व इस कार्य में लगे सभी लोगों को अधिक-से-अधिक कार्ड जारी कराने को कहा गया है. जल्द ही हम कार्ड बनाने की गति तेज करने में कामयाब होंगे.

-डॉ केके राय, सिविल सर्जन,पटना

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