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बिहार में बंद औद्योगिक इकाइयों की जमीन बियाडा लेगी वापस, जानें क्या है एक्जिट पॉलिसी

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इस एक्जिट पॉलिसी का मकसद औद्योगिक क्षेत्रों में बंद पड़ी इकाइयों की भूमि पर दोबारा औद्योगिक उत्पादन शुरू करना है.एक्जिट पॉलिसी के तहत आवेदन करने की तिथि 31 अक्तूबर है. एक्जिट पॉलिसी 2023 को लागू करने का बियाडा निदेशक पर्षद की 86 वीं बैठक में लिया गया है.

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रिपोर्ट: राजदेव पांडेय

पटना. बिहार के औद्योगिक क्षेत्रों में बंद अकार्यरत इकाइयों के लिए बियाडा की नयी एक्जिट पॉलिसी 2023, आठ अगस्त से प्रभावी कर दी गयी है. इस नीति के तहत बंद यूनिट के उद्यमी बियाडा की तरफ से आवंटित भूखंड अथवा उसका कुछ अंश वापस कर सकते हैं. इस एक्जिट पॉलिसी का मकसद औद्योगिक क्षेत्रों में बंद पड़ी इकाइयों की भूमि पर दोबारा औद्योगिक उत्पादन शुरू करना है.एक्जिट पॉलिसी के तहत आवेदन करने की तिथि 31 अक्तूबर है. एक्जिट पॉलिसी 2023 को लागू करने का बियाडा निदेशक पर्षद की 86 वीं बैठक में लिया गया है.

पिछले दो साल में बियाडा ने 800 बंद इकाइयों के आवंटन रद्द किये

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक पिछले एक दो साल में बियाडा ने 800 बंद इकाइयों के आवंटन रद्द किये हैं. इसमें कुछ मामले कोर्ट में गये. कुछ मामले अपील में हैं. विभाग ने कुछ जमीन थर्ड पार्टी को आवंटित भी की है. इसके बाद भी अकार्यशील यूनिटों की सैकड़ों एकड़ जमीन ऐसी है, जो सालों से अनुत्पादक पड़ी है. औद्योगिक उत्पादन के लिए दी गयी यह ऐसी जमीन है, जिसका संबंध औद्योगिक विकास दर और रोजगार दर से रत्ती भर भी नहीं है. नयी एक्जिट पॉलिसी के तहत आने वाले आवेदनों की समीक्षा बियाडा की एक समिति करेगी.

एक्जिट पॉलिसी के तहत पात्र इकाई

  • – ऐसी इकाइयां जिनके आवंटन वैध हैं.

  • – आवंटन रद्द हैं,लेकिन अपील अवधि खत्म नहीं हुई हो

  • – अपील वापस लेकर भी इस नीति का लाभ लिया जा सकता है.

  • – ऐसी इकाई जिसका आवंटन रद्द हो चुका हो लेकिन बियाडा ने पेजसन नहीं लिया हो.

  • – रद्द इकाई जिसकी जमीन थर्ड पार्टी को आवंटित न हो पायी हो

  • – आवंटन रद्द करने का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन हो.

  • – रिट याचिका वापस लेकर भी इस नीति का फायदा उठाया जा सकता है.

  • – आवेदक को शपथ पत्र देकर बताना होगा कि उस पर किसी भी वित्तीय एजेंसी अथवा विभाग का बकाया नहीं है.

नीति का क्रियान्वयन

जिस उद्यमी की तरफ से भूखंड या उसका कुछ अंश वापिस किया जा रहा है, तो उसे उस भूखंड के वर्तमान बियाडा दर आधार पर उनके द्वारा उपयोग की गयी लीज अवधि की आनुपातिक कटौती की जायेगी. बाकी राशि से 10 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय के लिए कटौती की जायेगी. इस पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा. अगर बकाया का कोई बकाया हो तो उसे काट कर शेष राशि उद्यमी को दे दी जायेगी. योजना के तहत भूखंड वापसी का आवेदन मंजूर होने के तीन माह के अंदर यदि वहां संयंत्र है, तो उसे अनिवार्य तौर पर हटाना होगा. अगर निर्धारित अवधि के दौरान संयंत्र नहीं हटाया जाता है, तो उसे नीलाम कर नीलामी की राशि बियाडा जब्त कर लेगा. उल्लेखनीय है कि पिछले दो साल के अंदर बियाडा भूमि उपयोग सुनिश्चित करने एक्जिट पॉलिसी लेकर आया था. लेकिन उसमें नाम मात्र के लिए आवेदन आये थे. यही हाल बियाडा की लैंड ट्रांसफर पॉलिसी का हुआ. इनके आवेदन दहाइयों में भी नहीं पहुंचे.

पहले भी वापस ली गयी है जमीन

बियाडा (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार) निदेशक पर्षद ने दिसंबर 22 में यह आदेश जारी किया था कि बियाडा नियंत्रित औद्योगिक क्षेत्र में हस्तांतरित भूमि पर छह माह (अधिकतम 12 माह) के अंदर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू नहीं हुआ, तो जमीन का वह हिस्सा स्वत: बियाडा की हो जायेगी. इस पर संबंधित निवेशक कानूनी कार्यवाही भी नहीं कर सकेगा. दरअसल हस्तांतरित जमीन करने वाले निवेशक व्यक्ति/फर्म/कंपनी को इस आशय का शपथ पत्र बियाडा को लिख कर देना होगा.

विकास की मंशा को झटका

बियाडा ने पिछले साल उन निवेशकों को भूमि हस्तांतरित करने का मौका दिया था, जिन्होंने आवंटन के बाद निर्धारित समय सीमा में तब तक यूनिट में उत्पादन प्रारंभ नहीं किया था. बियाडा के औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसी तमाम भूमि है, जो भूमि तो उत्पादन के लिए ली गयी, लेकिन वर्षों बाद उस पर उत्पादन नहीं हुआ. इससे सरकार का औद्योगिक विकास की मंशा को झटका लगा है. लिहाजा बियाडा चाहता है कि इस तरह की भूमि पर किसी तरह उत्पादन प्रारंभ हो या उसे वापस हासिल किया जा सके.

गारंटी एक वर्ष के लिए ही मान्य

बियाडा की तरफ से जारी दिशा-निर्देशानुसार अगर हस्तांतरित यूनिट में पुराने के स्थान पर नयी मशीन उपकरण आदि लगाना है, तो उत्पादन शुरू करने की अधिकतम अवधि 12 महीने की होगी. साथ हस्तांतरित जमीन के निवेशक को औद्योगिक भूमि के कुल मूल्य को पांच प्रतिशत बैंक गारंटी देनी होगी . यह गारंटी एक वर्ष के लिए ही मान्य होगी. अगर यूनिट उत्पादन प्रारंभ नहीं करती है, तो उसकी यह बैंक गारंटी को जब्त करने की स्वतंत्रता होगी. जमीन हस्तांतरण की वन टाइम ऑपरच्युनिटी के लिए वह यूनिट पात्र हैं, जिनके आवंटन वैध हैं.

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