22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

US Election : अमेरिका-भारत साझेदारी और मजबूत होने की उम्मीद

Advertisement

Donald Trump : ट्रंप की जीत का संकेत पारंपरिक ऊर्जा उद्योगों को समर्थन के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें तेल, गैस और कोयला क्षेत्र में कम विनियमन शामिल है. यह बाइडेन प्रशासन की नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु पहलों के खिलाफ है, जिनका भारत को भी लाभ मिला था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Donald Trump : ट्रंप की जीत का आर्थिक और भू-राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव होगा, और भारत के लिए यह नतीजा खास अवसरों और चुनौतियों का एक अनोखा सेट पेश करता है, खासकर व्यापार, रक्षा और विदेश नीति के संदर्भ में. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत पर सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव उनकी आर्थिक और व्यापार नीति में देखा जा सकता है. ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीतियों को प्राथमिकता दी है, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता कम करने और विदेशी वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने पर जोर देती है. उनके इरादे चीन से आने वाले आयातों पर शुल्क बढ़ाने के हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है.

- Advertisement -

अमेरिकी कंपनियां, जो लागत में वृद्धि से बचना चाहती हैं, चीन से अपने संचालन को हटाकर अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित कर सकती हैं, और भारत एक उपयुक्त विकल्प बन सकता है. हालांकि इसमें चुनौतियां भी हैं. ट्रंप की नीतियां भारत पर अपने व्यापारिक अवरोधों को कम करने का दबाव डाल सकती हैं, खासकर आइटी, फार्मास्युटिकल और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में. उदाहरण के लिए, भारतीय जेनेरिक दवा निर्यात पर अधिक शुल्क या जांच का सामना करना पड़ सकता है, जो फार्मास्युटिकल क्षेत्र के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसके अलावा, अगर ट्रंप की व्यापारिक नीतियों से अमेरिकी खर्च में कटौती होती है, तो यह भारतीय आइटी और सेवाओं के क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है जो अमेरिकी ग्राहकों पर काफी निर्भर हैं. हालांकि चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में कमी का लाभ भारत को मिल सकता है, लेकिन अमेरिकी आयातों पर बढ़े हुए शुल्क और आत्मनिर्भरता की संभावित नीति भारतीय निर्यात के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.


ट्रंप की जीत का संकेत पारंपरिक ऊर्जा उद्योगों को समर्थन के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें तेल, गैस और कोयला क्षेत्र में कम विनियमन शामिल है. यह बाइडेन प्रशासन की नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु पहलों के खिलाफ है, जिनका भारत को भी लाभ मिला था. अगर ट्रंप अपने फॉसिल ईंधनों को प्राथमिकता देते हैं, तो इससे भारत की नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं. हालांकि पारंपरिक ऊर्जा के बड़े आयातकों के रूप में भारत को तेल और गैस की कीमतों में स्थिरता से फायदा हो सकता है, यदि अमेरिका घरेलू ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है. ट्रंप की विदेश नीति से उम्मीद की जा सकती है कि यह अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करेगी, खासकर भारत-प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में. अपने पिछले कार्यकाल के दौरान उन्होंने क्वाड को मजबूत किया, जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देता है. ट्रंप के नये नेतृत्व में भारत को क्वाड ढांचे के भीतर पहल का समर्थन, संयुक्त सैन्य अभ्यास और हथियार बिक्री में सुधार की उम्मीद है, जो भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ मेल खाता है.


ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मजबूत रक्षा संबंधों का समर्थन करने की घोषणा की है और अमेरिका-भारत साझेदारी की सराहना की है, जो रक्षा सहयोग, मिलिट्री-टू-मिलिट्री एक्सचेंज और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ाने का संकेत देता है. ऐसे सहयोग से भारत की क्षेत्रीय स्थिरता बनाये रखने की क्षमता बढ़ेगी, विशेष रूप से चीन के साथ चल रहे क्षेत्रीय विवादों के मद्देनजर. ट्रंप प्रशासन कठोर आव्रजन नीतियों को पुनर्जीवित कर सकता है, खासकर एच-1बी वीजा पर, जिससे भारतीय पेशेवरों को महत्वपूर्ण चुनौतियां मिल सकती हैं. एच-1बी वीजा प्रोग्राम, जिसका भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों और कुशल पेशेवरों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, भारतीय प्रतिभाओं की अमेरिका में प्रवेश को जटिल बना सकता है. अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने वीजा प्रतिबंध लागू किये थे, जिसने हजारों भारतीय आइटी पेशेवरों और कंपनियों को प्रभावित किया था, श्रम लागत में वृद्धि हुई थी और भारतीय कंपनियों ने अन्य बाजारों का पता लगाना या घरेलू संचालन का विस्तार करना शुरू कर दिया था.


ट्रंप के वापस सत्ता में आने से कड़ी आव्रजन नीतियां फिर से भारतीय श्रमिकों के लिए अमेरिकी नौकरी के बाजारों तक पहुंच में बाधा डाल सकती हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो भारतीय कुशल श्रमिकों पर निर्भर हैं, विशेष रूप से तकनीकी क्षेत्र. यह विकास भारतीय फर्मों को वैकल्पिक वैश्विक बाजारों में निवेश करने या घरेलू तकनीकी अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित कर सकता है.


ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने से दक्षिण एशिया में अमेरिका की नीति में बदलाव हो सकता है, जो भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है. ट्रंप ने आतंकवाद विरोधी मामलों में विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ सहयोग करने की इच्छा दिखाई है, हालांकि उन्होंने जिम्मेदारी भी मांगी है. यह दृष्टिकोण भारत की क्षेत्रीय स्थिरता में रुचि के साथ मेल खाता है, विशेष रूप से जब वह पाकिस्तान के साथ संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश करता है. इसके अलावा, चीन के खिलाफ ट्रंप का कड़ा रुख, जिसे उन्होंने पिछले समर्थन से प्रदर्शित किया था, जारी रहने की संभावना है.

यह दृष्टिकोण भारत के लिए लाभकारी है. भारत को चीनी गतिविधियों का मुकाबला करने में अमेरिका से बढ़ा हुआ समर्थन मिल सकता है, जिसमें रक्षा प्रौद्योगिकी और खुफिया-साझाकरन में मदद शामिल है. एक ऐसा क्षेत्र जहां ट्रंप की नीति बाइडेन की नीति से भिन्न हो सकती हैं, वह है अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संघर्षों का संचालन, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष. ट्रंप का रूस के प्रति दृष्टिकोण बाइडेन की तुलना में कम टकरावपूर्ण है, और अमेरिका-रूस संबंधों का पुन: समायोजन भारत पर कुछ दबाव कम कर सकता है कि वह अपने लंबे समय से चले आ रहे रूस के साथ संबंधों और अमेरिका के साथ साझेदारी के बीच संतुलन बनाये रखे. चूंकि भारत ने रूस के साथ रक्षा संबंध बनाये रखा है, ऐसे में, रूस-यूक्रेन पर अमेरिका के रुख में बदलाव से भारत की विदेश नीति में जटिलताओं में कमी आ सकती है.


ट्रंप ने इस्राइल और ताइवान जैसे सहयोगियों के लिए अडिग समर्थन का वादा किया है, और बांग्लादेश में हाल ही में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की निंदा की है, जो दक्षिण एशिया में हिंदू चिंताओं के प्रति उनकी जागरूकता को दर्शाता है. यह फोकस भारत की क्षेत्रीय स्थिति का समर्थन कर सकता है, विशेष रूप से चरमपंथी हिंसा का मुकाबला करने और स्थिरता को बढ़ावा देने में. कुल मिलाकर, ट्रंप का पुनः व्हाइट हाउस में लौटना अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत और जटिल, दोनों कर सकता है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें