16.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

‘गाइड’ फिल्म का मोहक सौंदर्य

Advertisement

‘आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है’ महज एक गाना नहीं, बल्कि इस फिल्म का सूत्र वाक्य है, जो स्त्री मन के अनेक भावों को अभिव्यक्त करता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

देवानंद की जन्मशती(1923-2011) के अवसर पर उनकी कुछ फिल्मों का सिनेमाघरों में फिर से प्रदर्शन हुआ. उनकी फिल्मोग्राफी में विजय आनंद निर्देशित ‘गाइड’ (1965) का स्थान सबसे ऊपर है, जो मशहूर लेखक आर के नारायण के इसी नाम से लिखे उपन्यास पर आधारित है. राजू (देवानंद)और रोजी (वहीदा रहमान) के बीच प्रेम संबंध को यह फिल्म जिस अंदाज और फलसफे से प्रस्तुत करती है, वह इसे क्लासिक बनाता है. देवदासी नर्तकी परिवार से आने वाली रोजी एक शादी-शुदा स्त्री है, जिसका आर्कियोलॉजिस्ट पति (किशोर साहू) अपने काम में इस कदर खोया है कि उसे अपनी पत्नी की सुध नहीं है. रोजी के घुंघरू उसे पुकारते हैं, पर संबंधों की बेड़ी उसे रोके हुए है. राजू के संग पनपते प्रेम से उसे एक नयी पहचान मिलती है. क्या वह एक सफल नर्तकी की पहचान, स्वतंत्रता,धन-दौलत से खुश है? राजू के व्यक्तित्व के भी कई आयाम हैं. ‘तीसरी कसम’ (1966)के हीरामन की तरह उसका प्रेम निश्छल नहीं है. न ही वह रोजी से ‘हीराबाई’ की तरह बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करता है.

- Advertisement -

प्रेम के स्वरूप का यह द्वैत क्या महज शहरी और ग्रामीण परिवेश से संचालित है? या यह हिंदी के रचनाकार फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ और अंग्रेजी के आर के नारायण के यथार्थबोध का फर्क है? राजू एक तरफ रोजी (नलिनी) को बुलंदियों को छूते हुए देखना चाहता है, दूसरी तरफ उसे मुक्त भी नहीं करता. भौतिक सुख-सुविधा दोनों के बीच संबंधों में एक दूरी पैदा करते हैं. राजू हीरो है या एंटी हीरो? किसी भी क्लासिक फिल्म की तरह ‘गाइड’ की भी समकालीन संदर्भों में कई तरह से व्याख्या की जा सकती है. ‘आत्म’ की तलाश में भटकता, ‘आस्था’ और खुद से संघर्ष करता हुआ जिस रूप में सामने आता है वह एक आधुनिक मनुष्य का द्वंद है.यदि प्रेम लोकमंगल के भाव को समेटे हुए नहीं है, तो फिर उसका क्या अर्थ? राजू का फलसफा कि ‘न दुख है, न सुख है/न दीन न दुनिया/ न इंसान न भगवान/ सिर्फ मैं, मैं, मैं’, आज भी सोचने को उकसाता है.

‘नवकेतन’ (1949) की अन्य फिल्मों की तरह ही यह ‘म्यूजिकल’ है. गाइड का सौंदर्य वहीदा रहमान के इर्द-गिर्द है. भरतनाट्यम में प्रशिक्षित उनका नृत्य जिस तरह फिल्माया गया है, वैसा किसी अन्य फिल्म में दिखाई नहीं देता है. एसडी बर्मन और शैलेंद्र का गीत-संगीत भी किरदारों के मनोभावों को खूबसूरती से बयां करते हैं. ‘आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है’ महज एक गाना नहीं, बल्कि इस फिल्म का सूत्र वाक्य है, जो स्त्री मन के अनेक भावों को अभिव्यक्त करता है. ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ की रागात्मकता, संगीतात्मकता और शास्त्रीयता का शब्दों में बखान मुश्किल है. फिल्म को कई पुरस्कार मिले,लेकिन देवानंद ने अपनी आत्मकथा में लिखा है: ‘व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह था कि मैंने इस बोल्ड विषय को लेकर दांव लगाया और मुझे सराहना मिली.’ हिंदी फिल्मों में स्त्री के विविध रूप दिखायी देने लगे हैं, पर 60 के दशक में ‘गाइड’ को पर्दे पर उतारना एक क्रांतिकारी कदम था.

Also Read: Jawan OTT Release: थाम लीजिए दिल, इस ओटीटी पर रिलीज हो रही शाहरुख खान की फिल्म, घर बैठे कर सकेंगे एंजॉय

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें