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बेपटरी है खानपान, आफत में जान

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चक्की. प्रखंड अंतर्गत जवहीं पंचायत के महाजी डेरा गांव के वार्ड 6 एवं 7 में पांच दिनों से लोगों के घरों में बाढ़ का पानी यथावत बना है. गंगा के

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चक्की. प्रखंड अंतर्गत जवहीं पंचायत के महाजी डेरा गांव के वार्ड 6 एवं 7 में पांच दिनों से लोगों के घरों में बाढ़ का पानी यथावत बना है. गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने के कारण दियारे इलाके में बाढ़ अपना कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पानी में भींगा अनाज और पशुओं का चारा सड़ने लगा है. बाढ़ में फंसे लोगों को गांव से बाहर निकलने के लिए प्रशासन नौका भी नहीं दे रहा है. बाढ़ में फंसे बक्सर कोइलवर तटबंध से उत्तर जवहीं पंचायत का महाजी डेरा गांव को बाढ़ अपने आगोश में ले ली है. बाढ़ की चपेट में आया महाजी डेरा गांव चारों तरफ से पानी से घिर चुका है. वहीं बाढ़ का पानी बस्ती में चारों तरफ से भर जाने से आने-जाने वाले सभी रास्ते बंद हो चुके हैं. लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं. सोमवार से घरों में फंसे हैं लोग : सोमवार की रात ही अचानक गंगा के जलस्तर बढ़ने के कारण महाजी डेरा गांव में पानी घुस गया. उसी दिन से लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं. शुक्रवार की शाम तक बाढ़ का पानी यथावत बना हुआ है. बस्ती में बाढ़ का पानी करीब 5 से 6 फीट तक भर चुका है. बस्ती के बहुत लोग अपना-अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं. वहीं मवेशी को लेकर बहुत सारे लोग बांध पर शरण लिए हुए हैं. लोगों को सता रहा डर: महाजी डेरा के अक्ष्यवर चौधरी, श्रीनिवास शाहनी, सुरेंद्र यादव, अखिलेश यादव का कहना है कि गंगा के रौद्र रूप को देखकर हम लोग सहमे हुए हैं. बाढ़ आने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. अपना -अपना घर छोड़कर हम लोग भाग रहे हैं. इस दौरान हमलोग बांध पर शरण ले रखे हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ आने से आदमी से लेकर जानवर तक सब परेशान हैं. बाढ़ आने से जानवरों के खाने के लिए चारा नहीं मिल रहा है. पशुओं को चारा भी नसीब नहीं : सारा चारा बाढ़ के पानी में डूब कर बर्बाद हो गया है. भूसा भी बाढ़ के पानी में भींगने के कारण सड़ गया है. विश्वामित्र यादव, धर्मेंद्र यादव , सिपाही जायसवाल का कहना है कि सारी फसल पानी में डूब कर बर्बाद हो गयी है. सबसे ज्यादा कष्ट तो जानवरों को हो रहा है. जानवरों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा है. बांध पर पेड़ पौधे के पत्ते एवं घास खाकर जानवर गुजर कर रहे हैं. प्रशासन से मदद नहीं मिल रही : प्रभावितों का कहना है कि हम लोग किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. बुरे हाल में हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी है. बीमार होने पर दवा तक नहीं मिल रही है. जानवरों को भी बीमार होने पर दवा नहीं मिल रही है. पानी भरने से नहीं बन पा रहा है खाना : उन लोगों ने बताया कि घर में सब जगह पानी भरने की वजह से खाना भी नहीं बन रहा है. बाढ़ आने से जनजीवन प्रभावित हो गया है. सबसे ज्यादा डर महामारी फैलने का सता रहा है. पानी खत्म होने के बाद महामारी फैलने से लोग परेशान हो जाएंगे. घरों में रहना हुआ मुश्किल: महाजी डेरा के लोगों ने बताया कि बाढ़ का पानी आने से विषैले जीव जंतु भी घर में प्रवेश कर रहे हैं. बाढ़ के पानी के साथ सांप, बिच्छू, गोजर, मेंढक, जोंक आदि विषैले जीव जंतु पानी के साथ बहकर घरों में प्रवेश कर रहे हैं. पानी के साथ मरे हुए जानवर भी बहकर घर में आ जाते हैं. जिसके दुर्गंध से जीना मुश्किल हो गया है. रात के अंधेरे में काफी डर लगता है. महाजी डेरा को अभी तक नहीं मिली नौका: ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि पूरी तरह से निष्क्रिय हैं. प्रशासन की तरफ से बोला गया था कि चार नौका दी जाएंगी. लेकिन अभी तक नौकाएं नहीं मिलीं. यहां के लोग जान हथेली पर रखकर अपने-अपने घर आ जा रहे हैं. इस बाबत कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. क्योंकि पानी की गहराई डूबने से अधिक बस्ती में लगी है. इस दौरान सीओ संगीता कुमारी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन फोन रिसीव नहीं करने की वजह से उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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