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अप्रत्याशित संकटों से निपटने की तैयारी

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‘ब्लैक स्वान’ घटनाओं का तात्पर्य ऐसी घटनाओं से है, जो अचानक घटित हो, जो कल्पना से परे हो. सुरक्षा के मायने केवल सीमा सुरक्षा की पारंपरिक समझ तक सीमित नहीं है.

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भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने उचित ही यह आह्वान किया है कि सशस्त्र सेनाओं को ‘ब्लैक स्वान’ यानी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि देशों के बीच की रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में तकनीक एक नया क्षेत्र बनकर उभरा है. ‘ब्लैक स्वान’ घटनाओं का तात्पर्य ऐसी घटनाओं से है, जो अचानक घटित हो, जो कल्पना से परे हो. आज के दौर में सुरक्षा के मायने केवल सीमा सुरक्षा की पारंपरिक समझ तक सीमित नहीं है. अब इसमें मानवीय सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा आदि पहलू भी शामिल हैं.

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उदाहरण के लिए, हमारे देश की वित्तीय प्रणाली पर ऐसा कोई साइबर हमला हो, जो दो-तीन दिन के लिए अर्थव्यवस्था को ठप या बाधित कर दे. या स्टॉक एक्सचेंज में डिजिटल सेंधमारी हो जाए और शेयर बाजार रुक जाए. या विद्युत ग्रिड और उसकी आपूर्ति व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश हो. ऐसे हमलों के बारे में सोचा नहीं जाता या उनकी आशंका का अनुमान नहीं होता, वे अप्रत्याशित होती हैं. एक और उदाहरण देखें- अमेरिका में हुआ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला. उसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था. अभी लाल सागर में जो संकट चल रहा है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था और आपूर्ति शृंखला पर पड़ रहा है.

आज के समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था की विशेषता है उसकी अंतर्निर्भरता और इंटरनेट से उसका गहरा संबंध. विभिन्न आपूर्ति शृंखलाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं कि अगर एक जगह उसमें अवरोध आ जाए, तो अर्थव्यवस्था प्रभावित हो जाती है. ऐसे ही स्थितियों के लिए तैयार रहने की बात थल सेनाध्यक्ष जनरल पांडे ने की है. ऐसी घटनाओं को लेकर भारत ही नहीं, विश्व के तमाम बड़े देश आशंकित रहते हैं.

उल्लेखनीय है कि ये खतरे केवल देशों की ओर से ही नहीं आते, नॉन-स्टेट एक्टर भी इस तरह की स्थितियां पैदा कर सकते हैं. जैसे, हिंद महासागर क्षेत्र में कोई बड़ा आतंकी हमला हो जाए, तो भारत के आर्थिक हितों को बड़ा नुकसान हो सकता है क्योंकि उस क्षेत्र से हम तेल का आयात करते हैं, जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा का मुख्य आधार है. ऐसा होना एक ‘ब्लैक स्वान’ घटना ही होगी क्योंकि हमने उसके बारे में सोचा नहीं था और उससे हमें परेशानी हुई. जनरल पांडे ने आपूर्ति शृंखला की सुरक्षा को लेकर भी कहा है.

‘ब्लैक स्वान’ घटनाओं का तात्पर्य ऐसी घटनाओं से है, जो अचानक घटित हो, जो परिकल्पना से परे हो. आज के दौर में सुरक्षा के मायने केवल सीमा सुरक्षा की पारंपरिक समझ तक सीमित नहीं है. अब इसमें मानवीय सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा आदि पहलू भी शामिल हैं. उदाहरण के लिए, हमारे देश की वित्तीय प्रणाली पर ऐसा कोई साइबर हमला हो, जो दो-तीन दिन के लिए अर्थव्यवस्था को ठप या बाधित कर दे.

हिंद महासागर क्षेत्र में इस संबंध में चिंता जतायी जाती रही है. यह व्यापक मान्यता है कि कोई बड़ा वैश्विक भू-राजनीति या सामरिक संकट अगर होगा, तो वह हिंद महासागर में होगा. इसकी चिंता की वजह है उस क्षेत्र में चीन की लगातार बढ़ती सक्रियता. हाल में चीन एक नया मानचित्र भी लेकर आया, जिसको लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया में बड़ी बहस हुई और चीन की कड़ी आलोचना की गयी. यह समझना जरूरी है कि किसी अप्रत्याशित घटना को अंजाम देने में चीन सक्षम भी है. कुछ दिन पहले भारत के रक्षा प्रमुख ने रेखांकित भी किया था कि चीन हमारी सबसे गंभीर चुनौती है. उस दृष्टिकोण से यह भी कहा जा रहा है कि भारत और चीन के संबंध बेहतर होने चाहिए.

इस संदर्भ में सीमा विवाद सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि जब तक सीमा पर तनाव बना रहेगा, तब तक राजनीतिक संबंध अच्छे नहीं हो सकते हैं. हालांकि दोनों देशों के आर्थिक संबंध ठीक हैं और द्विपक्षीय व्यापार भी अच्छा चल रहा है, पर अगर राजनीतिक संबंधों में सुधार नहीं आता है, तो अप्रत्याशित घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहेगा. कभी भी कोई छोटी घटना एक बड़ी घटना में बदल सकती है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर हमेशा चीन के संदर्भ में कहते रहते हैं कि हमें सबसे पहले सीमा विवाद को सुलझाना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अभी एक साक्षात्कार में ऐसा कहा है. ऐसा होना कोई मुश्किल बात भी नहीं है, अगर दोनों देश इच्छाशक्ति दिखायें.

पश्चिमी देशों और चीन के बीच जो तनातनी चल रही है, उसमें चीन को लगता है कि भारत यदि पश्चिमी देशों से निकटता बढ़ायेगा, तो उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इसका कारण है कि भारत न सिर्फ चीन का एक ताकतवर पड़ोसी है, बल्कि हिंद महासागर में भी वह एक बड़ी शक्ति है. भारत के दृष्टिकोण में भी हाल के वर्षों में हम बदलाव देख रहे हैं. भारत ने यह समझा है कि चाहे चीन का मामला हो या पाकिस्तान का, वह पूरी तरह से पश्चिम पर निर्भर नहीं हो सकता है.

इसीलिए भारत विभिन्न देशों से संपर्क में है और विभिन्न मसलों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयासरत है. इस पृष्ठभूमि में ‘ब्लैक स्वान’ भारत और अन्य देशों के लिए एक चिंता का विषय है क्योंकि अगर आप किसी चीज के लिए तैयार नहीं है या उसकी आशंका नहीं है, तो उसका सामना कर पाना कठिन हो जाता है. जो देश साइबर हमले या डाटा सेंधमारी के सबसे बड़े भुक्तभोगी हैं, उनमें भारत भी शामिल है. हाल के कुछ ऐसे हमलों से गंभीर परेशानी हुई है. उदाहरण के लिए, दिल्ली स्थित एम्स के डिजिटल सिस्टम को निशाना बनाया गया, जिसे चिकित्सा जैसे आवश्यक कार्य में भारी अवरोध पैदा हुआ. बड़े पैमाने पर डाटा की चोरी भी ‘ब्लैक स्वान’ घटनाओं की श्रेणी में है.

आपूर्ति शृंखला को लेकर यह भी उल्लेखनीय है कि कहा जाता है कि हिंद महासागर में ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ के तहत भारत को घेरने की कोशिश चीन के द्वारा की जा रही है. इसी तरह, चीन के लिए ‘मलक्का डिलेमा’ है. संकरे मलक्का स्ट्रेट के रास्ते चीन का बहुत सारा ऊर्जा आयात खाड़ी के देशों से आता है. अगर उस संकरे रास्ते को अमेरिका और भारत मिलकर रोक दें, तो चीन के लिए मुश्किल हो सकती है. इसी तरह पर्शियन गल्फ में होर्मुज है या लाल सागर में बाब-ए-मंदेब है. ऐसे किसी भी जगह में कोई मामूली घटना गंभीर घटना बन सकती है. पिछले दिनों ईरान और पाकिस्तान के बीच मिसाइलों के हमले भी ‘ब्लैक स्वान’ घटना के उदाहरण हैं.

यह किसी ने नहीं सोचा था कि दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल चलायेंगे. ऐसी कोई स्थिति भी नहीं थी. पर जो हुआ, वह एक युद्ध का रूप ले सकता था क्योंकि दोनों देश बड़े सैनिक ताकत हैं. अप्रत्याशित घटनाओं से निपटने की तैयारी के क्रम में सबसे पहले तो हमें दुनिया पर गहरी निगाह रखनी होगी कि क्या-क्या हो रहा है और क्या-क्या हो सकता है. इस संबंध में गहन शोध की आवश्यकता भी है. सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों एवं संस्थाओं में भविष्य को लेकर आगाह रहने की क्षमता तथा सोच को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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