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नयी उम्मीदों और नये संकल्पों का वर्ष

Happy New Year 2025 : फिर से नया साल आ गया है. कई लोगों की पोस्ट फेसबुक पर देखती हूं, तो वे नवंबर-दिसंबर से ही कहने लगते हैं कि आने वाले साल में टाइम टेबल बनाकर काम करेंगे. ये बीते वर्ष से लिये गये सबक होंगे, क्योंकि इस साल कई महत्वपूर्ण काम छूट गये.

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Happy New Year 2025 : कुछ दशक पहले तक नया साल आने की धूमधाम इतनी सुनाई नहीं देती थी. तब कहा जाता था कि यह नया साल भारतीय नहीं है. फिर बीती सदी के 90 के दशक में मीडिया का फैलाव हुआ. टीवी चैनल घर-घर जा पहुंचे. छोटे शहर, गांव सब जगह दूरदर्शन के दर्शक बने और नया साल भी शुरू हो गया. आज भी कुछ लोग पश्चिमी संस्कृति कहकर इसके विरोध में कुछ न कुछ बोलते रहते हैं, मगर कौन सुनता है!


फिर से नया साल आ गया है. कई लोगों की पोस्ट फेसबुक पर देखती हूं, तो वे नवंबर-दिसंबर से ही कहने लगते हैं कि आने वाले साल में टाइम टेबल बनाकर काम करेंगे. ये बीते वर्ष से लिये गये सबक होंगे, क्योंकि इस साल कई महत्वपूर्ण काम छूट गये. नये साल में और क्या-क्या हो सकता है, इसके बारे में कई लोग बता रहे हैं कि वे नौकरी बदलने की सोच रहे हैं. इस साल इस बारे में वे गंभीरता से प्रयास करेंगे. कुछ का कहना है कि वे पिछले साल यूरोप की सैर करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाये, तो इस साल अपने सपने पूरे करेंगे. कुछ लोग अपने गांव में कुछ महीना बिताकर अपने बचपन को लौटा लाना चाहते हैं. उनका कहना है कि कुछ दिन गांवों में रहकर वे महानगरों में फैले प्रदूषण से बचेंगे, हरियाली के साथ वक्त बितायेंगे, गन्ने और गुड़ का आनंद लेंगे. बहुत-से युवाओं को उम्मीद है कि इस साल वे अपने माता-पिता को मना लेंगे और जाति-धर्म से परे अपने प्यार को पा लेंगे.

नये लड़के-लड़कियां अपने स्वास्थ्य पर ठीक से ध्यान देना चाहते हैं, जिससे कि छोटी उम्र में ही उन रोगों से बचा जा सके, जो आजकल युवाओं को हो रहे हैं. कुछ युवाओं की ऐसी दिलचस्प पोस्ट भी पढ़ी कि उम्मीद है कि लोग मुझे इस साल भी पुराने साल की तरह टैग करते रहेंगे, जिससे कि मुझे खूब परेशानी हो. टीवी चैनल मनाली और तमाम पहाड़ी पर्यटन स्थलों के दृश्य दिखा रहे हैं. संयोग से इस साल बर्फ भी खूब पड़ी है. मैदानी इलाके कांप रहे हैं और पर्यटक बर्फ में आनंद मनाते हुए दिख रहे हैं.


इस नये साल में सबसे पहले बच्चों, युवाओं को परीक्षा का सामना करना पड़ेगा. जाहिर है, इसकी तैयारी तो वे बीते साल से ही कर रहे होंगे. अब परीक्षा बिल्कुल सिर पर दिखायी दे रही होगी. विशेषज्ञों की राय में छात्र बिल्कुल भी तनाव न लें. सफलता मिलने में तनाव बेहद घातक है. छात्र पढ़ने में तो समय बिताएं ही, कुछ समय मनोरंजन और हिलने–मिलने को भी दें. यदि संयुक्त परिवार में रहते हैं, दादा-दादी साथ हैं, तो उनके साथ वक्त बितायें. उनसे बातचीत तनाव दूर करती है. कुछ साल पहले परीक्षा के दिनों में बच्चों में होने वाले तनाव पर तमिलनाडु में एक अध्ययन किया गया था. उसमें पता चला था कि एकल परिवारों में रहने वाले बच्चों की तुलना में संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चों में परीक्षा के दिनों में तनाव और चिंता कम होती हैं. एकल परिवार में रहने वाले बच्चे भी अपने नाते-रिश्तेदारों और मित्रों से बातचीत कर सकते हैं. दरअसल पिछले कुछ वर्षों से यह देखा गया है कि परीक्षा के दिनों में बच्चों और युवाओं की परेशानी बहुत बढ़ जाती है.


नया साल आ गया. कुछ ही दिनों मे वसंत आ जायेगा. पेड़-पौधे, खेत-खलिहान-सब हरियाली से भर जायेंगे. पीली सरसों लहलहायेगी. चारों तरफ फूल ही फूल खिले होंगे. वसंत को यूं ही तो ऋतुराज नहीं कहा गया. जो लोग गांवों की सैर पर जायेंगे, वे इसका भरपूर आनंद उठा सकेंगे. वसंत को लेकर लिखी गयी केदारनाथ अग्रवाल की कविता याद आती है-‘हवा हूं, हवा मैं वसंती हवा हूं, वही हूं, वही जो युगों से गगन को, बिना कष्ट-श्रम के सम्हाले हुए हूं, हवा हूं, हवा, मैं वसंती हवा हूं.’ वसंत और होली का साथ तो मशहूर ही है. पिछले साल जो त्योहार मनाये, उनका इंतजार भी दोबारा से शुरू हो जायेगा. वैसे भी इस साल तो प्रयागराज में बारह साल में एक बार आने वाला महाकुंभ भी लग रहा है. असंख्य लोग वहां जायेंगे और संगम में स्नान और पूजा–आराधना की अपनी इच्छा पूरी करेंगे.


नये साल में हम जो भी संकल्प लें, उनमें एक संकल्प टाइम मैनेजमेंट का तो होना ही चाहिए. गया हुआ वक्त वापस नहीं आता, यह तो हम सब जानते ही हैं. टाइम मैनेजमेंट का यह मूल मंत्र है. पिछला साल डिजिटल अरेस्ट और करोड़ों की धोखाधड़ी की खबरों से गूंजता रहा. कितने युवा, बुजुर्ग, बच्चे, साइबर ठगी के शिकार हुए. मशहूर हिंदी कवि नरेश सक्सेना भी इसके जाल में फंसने से बाल-बाल बचे. इनसे बचने के उपायों के रूप में जांच एजेंसियां कहती हैं कि अपने बारे में पब्लिक प्लेटफॉर्म, जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, यहां तक कि व्हाटसएप पर भी जानकारी साझा न करें. हर एक को अपना मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट, ई-मेल आइडी आदि नहीं देने चाहिए. और अपनी परेशानियां भी अपने परिवार वालों या निकट मित्रों से ही साझा करनी चाहिए. महान कवि रहीम के इस दोहे को याद रखा जा सकता है- ‘रहिमन निज मन की बिथा मन ही राखौ गोय, सुन इठिलैहैं लोग सब बांटि न लेहैं कोय’. यानी, यदि आप अपनी परेशानियां सबको बताने लगे, तो मजाक उड़ाने वाले तो सब मिलेंगे, परेशानी बांटने वाला कोई नहीं मिलेगा.


यूं इस साल के बारे में बहुत-सी अच्छी बातें सोची जा सकती हैं. काश, कि दुनिया से हथियारों के जखीरे खत्म हो जायें, सब शाति से रह सकें. रूस, यूक्रेन, इस्राइल, फिलीस्तीन का युद्ध समाप्त हो. दुनिया से भूख, गरीबी और आतंकवाद का अंत हो. स्वास्थ्य उद्योग व्यापारिक हितों के मुकाबले, आम लोगों के हित में काम करे. सभी देश यह प्रतिज्ञा करें कि किसी के भड़कावे में आकर वे अपने पड़ोसियों से नहीं लड़ेंगे. दुनिया में जो भी तोड़ने वाले विचार सिर उठा रहे हैं, उनके स्थान पर जोड़ने वाले विचारों को प्राथमिकता मिले. हर स्त्री-पुरुष, बच्चा, बुजुर्ग प्यार से रह सके. न किसी इंजीनियर अतुल सुभाष को मौत को गले लगाना पड़े, न कोई आरजे सिमरन लटक कर अपनी जान दे. खबरें बता रही हैं दुनिया भर के होटल, रिसॉर्ट्स, पर्यटक स्थल नये साल में खूब सजे हुए हैं. अनेक लोग नये साल का जश्न मनायेंगे या मना रहे होंगे. जश्न मनायें, लेकिन अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखें. तेज गति से गाड़ी दौड़ाने के बजाय संभलकर चलें, हौले-हौले. सभी को नये साल की शुभकामनाएं.
(ये लेखिका के निजी विचार हैं.)

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