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Saturday, April 19, 2025 | 11:21 am

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पंकज चतुर्वेदी

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जलवायु परिवर्तन से भारत में बढ़ते तूफान के हमले

Climate change : इस साल हमारे देश में चक्रवात की शुरुआत गर्मी में ही हो गयी थी. मई में आये चक्रवात रेमल साल का सबसे भयावह बवंडर था, जिसकी गति 110 किलोमीटर प्रति घंटा थी. फिर अगस्त-सितंबर में बंगाल की खाड़ी में आसना ने कोहराम मचाया था.

देश की प्रगति में रोड़ा बनता मधुमेह

Diabetes: मधुमेह वैसे तो खुद एक रोग है, पर इससे मरीजों की जेब भी खोखली हो रही है और मानव संसाधन की कार्य क्षमता पर विपरीत असर पड़ रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लोगों ने एक साल में डायबिटीज या उससे उपजी बीमारियों पर सवा दो लाख करोड़ रुपये खर्च किये, जो हमारे सालाना बजट का 10 फीसदी है.

मौसम पूर्वानुमान में अल नीनो की भूमिका

दक्षिण अमेरिका से भारत तक के मौसम में बदलाव के सबसे बड़े कारण अल नीनो और ला नीना प्रभाव ही होते हैं. अल नीनो का संबंध भारत व ऑस्ट्रेलिया में गर्मी और सूखे से है, वहीं ला नीना अच्छे मानसून का वाहक है और इसे भारत के लिए वरदान कहा जा सकता है.

गर्मी के बढ़ते दिन और बढ़ती परेशानियां

गर्मी ने न हिमाचल प्रदेश की सुरम्य वादियों को बख्शा, न उत्तराखंड के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को. गंगा-यमुना के मैदानी इलाकों में लू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है,

खतरनाक है खेतों से पेड़ों का उजड़ना

साल 2010-11 में दर्ज किये गये पेड़ों में से करीब 11 फीसदी बड़े छायादार पेड़ 2018 तक गायब हो चुके थे. बहुत जगहों पर तो खेतों में मौजूद आधे पेड़ गायब हो चुके हैं.

खतरनाक है खेतों से पेड़ों का उजड़ना

खेत तो कम होंगे ही, लेकिन पेड़ों का कम होना मानवीय अस्तित्व पर बड़े संकट का आमंत्रण है. आज समय की मांग है कि खेतों के आसपास सामुदायिक वानिकी को विकसित किया जाए, जिससे जमीन की उर्वरा, धरती की कोख का पानी और हरियाली का साया बना रहे.

पारंपरिक जल स्रोतों को ठीक से सहेजना होगा

प्रकृति से जुड़ी जितनी भी समस्या है उनका निदान न वर्तमान के पास है न भविष्य के. इसके लिए हमें अतीत की ही शरण में जाना होगा.

जानलेवा लू का बढ़ता देशव्यापी प्रकोप

लैंसेट काउंट डाउन की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2000-2004 और 2017-2021 के बीच भीषण गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या में 55 प्रतिशत का उछाल आया है. बढ़ते तापमान से स्वास्थ्य प्रणाली पर हानिकारक असर हो रहा है.

कच्चातिवु समझौते की शर्तों पर जोर दिया जाए

भारत एवं श्रीलंका के बीच अच्छे संबंधों की सलामती के लिए कच्चातिवु द्वीप और मछुआरों का विवाद बड़ी चुनौती हैं.
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