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दिनकर ने अपनी रचना को जन-जन तक पहुंचाया

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टीएमबीयू के पीजी हिंदी विभाग में सोमवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 116वीं जयंती मनायी गयी.

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टीएमबीयू के पीजी हिंदी विभाग में सोमवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 116वीं जयंती मनायी गयी. मौके पर कुलपति प्रो जवाहरलाल ने दिनकर के जीवन के संघर्षों को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि दिनकर 1964 में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे. उनकी रचनाओं की प्रासंगिकता आज भी है. उनकी रचनाएं सूर्य के समान है. दिनकर का पौरुष व बल उनके व्यक्तित्व के साथ-साथ उनकी भाषा में भी नज़र आता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता उनके रोम-रोम में थी. उन्होंने अपनी रचना को जन-जन को पहुंचाया. हताश लोगों में साहस का संचार किया. राष्ट्र प्रेम व लोक कल्याण की भावना को उन्होंने अपनी रचनाओं उर्वशी, रेणुका, कुरुक्षेत्र आदि में प्रस्तुत किया. वीसी ने कहा कि जीवन से लगाव रखना है, तो साहित्य को नियमित रूप से पढ़ने की आवश्यकता बनी रहेगी. दिनकर जैसे कवियों को पढ़ना जीवन को क्रियाशील बनाये रखना है. विभाग के पूर्व हेड प्रो योगेंद्र ने विवि के पूर्व के कुलपतियों के योगदान को याद किया. उन्होंने कहा कि कुलपति प्रोफेसर रामाश्रय यादव के प्रयास से ही दिनकर की प्रतिमा स्थापित की गयी. दिनकर परिसर का नामकरण किया गया. इसके बाद प्रो नीलिमा गुप्ता के प्रयास से दिनकर उद्यान बन पाया. अब कुलपति प्रो लाल के सहयोग से दिनकर प्रतिमा व उद्यान का पुनः नवीनीकरण किया गया. उन्होंने कहा कि दिनकर हिंदी के कारण राष्ट्रकवि बने. विभाग की हेड प्रो नीलम महतो ने साहित्य के साथ सामाजिक रूप से दिनकर के कार्यों के प्रभावों को रेखांकित किया. इससे पहले परिसर स्थित दिनकर की आदमकद प्रतिमा पर कुलपति ने माल्यार्पण किया. संचालन डॉ दिव्यानंद ने व धन्यवाद ज्ञापन प्रो नीलू कुमारी ने किया. मौके पर डीएसडब्ल्यू प्रो बिजेंद्र कुमार, प्रॉक्टर डॉ अर्चना साह, रजिस्ट्रार डॉ विकास चंद्र सहित अन्य अधिकारी व पीजी विभागों के विभागाध्यक्ष व विद्यार्थी मौजूद थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायक प्राध्यापक डॉ मनजीत सिंह, राम बालक राय, कामेश्वर शर्मा, प्रो गोपेश्वर सिंह, सुधांशु रंजन, चक्रधर, शुभ्रा, मेघा, नन्दा, शिवानी आरती आदि अहम भूमिका निभायी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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