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नगर पंचायत के कचरे से पेट भर रहे लावारिश पशु, हो रहे बीमार

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दूध सेवन करने वाले भी होते हैं बीमार

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देव. देव नगर पंचायत के कन्हैया मोड़, श्मशान घाट, हाइ स्कूल के पीछे व अन्य जगहों पर फैले कचरों से लावारिश पशु अपना पेट भर रहे है. भूखे मवेशी प्लास्टिक भी निगल जा रहे हैं, जिसके कारण उनकी मौत भी अधिक हो रही है. प्रखंड चिकित्सक पदाधिकारी आरएन प्रसाद के अनुसार प्लास्टिक और कचरा खाने से मवेशियों में गंभीर बीमारी हो रही है. नगर पंचायत अपने क्षेत्र के घरों से कचरा उठा तो रही है, लेकिन कोई सुरक्षित जगह नहीं होने के कारण इन कचरों को खुले स्थानों पर फेंक दिया जा रहा है. इन कचरों में सबसे अधिक हानिकारक पॉलीथिन होते हैं. जबकि सरकारी आदेश के अनुसार प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा है. लेकिन बाजार धड़ल्ले से पॉलीथिन का इस्तेमाल हो रहा है. मवेशी मालिकों का कहना है कि महंगाई के कारण पशुओं को सही तरह से चारा उपलब्ध कराना मुश्किल होता है. मजबूरी में दूध नहीं देनेवाले मवेशियों को खुले में छोड़ना पड़ता है. एक मवेशी पालक ने बताया कि उनकी एक गाय बाहर जाती थी, बाद में वह धीरे-धीरे दूध कम देने लगी, जिसका प्रभाव बछड़े पर भी पड़ने लगा. समझ नहीं पाए कि कौन सा रोग हुआ है, लेकिन कुछ दिन बाद बीमार हालत में उसकी मौत हो गयी. इसलिए दूसरे मवेशियों को हम बाहर नहीं जाने देते है. पशु चिकित्सक की माने तो आवारा पशु जो सड़क किनारे प्लास्टिक को आहार बना लेते है. उनसे निकाले गये दूध का सेवन करने वाले भी बीमार ही रहते हैं, क्योंकि प्लास्टिक कैंसर को बढ़ावा देता है. जहां एक ओर पशुओं का सही समय पर इलाज न होने से पशुओं में कैंसर जैसी बीमारी एक बड़ा रूप ले लेती है. वहीं कुछ पशुओं में इस बीमारी का कारण बाद में पता चलता है, जिसके बाद देर हो जाती है. पशु चिकित्सक डॉ आरएन प्रसाद ने बताया कि मवेशियों में फूड प्वाइजनिंग की समस्या सबसे ज्यादा उत्पन्न होती है. इससे मवेशी कमजोर हो जाते है. अगर समय रहते इलाज नहीं कराया गया, तो बेमौत मारे जाते है. सबसे ज्यादा नुकसान मवेशियों को कचरे के साथ प्लास्टिक बैग के खाने से होता है. यह प्लास्टिक बैग पेट के आंत में फंस जाता है. इससे मवेशी धीरे-धीरे और रोग का शिकार हो जाते है. उनका खाना-पीना कम होने लगता है. ग्रामीण इलाकों के ऐसे पशुपालक अपने मवेशियों का इलाज नहीं करा पाते है. बीमारी की शिकायत पर तुरंत पशुओं को पशु अस्पताल पहुंचाना चाहिए. वर्ष 2018 में एक संस्थान द्वारा कराये गये सर्वे में पाया गया कि गाय-भैंस के दूध, गोबर और मूत्र में प्लास्टिक के कण पाये जा रहे हैं, जो इंसान के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही जानवरों में कैंसर को भी बढ़ावा दे रहे है. सर्वे में पॉलीथिन से कैंसर होना पाया गया है. ऐसी गायों द्वारा उत्पादित दूध के माध्यम से प्लास्टिक की विषाक्त सामग्री भी मनुष्य में प्रवेश कर सकती है. पॉलीथिन बैग में अन्य घर के कचरे के साथ विदेशी धातु जैसे सुइयों, तारों, नाखूनों आदि को भी फेंका जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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