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Aurangabad News : तबादले के बाद भी काट रहे एसएलसी

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Aurangabad News: सात माह पहले प्लस टू हाईस्कूल कुटुंबा से हो चुका है तबादला

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औरंगाबाद/कुटुंबा. प्रखंड क्षेत्र के पल्स टू हाईस्कूल कुटुंबा में प्रभारी हेडमास्टर मो फैजूल रहमान के स्थानांतरण के बाद प्रभार का मामला उलझ गया है. हालांकि, डीइओ के पत्र लिखने के बाद भी स्थानांतरित हेडमास्टर पर कोई असर नहीं हो रहा है. वरीय अधिकारियों के अल्टिमेटम के बावजूद उक्त स्कूल में प्रभार का आदान-प्रदान नहीं हो रहा है. वर्तमान में उक्त स्कूल के कनीय शिक्षक वारिस खलिल और स्थानांतरित हेडमास्टर फैजूल रहमान मैट्रिक व इंटर उत्तीर्ण बच्चों के सर्टिफिकेट निगर्त कर रहे हैं. वहीं, संपूर्ण प्रभार नहीं मिलने से प्रभारी हेडमास्टर डॉ रामकिशोर किमकर्त्वय विमूंढ बने हुए है. हालांकि, बच्चों के अभिभावक लचर व्यवस्था को दोष दे रहे हैं. स्थानीय संजय कुमार, जीतु तिवारी, अर्जुन पासवान आदि का कहना है कि यहां कैसी व्यवस्था है जिससे प्रशासनिक अधिकारी अपने आप को लाचार महसूस कर रहे है. समाजसेवियों ने बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री और सचिव का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए कार्रवाई की मांग की है.

क्या है पूरा मामला

शिक्षा विभाग ने पल्स टू-हाई स्कूल कुटुंबा के प्रभारी हेडमास्टर मो फैजूल रहमान को एक मार्च 2024 को परमानेंट हेडमास्टर के रूप में प्रोन्नत किया था. इसके साथ ही उनका स्थानांतरण कुटुंबा से पल्स टू हाई स्कूल चिल्हकी अंबा में कर दिया गया था. वे विभागीय निर्देशानुसार कुटुंबा से विरमित होकर चार मार्च 2024 को पल्स टू हाई स्कूल चिल्हकी अंबा में पदभार ग्रहण कर लिये थे. इसके बावजूद वे पल्स टू-हाई स्कूल कुटुंबा के प्रभारी हेडमास्टर को अपना प्रभार देने से परहेज करते रहे. इस बीच बच्चों को काफी परेशानी भी हुई. जानकारी के अनुसार यू-डायस और इशिक्षा कोष में बच्चों का ऑनलाइन इंट्री आज तक बाधित है. इधर, 20 मार्च 2024 को डीइओ के पत्र के आलोक में उक्त स्कूल के शिक्षक डॉ रामकिशोर को प्रभारी हेडमास्टर बनाया गया. उन्होंने दर्जनों बार वरीय अधिकारियों को प्रभार दिलाने के लिए पत्र लिखा पर आज तक पहल नहीं किया गया. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी भी कनीय शिक्षक वारिस खलिल और मो फैजूल रहमान संयुक्त रूप से सर्टिफिकेट निर्गत कर रहे हैं. इस सबंध में डीपीओ भोला करण ने बताया कि सर्टिफिकेट निर्गत करने का अधिकार उसी हेडमास्टर को है जो वर्तमान में कार्यरत है. दूसरे स्कूल के हेडमास्टर द्वारा निर्गत सर्टिफिकेट इंवैलेट है.

सर्टिफिकेट लेने वाले बच्चों का भविष्य अधर में

उक्त हाईस्कूल से जो बच्चे इस बार मैट्रिक और इंटर उत्तीर्ण किये हैं उन्हें तथाकथित हेडमास्टर द्वारा एसएलसी दिया जा रहा है. सरकारी सेवा के दौरान दस्तावेज वेरिफिकेशन होने पर उनकी नौकरी जा सकती है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि सर्टिफिकेट में बच्चों के नाम और माता-पिता के नाम में भी त्रुटि है. कई प्रमाण पत्र में बच्चों के घर का पत्ता नहीं अंकित है. यहां तक कि रिसीविंग प्रति और छात्र प्रति में अलग-अलग ढंग से नाम दर्शाया गया है. ऐसे में छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है. छात्राएं बताती हैं कि सर्टिफिकेट लेने के लिए कनीय शिक्षक को पैसा देना पड़ता है. पैसा जमा करने पर स्कूल में सर्टिफिकेट न देकर बाजार में उपलब्ध कराते है.

क्या बताते हैं कानूनविद

इस संबंध में उच्च न्यायालय पटना के वरीय अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार वर्मा ने बताया कि बच्चों का फर्जी तौर पर सर्टिफिकेट निगर्त करना संज्ञेय अपराध की श्रेणी में है. ऐसे मे मामले में दोषी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट निर्गत करना छात्र हित में नहीं है. कनीय शिक्षक और स्थानांतरित हेडमास्टर छात्र-छात्राओं के भविष्य साथ खिलवाड़ कर रहे है.

क्या बताते हैं डीइओ

डीइओ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पहले भी इस तरह की शिकायत मिली थी. मामले की जांच करने के लिए कुटुंबा बीइओ को निर्देश दिया गया था. इसके बावजूद स्थानांतरित हेडमास्टर हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. इधर, पूर्व हेडमास्टर मो फैजूल रहमान ने बताया कि वे जल्द प्रभार दे देंगे. सर्टिफिकेट में त्रुटि पर कहा कि उर्दू के शिक्षक है इस वजह से उन्हें हिंदी लिखने में परेशानी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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