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Sunday, April 20, 2025 | 12:54 pm

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डॉ धनंजय

प्राध्यापक साउथ एशियन यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली

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अनिश्चितता के घेरे में बांग्लादेश

प्रधानमंत्री के त्यागपत्र के साथ प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग तो पूरी हो गयी है, पर इसी के साथ राजनीतिक स्थिरता और भावी सरकार को लेकर अनिश्चितता भी बढ़ गयी है. यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि साझा सरकार में अवामी लीग की क्या भूमिका होगी. अगर उसे सरकार में शामिल नहीं किया जाता है, तो क्या स्थिरता बहाल हो पायेगी, और यदि उसे नये शासन का हिस्सा बनाया जाता है, तो क्या यह प्रदर्शनकारियों को स्वीकार्य होगा- ऐसे सवाल बांग्लादेश के सामने हैं.

अप्रत्याशित संकटों से निपटने की तैयारी

‘ब्लैक स्वान’ घटनाओं का तात्पर्य ऐसी घटनाओं से है, जो अचानक घटित हो, जो कल्पना से परे हो. सुरक्षा के मायने केवल सीमा सुरक्षा की पारंपरिक समझ तक सीमित नहीं है.

सरकार पर हावी रहेगी पाकिस्तानी सेना

इस चुनाव ने फिर यह साबित किया है कि अगर पाकिस्तान में किसी भी प्रकार का लोकतंत्र चलाना है, तो वह पाकिस्तानी सेना को विश्वास में लिये बिना नहीं किया जा सकता है. इमरान खान के साथ जो भी हुआ है और हो रहा है, उसकी एकमात्र वजह उनका सेना से टकराव रहा है.

ईरान और पाकिस्तान के बीच टकराव

पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान हमारे पड़ोस में हैं. इसलिए भारत की आशा यही रहेगी कि दोनों देशों का टकराव आगे नहीं बढ़े और कोई बड़ा संकट पैदा न हो. इस संबंध में कूटनीतिक प्रयासों से तनावों का हल निकालने की कोशिश की जानी चाहिए.

भूटान का ऐतिहासिक आर्थिक निर्णय

इस परियोजना का आधार तब तैयार हुआ था, जब हाल में भूटान के नरेश भारत के दौरे पर आये थे. उस समय भारत और भूटान के बीच एक रेल नेटवर्क बनाने का समझौता हुआ था. अपने संबोधन में भी भूटान नरेश ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को धन्यवाद दिया है.

गाजा में अस्थायी युद्धविराम सराहनीय

इस समझौते की बड़ी जरूरत थी. यह सराहनीय है कि दोनों पक्ष इस बात को समझ चुके हैं. इस समझौते को कराने में कतर और मिस्र की केंद्रीय भूमिका रही है. अमेरिका ने भी कहा है कि समझौते की हर शर्त को लागू किया जाना चाहिए. लेकिन इस अस्थायी प्रक्रिया को शांति के लिए वार्ता नहीं समझा जाना चाहिए.

गलत है अफगान शरणार्थियों का निष्कासन

शायद आशा नहीं की जा सकती है कि पाकिस्तानी सरकार शरणार्थियों के निष्कासन की नीति को वापस लेगी क्योंकि पाकिस्तान को यह समझ में आ गया है कि तालिबान के साथ उनकी वैसी पटरी नहीं बैठेगी, जैसी उसे उम्मीद थी.

भारत के लिए आसियान कई मायने में अहम

भारत में इसी सप्ताह जी-20 शिखर सम्मेलन होना है और इस वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान शिखर सम्मेलन में जाने को लेकर थोड़ी हिचकिचाहट दिखा रहे थे

पाकिस्तान में स्थिरता की उम्मीद नहीं

ऐसा होने की आशंका न के बराबर है कि सत्ता पर सेना काबिज हो जाए. वह मौजूदा सरकार के जरिये ही इमरान खान को काबू में करने की कोशिश करेगी और बहुत संभव है कि इमरान खान लंबे समय के लिए जेल भेज दिये जाएं.
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