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जानिए आचार्य महाप्रज्ञ को, जिनके जन्मशताब्दी पर पीएम मोदी ने किया आत्मनिर्भर भारत का जिक्र

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पीएम मोदी ने जैन संत आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी पर संबोधन करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी कहते थे, ‘मैं और मेरा छोड़ो तो सब तुम्हारा ही होगा’. उनका ये मंत्र, उनका ये दर्शन उनके जीवन में स्पष्ट दिखाई भी देता था.

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नयी दिल्ली : जैन संत आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी पर आज पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित किया. अपने संबोधनके दौरान पीएम ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी कहते थे, ‘मैं और मेरा छोड़ो तो सब तुम्हारा ही होगा’. उनका ये मंत्र, उनका ये दर्शन उनके जीवन में स्पष्ट दिखाई भी देता था.

पीएम ने आगे कहा कि दुनिया में जीवन जीने का दर्शन तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन इस तरह का जीवन जीने वाला आसानी से नहीं मिलता. जीवन को इस स्थिति तक ले जाने के लिए तपना पड़ता है, समाज और सेवा के लिए खपना पड़ता है.

मोदी ने कहा, ‘योग के जरिये उन्होंने लाखों लोगों को अवसाद मुक्त जीवन जीने की कला सिखाई.’ उन्होंने कहा कि यह भी एक सुखद संयोग है कि रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि यह भी एक सुखद संयोग है कि रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के संभावित संदर्भ में कहा, ‘आचार्य महाप्रज्ञ जी ने हमें एक और मंत्र दिया. उनका मंत्र था- ‘स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ समाज, स्वस्थ अर्थव्यवस्था’. आज की परिस्थिति में उनका मंत्र हम सभी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है.

कौन थे आचार्य महाप्रज्ञ- आचार्य महाप्रज्ञ जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ के 10वें गुरू थे. उनका जन्म 14 जून 1920 को हुआ था. वे 9 वर्ष की आयु में ही घर से निकलकर सन्यास की राह पर चल दिये थे. आचार्य महाप्रज्ञ का 2010 में देहावासान हो गया. वे मूलरूप से राजस्थआन के झूंझुनू के थे.

300 से अधिक पुस्तक लेखन- आचार्य महाप्रज्ञ अपने जीवनकाल में 300 से अधिक पुस्तक लिख चुके थे. एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नब्बे वर्षीय आचार्य महाप्रज्ञ ने तीन सौ से अधिक पुस्तकें लिखी. इसके अलावा उन्होंने जैन पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और जैन योग एवं ध्यान परम्परा को आगे बढ़ाया.

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