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पानी के अभाव में खेतों में पड़ी दरार

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रोहणी नक्षत्र में की गयी खेती काफी लाभदायक

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रोहणी नक्षत्र में की गयी खेती काफी लाभदायक

भरगामा. भरगामा प्रखंड के विभिन्न गांवों में भू-जलस्तर में गिरावट आने के बाद खेतों में दरार पड़ने लगी है. किसान अपने खेतों में पड़ी दरार को देखकर काफी परेशान दिख रहे हैं. प्रखंड के विभिन्न गांव में कुछ किसानों के धान के बीचड़े तैयार भी हो चुके हैं. जबकि बारिश के अभाव में खेतों में दरार पड गया है. इस वर्ष भी किसानों को सूखे की मार की आशंका सता रही है. कृषि कार्य शुरू होने वाला है. 25 मई को रोहिणी नक्षत्र भी प्रवेश कर चुका है. एक पखवारा बीत जाने के बाद भी बारिश के असार नहीं दिख रहे हैं. एक तरफ भीषण गर्मी से चारों ओर लोग परेशान हैं. दूसरी ओर भू-जलस्तर में गिरावट आने से पेयजल की विकट समस्या उत्पन्न हो चुकी है. खेतों में खरीफ फसल बोने के लिए किसान आस लगाये हुए हैं. लेकिन कहीं भी पानी की व्यवस्था नहीं है. नदी, नाला, तालाब, कुंआ व चापाकल आदि सूखा पड़ा है. स्थिति यह है कि लोगों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है. खेती के लिए पानी की व्यवस्था करना किसानों के लिए समस्या बनी हुई है. कृषि कार्य के लिए रोहिणी नक्षत्र काफी उपयुक्त

कृषि कार्य के लिए रोहिणी नक्षत्र काफी उपयुक्त माना गया है. इस नक्षत्र में धान का बिचड़ा बोने पर फसल का उत्पादन काफी अच्छा होता है. लेकिन जलस्तर में गिरावट आने के बाद खेतों में दरार पड़ गयी है. खेतों में हल चलना भी मुश्किल है. धान का बिचड़ा बोने के लिए खेत तैयार नहीं हो पा रहा है. पिछले एक पखवाड़े से बारिश नहीं हुई है. भू-जलस्तर काफी नीचे चला गया है. पानी के अभाव में खेतों मे लगा मूंग, सब्जी सहित अन्य फसल सूखने के कगार पर है. किसानों को सूखाड़ होने की चिंता सता रही है. किसान कन्हैया झा, संजय मिश्र, प्रभात सिंह, वरूण झा, बब्बन सिंह, बबलू रजक, हरिनंदन मंडल, शेखपुरा गांव के किसान सुधीर यादव, रविंद्र यादव, महथावा के किसान पांडव यादव, शेखर यादव, उज्ज्वल यादव, जयनगर के किसान सुनील सिंह, रणधीर सिंह, कौशल सिंह भदोरिया, रमण सिंह, सुमन सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष भी किसान सुखाड़ की मार झेल चुके हैं. किसानों को लागत के अनुपात में फसल का उत्पादन नहीं हो सका. महाजन से कर्ज लेकर फसल का उत्पादन भी किया. लेकिन किसान कर्ज से दब गये हैं. वहीं सरकार भी केवल किसानों के साथ छलावा कर ठगने का काम कर रही है. किसानों के हित में सही तरीके से कोई योजना संचालित नहीं किया जा रहा है. यदि सरकार की योजना आती भी है तो खेती करने वाले किसान को जानकारी भी नही मिलती है. जबकि पंपसेट से पटवन करना काफी महंगा पडता है.

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मुख्य सड़क के किनारे बना गढ्ढा, टूटने लगी सड़क

फोटो:4- निर्माण के कुछ दिन बाद हीं टूटती सड़क.

प्रतिनिधि, भरगामा

प्रखंड के भरगामा-सैफ

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