Warning: Undefined variable $categories in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Warning: Trying to access array offset on value of type null in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Warning: Attempt to read property "slug" on null in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 298

Deprecated: addslashes(): Passing null to parameter #1 ($string) of type string is deprecated in /var/www/pkwp-live.astconsulting.in/wp-content/themes/Newspaper-child/functions.php on line 343
37.6 C
Ranchi
Sunday, April 20, 2025 | 07:18 pm

BREAKING NEWS

अरविंद दास

वरिष्ठ पत्रकार

Browse Articles By the Author

सिनेमा को सामाजिक बदलाव का बड़ा माध्यम मानते थे श्याम बेनेगल

Shyam Benegal : प्रतिष्ठित कान फिल्म समारोह में उनकी फिल्म ‘मंथन’ (1976) को क्लासिक खंड में दिखाया गया. बाद में जब देश के चुनिंदा सिनेमा घरों में बड़े पर्दे पर फिर से इसे रिलीज किया गया, तब दर्शकों का उत्साह देखते बना.

राम कुमार मल्लिक : ध्रुपद व विद्यापति के गायक का मौन होना

राम कुमार मल्लिक को पिछले महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया था. वे दरभंगा घराने की 12वीं पीढ़ी के गायक थे.

कुमार शहानी : एक अवांगार्द फिल्मकार का जाना

अवांगार्द फिल्मकार और कला विचारक के रूप में कुमार शहानी (1940-2024) की दुनियाभर में एक विशिष्ट पहचान थी. वे हिंदी समांतर सिनेमा के पुरोधा थे.

मणि कौल की ‘दुविधा’

‘दुविधा’ के केंद्र में एक नवविवाहिता स्त्री है, जिसका पति शादी के दूसरे दिन ही घर छोड़ कर ‘दिसावर’ (व्यापार के लिए) निकल जाता है. इस बीच एक भूत पति का रूप धर घर वापस आता है और उस स्त्री के संग रहने लगता है.

श्याम बेनेगल के ‘मुजीब’

यह फिल्म उनके जीवनवृत्त को संपूर्णता में भले समेटती है, लेकिन यहां उनके व्यक्तित्व की आलोचना का अभाव दिखायी देता है.

वहीदा रहमानः सिनेमा के सौंदर्य का सम्मान

वैसे तो अपने फिल्मी करियर में उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्में देवानंद के साथ कीं, जिनकी जन्मशती मनाई जा रही है, पर शुरुआत दौर की फिल्मों की सफलता का श्रेय वे फिल्म निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त को देती हैं.

संकट की अधूरी तस्वीर

टीवी समाचार उद्योग की कार्यशैली पर भी यह डॉक्यूमेंट्री एक तीखी टिप्पणी है. सत्ता चाहे राजनीतिक हो या धर्म की, कभी सवालों को पसंद नहीं करती. लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडियाकर्मी जनता के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता से सवाल करते हैं.

‘गाइड’ फिल्म का मोहक सौंदर्य

‘आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है’ महज एक गाना नहीं, बल्कि इस फिल्म का सूत्र वाक्य है, जो स्त्री मन के अनेक भावों को अभिव्यक्त करता है.

जब बंद हो गये थे आकाशवाणी पर फिल्मी गाने

अक्तूबर 1952 में जब बीवी केसकर देश के नये सूचना और प्रसारण मंत्री बने, तब उन्होंने ऐलान किया कि ‘ये गाने दिनों-दिन अश्लील होते जा रहे हैं और पाश्चात्य देशों की धुनों का कॉकटेल हैं.’
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels