16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

यूएइ और भारत की गाढ़ी होती दोस्ती

Advertisement

वर्ष 2015 में, प्रधानमंत्री मोदी 34 साल बाद यूएई जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने. इसके अगले साल, 2016 में शेख मोहम्मद बिन जायद भारत आये और इसके अगले साल, यानी वर्ष 2017 में, वह भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर आये.

Audio Book

ऑडियो सुनें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संयुक्त अरब अमीरात (यूएइ) की राजधानी अबू धाबी का दौरा करना दो कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है. पहला कारण दोनों देशों का आपसी व्यापार लगातार बढ़ रहा है. पिछले वर्ष दोनों पक्षों का आपसी व्यापार 85 अरब डॉलर के करीब रहा. इसमें तेल का व्यापार भी शामिल है. मगर, गैर-तेल उत्पादों का भी निर्यात लगातार बढ़ रहा है. ऐसी उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में यह आपसी व्यापार घोषित लक्ष्य को पार कर जाएगा.

- Advertisement -

भारत-यूएइ का कारोबार पिछले साल मई में दोनों देशों की समग्र आर्थिक सहयोग संधि के लागू होने के बाद 15 प्रतिशत बढ़ा है. किसी भी और देश के साथ भारत का कारोबार इतना ज्यादा नहीं बढ़ा है. प्रधानमंत्री मोदी और यूएइ के अध्यक्ष शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान की मुलाकात में एक दूसरी महत्वपूर्ण प्रगति स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने को लेकर हुई है. आज डॉलर जिस प्रकार से मजबूत हो रहा है, उससे अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में भारतीय उत्पाद कम होते जा रहे हैं.

दरअसल, यूएइ भारतीय निर्यातकों के लिए एक हब जैसा है. यदि रुपये या दिरहम में व्यापार शुरू हो जाएगा तो भारत का निर्यात बहुत जल्दी दोगुना बढ़ सकता है. यूएइ तब भारत से ज्यादा सामान खरीद कर उन्हें पाकिस्तान, ईरान, मध्य एशिया, अफ्रीका, यूरोप या पूरे अरब जगत में बेच सकता है. महंगे डॉलर की वजह से भारत इतना निर्यात नहीं कर पा रहा है.

तीसरा महत्वपूर्ण कदम यूएइ में काम कर रहे या वहां घूमने जाने वाले भारतीयों के बारे में उठाया गया है. वे अब भारत के बैंकों या दूसरे वित्तीय संस्थानों के क्रेडिट कार्ड का यूएइ में इस्तेमाल कर सकेंगे. इससे वहां रहने वाले भारतीय आसानी से पैसे भेज सकेंगे. इस फैसले से ऐसे लेन-देन को आयकर के दायरे में लाने में भी मदद मिलेगी.

फिलहाल, ऐसे लेन-देन हवाला के जरिये होते हैं, जिससे भारतीय बैंकों या भारत के सरकारी खजाने को जितनी कमाई होनी चाहिये, वह नहीं हो पा रही है. यह हवाला जैसे गैर-कानूनी कारोबार पर रोक लगाने की दिशा में उठाया गया एक दूरदर्शी कदम है. इससे वहां रह रहे भारतीयों या किसी अन्य देश के लोगों द्वारा दुबई के रास्ते तस्करी या अन्य जरियों से सोना या दूसरी चीजें लाने के चलन में भी कमी आयेगी. अब चूंकि दोनों ही देश अपनी-अपनी मुद्राओं या क्रेडिट कार्ड से लेन-देन कर सकेंगे, तो इससे दोनों ही सरकारों को फायदा होगा.

इससे अब तक नाजायज फायदा उठाते रहे तीसरे पक्षों का असर कम हो जाएगा. दुबई से शुरू हुआ काले धन के आपराधिक कारोबार का ये सिलसिला पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका और कैरीबियाई देशों तक पहुंच गया था, जिससे भारत को नुकसान हो रहा था. स्थानीय मुद्राओं में कारोबार होने से यूएइ भारत में भी सीधे निवेश कर सकता है.

भारत और यूएइ की ओर से लिया गया यह एक ठोस कदम है. अरब के दूसरे देश जैसे सऊदी अरब और कतर ने बहुत लंबे-चौड़े वादे किए, मगर केवल खाड़ी के देश यूएइ ने एक उपयुक्त ढांचा बना कर और वास्तविक निवेश की व्यवस्था कर ठोस कदम उठाया है.

भारतीय प्रधानमंत्री ने अबू धाबी पहुंच कर यूएइ के अध्यक्ष शेख मोहम्मद बिन जायेद से कहा कि ‘हर भारतीय उन्हें एक सच्चा दोस्त मानता है’. दरअसल, भारत और यूएइ की दोस्ती बहुत पुरानी है. दशकों पहले भारत के गुजरात और पश्चिमी राजस्थान से लोग दुबई गये थे. ईरान के बंदर अब्बास, चाबहार और अन्य शहरों में जब राष्ट्रीयकरण शुरू हुआ, तो इन ईरानी शहरों और इराक के बसरा से सभी गुजराती और राजस्थानी व्यापारी दुबई चले आये.

यह पहले विश्वयुद्ध के बाद हुआ. तभी से दुबई भारत और खाड़े के अन्य देशों के बीच व्यापार का एक केंद्र बन गया. वहां से तब मोती, खजूर और घोड़े आया करते थे. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब अरब जगत में तेल का भंडार मिला, और तेल से कमाई होने लगी, तो वहां भारतीय उपभोक्ता सामग्रियों की मांग बढ़ने लगी. इनमें चावल, मसाले, कपड़े और फर्नीचर जैसी चीजें शामिल थीं.

वर्ष 1973 के बाद जब यूएइ में पेट्रो डॉलर आने शुरू हुए तो भारत के लोगों ने वहां बहुत बड़ी तादाद में नौकरियां हासिल करनी शुरू कीं. हालांकि, तब राजनीतिक तौर पर दोनों देशों का संपर्क कमजोर रहा. वर्ष 1981 में इंदिरा गांधी की यूएइ यात्रा के बाद लंबे समय तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने यूएइ का दौरा नहीं किया. वर्ष 2015 में, प्रधानमंत्री मोदी 34 साल बाद यूएइ जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने.

इसके अगले साल, 2016 में शेख मोहम्मद बिन जायद भारत आये और इसके अगले साल, यानी वर्ष 2017 में, वह भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर आये. मगर 1981 के बाद से राजनीतिक तौर पर संपर्क भले ही न हुआ हो, मगर दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों का संपर्क बढ़ता गया. साथ ही, दोनों के बीच सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत होते गये. इन वजहों से दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों का एक आधार तैयार हो गया था.

इसे वर्ष 2014 के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने यूएइ का दौरा कर दृढ़ता प्रदान की. भारत ने यूएइ के साथ समग्र रणनीतिक साझेदारी की और उसे रणनीतिक तौर पर बहुत महत्व दिया. आज यूएइ भारतीय विदेश नीति का एक आधार-स्तंभ बन चुका है. भारत ने यूएइ के साथ-साथ पश्चिम एशिया या मध्य पूर्व में सऊदी अरब और इसराइल के साथ भी एक सकारात्मक और संतुलित रणनीति को अपनाया है.

भारत और यूएइ की दोस्ती दोनों ही पक्षों के साझा हित पर टिकी है. दुबई के शेख व्यापार के मामले में गुजरात के कारोबारियों से भी आगे समझे जाते हैं. बिना किसी फायदे के वे किसी की ओर निगाह उठा कर भी नहीं देखते. कारोबार की ऐसी समझ और तजुर्बे की ही बदौलत उन्होंने खाड़ी में सबसे शानदार शहर बसा लिया है. कतर, कुवैत, सऊदी अरब, ओमान या ईरान जैसे देश भी दुबई के जैसा बनना चाहते हैं.

लेकिन, कोई भी उस स्तर तक नहीं पहुंच सका है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि अबू धाबी और दुबई के शेख काफी दूर की सोचते हैं. उन्हें पता है कि आने वाले समय में अमेरिका, यूरोप और चीन के बाद भारत ही ऐसा देश है जो आर्थिक और राजनीतिक तौर पर विश्व मंच पर एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. इसी वजह से उन्होंने पाकिस्तान के साथ भी सौतेला व्यवहार करना शुरू कर दिया है और अब उनका ध्यान भारत पर ज्यादा है.

(बातचीत पर आधारित)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें