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बिहार: भागलपुर में 15000 विद्यार्थियों का सरकारी स्कूल से नाम कटा, के के पाठक से हेडमास्टरों की बढ़ी टेंशन

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बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश का असर दिखने लगा है. भागलपुर में 15 हजार विद्यार्थियों का नाम स्कूल से काट दिया गया है. वहीं अब हेडमास्टरों की टेंशन अलग बढ़ गयी है. जानिए डीपीओ ने क्या कहा..

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Bihar School News: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) के निर्देश का अब पालन हो रहा है और स्कूल नहीं आने वाले विद्यार्थियों के नाम भी काटे जा रहे हैं. सरकारी स्कूल में केवल योजनाओं का लाभ लेने के उद्देश्य से एडमिशन लेने वाले छात्र-छात्राएं शिक्षा विभाग के रडार पर है. भागलपुर में विद्यालय से दूर रहने वाले विद्यार्थियों के नाम काटे जा रहे हैं. अब तक जिले के 15 हजार छात्र-छात्राओं के नाम काटे जा चुके हैं.

किन बच्चों का नाम स्कूल से काटा गया? डीपीओ ने बताया..

भागलपुर के डीपीओ जमाल मुस्तफा ने कहा कि 15 हजार छात्र-छात्राओं के नाम स्कूल से कट चुके हैं. ये सभी ऐसे बच्चे हैं, जो सिर्फ सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूल में नामांकन कराते हैं. ये बच्चे स्कूल नहीं आते है. ऐसे में स्कूल में छात्रों की उपस्थिति नामांकन के अनुरूप नहीं होती है.शिक्षा विभाग से जारी पत्र के आधार पर जिले के स्कूलों के प्रधानाध्यापक द्वारा ऐसे छात्र-छात्राओं का नामांकन लगातार काटा जा रहा है. शिक्षा विभाग का निर्देश है कि 75 फीसदी छात्र-छात्राओं का क्लास में उपस्थिति अनिवार्य है.

स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति पर प्रधानाध्यापक का वेतन रुकेगा

वहीं अब स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति प्रधानाध्यापकों के लिए भी नयी मुसीबत बन गयी है. भागलपुर के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने मंगलवार को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि जिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है. वहां के प्रधानाध्यापक नामांकन रद्द करने में संकोच व्यक्त कर रहे हैं. ऐसे प्रधानाध्यापकों पर भी अब कार्रवाई की जायेगी. निरीक्षण के दौरान स्कूलों में 50 फीसदी से कम उपस्थिति पायी जाती है, तो प्रधानाध्यापक का वेतन रोक लिया जाएगा.

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कॉलेजों में भी दिखने लगा असर..

उधर, राजभवन व सरकार के निर्देश का असर भागलपुर के कॉलेजों में पठन-पाठन व स्टूडेंट पर दिखने लगा है. कॉलेजों में स्टूडेंट की उपस्थिति बढ़ी है. कॉलेजों में क्लास रूम व डेस्क-बेंच कम पड़ने लगे हैं. क्लास में अधिक संख्या में स्टूडेंट के आने पर बैठने के लिए डेस्क-बेंच नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में स्टूडेंट को कभी-कभी खड़े रहकर भी क्लास करना पड़ता है. कॉलेजों के प्राचार्यों का कहना है कि क्लास रूम व डेस्क-बेंच की व्यवस्था करायी जायेगी. इसे लेकर विकल्प तलाशा जा रहा है. बीएन कॉलेज, एसएम कॉलेज, टीएनबी कॉलेज व मारवाड़ी कॉलेजों में स्टूडेंट की संख्या बढ़ने से जगह की कमी होने लगी है.

75 फीसदी हाजिरी पूरा नहीं होने पर परीक्षा फॉर्म भरने से रोका जायेगा

राजभवन व शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय व कॉलेजों से कहा कि स्टूडेंट की क्लास में 75 फीसदी उपस्थिति पूरी नहीं होने पर परीक्षा फॉर्म भरने से ऐसे छात्रों को रोका जाये. इसे लेकर कॉलेजों ने भी नोटिस जारी की कि स्टूडेंट को अनिवार्य रूप से 75 फीसदी क्लास में उपस्थिति करानी होगी. इसके बाद से ही कॉलेजों में एकाएक स्टूडेंट की उपस्थिति बढ़ गयी है.

केके पाठक का नया फरमान..

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि स्कूलों के प्रभावी निरीक्षण के लिए ब्लाक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (बीपीएमयू) सक्रिय की जाए. बीपीएमयू में 14 कर्मी कार्यरत होने चाहिए. जिस ब्लॉक में 14 कर्मी नहीं हैं, वहां निर्धारित एजेंसी से कर्मियों की कमी पूरी की जाये. इस संदर्भ में जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं. बीपीएमयू के सभी पदाधिकारी एवं कर्मचारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के सीधे नियंत्रण में रहेंगे. अपर मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा है कि स्कूल परिसर में ग्रीन अथवा ब्राउन एरिया को खराब न किया जाये. कहा कि निरीक्षण के दौरान स्कूलों के खाते में पड़ी राशि की भी जानकारी ली जाये. प्रत्येक माह के अंत में मासिक परीक्षा, प्रति सप्ताह टेस्ट और प्रतिदिन होमवर्क दिया जा रहा है या नहीं, इसकी जानकारी निरीक्षण के दौरान अनिवार्य तौर पर ली जाये. अपर मुख्य सचिव ने दो टूक आदेश दिये हैं कि कोई भी पदाधिकारी स्कूल के निरीक्षण पर जाये तो विद्यालय के सभी कमरों के ताले खुलवाएं. इससे पहले प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश देकर वह सुबह नौ बजे से पहले सभी दरवाजों के ताले खोलें. साथ ही विद्यालय अवधि के बाद कमरों के ताले लगवाएं. इस निर्देश का पालन होना चाहिए

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