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बिना निबंधन के चलाये जा रहे हैं दर्जनों जांच घर, खतरे में है मरीजों की जान

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नगर में सरकार के निर्देश के विपरीत नियमों को ताक पर रखकर जांच घर, क्लिनिक, अल्ट्रासाउंड एवं एक्सरे का संचालन बिना रोक टोक के बिना निबंधन कराये ही संचालन किया जा रहा है.

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आरा

. नगर में सरकार के निर्देश के विपरीत नियमों को ताक पर रखकर जांच घर, क्लिनिक, अल्ट्रासाउंड एवं एक्सरे का संचालन बिना रोक टोक के बिना निबंधन कराये ही संचालन किया जा रहा है. यह खुलेआम प्रशासन सहित सरकार को चुनौती हैं. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है. इससे इस तरह के धंधेबाजों का मनोबल ऊंचा है. धंधेबाज लगातार सीधे-सादे एवं गरीब, मजदूरों को ठगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. प्रशासन व अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को लूटने की एक तरह से छूट मिली हुई है.

कुल 119 का ही कराया गया है निबंधन :

जिले में कुल 119 जांच घर, निजी क्लीनिक, निजी अस्पताल, आयुर्वेदिक क्लीनिक, होम्योपैथिक क्लिनिक आदि का निबंधन सदर अस्पताल में कराया गया है. इसमें भी 20 से अधिक का नवीकरण अभी तक नहीं हो पाया है. इसके बावजूद सदर अस्पताल प्रशासन एवं जिला प्रशासन द्वारा इन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

नहीं की जाती है जांच :

बिना निबंधन के अवैध रूप से चलाये जा रहे जांच घर, अल्ट्रासाउंड, निजी अस्पताल, निजी क्लिनिक, आयुर्वेदिक क्लिनिक, होम्योपैथिक क्लिनिक, एक्स-रे आदि की जांच नहीं की जाती है. इस कारण इनके संचालकों का मनोबल बढ़ा हुआ है. लोगों का मानना है कि यदि जांच होती एवं करवाई होती तो ऐसे अवैध संचालक इनका संचालन नहीं कर पाते और लोगों ठगी नहीं कर पाते. वहीं सरकार को राजस्व की भी क्षति नहीं हो पाती.

एक वर्ष का दिया जाता है प्रोविजनल निबंधन :

ऐसे संस्थानों को एक वर्ष से 5 वर्ष तक के लिए निबंधन का प्रावधान है. हालांकि अमूमन सदर अस्पताल द्वारा एक वर्ष के लिए ही निबंधन किया जाता है, वह भी प्रोविजनल निबंधन.

निबंधन के लिए शुल्क का है प्रावधान :

ऐसे संस्थानों के निबंधन के लिए सरकार ने शुल्क निर्धारित किया है. हालांकि यह शुल्क काफी कम है. फिर भी संचालकों द्वारा निबंधन नहीं कराया जा रहा है. जांच केंद्र के संचालन के लिए 200 रुपए प्रति वर्ष, निजी अस्पताल के लिए एक सौ रुपए से 1200 रुपये तक बेड की उपलब्धता के आधार पर सरकार ने निबंधन के लिए शुल्क निर्धारित किया है.

2000 से अधिक हैं जांच केंद्र व निजी अस्पताल :

जिले में 2000 से भी अधिक जांच केंद्र एवं निजी अस्पताल चलाए जा रहे हैं. वहीं आयुर्वेद, होम्योपैथिक क्लीनिक चलाये जा रहे है. अकेले आरा शहर में 300 से अधिक निजी अस्पताल, पैथोलॉजी जांच केंद्र, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एक्सरे सहित आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथी क्लिनिक चलाए जा रहे हैं. वहीं अनुमंडल एवं प्रखंड मुख्यालयों की बात कौन कहे, ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे-मोटे बाजारों में भी इस तरह के कई संस्थान चलाए जा रहे हैं. जबकि इन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. बेरोक-टोक इनका धंधा जारी है एवं इनके द्वारा मरीजों का आर्थिक दोहन कर रहे हैं. वही इनके स्तरीय नहीं होने के कारण मरीजों की जान पर खतरा बना रहता है.

सरकार को हो रही है काफी राजस्व की क्षति :

बिना निबंधन के संचालित जांच केंद्रों, निजी अस्पतालों एवं विभिन्न तरह के क्लिनिकों के कारण सरकार को काफी राजस्व की क्षति हो रही है. प्रतिवर्ष लाखों रुपए राजस्व डकार लिए जा रहे हैं. जबकि सदर अस्पताल प्रशासन एवं जिला प्रशासन के आंखों के सामने इन संस्थानों का संचालन किया जा रहा है.

रजिस्ट्रेशन के लिए निर्धारित किया गया है मानदंड :

निजी अस्पताल संचालन के लिए रजिस्ट्रेशन को लेकर सरकार ने जो मानदंड निर्धारित किए हैं, उसमें एक डॉक्टर का होना अनिवार्य है. इसके साथ नर्स ,कंपाउंडर, बेड एवं साफ-सफाई की व्यवस्था आवश्यक है. पर कई ऐसे निजी अस्पताल चलाए जा रहे हैं,जहां कोई डॉक्टर नहीं होता है. केवल अप्रशिक्षित नर्स एवं कंपाउंडर के माध्यम से मरीजों का शोषण किया जाता है. इससे उनके जीवन पर खतरा बना रहता है. इसके लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक इन संचालकों द्वारा दलाल रखे जाते हैं, जो गरीब एवं कम जानकारी वाले मरीजों को बहला-फुसलाकर लाते हैं एवं उनसे मोटी रकम ऐसी जाती है.

क्या कहती हैं सिविल सर्जन

जांच की जाती है. जांच के समय ऐसे लोगों द्वारा कई तरह की परेशानी खड़ी कर दी जाती है. फिर भी नियम विरुद्ध चलाये जा रहे जांच घर, क्लीनिक एवं एक्स-रे की जांच की जायेगी तथा उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. ताकि लोगों को सुविधा हो सके.

डॉ इला मिश्रा,

सिविल सर्जन

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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