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जिले में करोड़ों खर्च से बना ऑक्सीजन प्लांट नहीं कर रहा काम

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जिले में करोड़ों खर्च कर बनाये गये ऑक्सीजन प्लांट वर्तमान में काम नहीं कर रहा है. इससे प्रति माह स्वास्थ्य विभाग पर हजारों रुपये का अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ रहा है.

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बिहारशरीफ. जिले में करोड़ों खर्च कर बनाये गये ऑक्सीजन प्लांट वर्तमान में काम नहीं कर रहा है. इससे प्रति माह स्वास्थ्य विभाग पर हजारों रुपये का अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ रहा है. कोरोना काल में प्रधानमंत्री केयर फंड से सदर अस्पताल, राजगीर अनुमंडल, हिलसा अनुमंडल और कल्याण बिगहा अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाये गये थे. इनमें अधिकतर ऑक्सीजन प्लांट खराब हो गये हैं. मरम्मत करने के बाद चंद दिन में दोबारा खराब हो जाते हैं. भारत सरकार की ओर से ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम दिल्ली के एजेंसी को दिया गया था, जिसका दो साल की गारंटी काल समाप्त होते ही प्लांट से ऑक्सीजन सप्लाई में समस्या आने लगी. सूत्र बताते हैं कि ऑक्सीजन प्लांट में उपयोग किये गये सामग्रियां राज्य स्तर पर नहीं मिलते हैं. निर्माण एजेंसी से इस संबंध में कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया है, जिसका कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. नतीजतन जिला स्वास्थ्य समिति अपने स्तर पर ऑक्सीजन प्लांट को मरम्मत कर चालू करवाता है, लेकिन कुछ दिन में बार-बार खराब हो जाता है. सूत्र बताते हैं कि प्लांट लगाने के दौरान इसके मेंटेशन नीति नहीं रहने और बाहरी एजेंसी को जिम्मेवारियां देने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. फिलहाल सिर्फ सदर अस्पताल में प्लांट ठप रहने से प्रति माह 70 से 80 हजार रुपये के ऑक्सीजन सिलेंडर पर खर्च हो रहे हैं. यहां प्रतिदिन करीब 900 एलपीएम ऑक्सीजन की खपत हैं. बच्चा वार्ड, प्रसव वार्ड, इमरजेंसी जैसे वार्डों में ऑक्सीजन की नियमित जरूरत होती है. वर्तमान में प्राइवेट एजेंसी से ऑक्सीजन खरीदा जा रहा है. क्या कहते हैं अधिकारी-

ऑक्सीजन प्लांट का गारंटी दो साल की थी, जो समाप्त हो गयी है. प्रदेश स्तर पर प्लांट की छोटी-मोटी सामग्रियां नहीं मिलती है. किसी प्रकार से मरम्मत कर चालू किया जाता है तो कुछ दिन में खराब हो जाता है. फिलहाल बंद प्लांट को चालू कराने का प्रयास किया जा रहा है.

ज्ञानेंद्र शेखर, डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समिति, नालंदा

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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