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पुतिन और तानाशाह किम जोंग-उन करेंगे मुलाकात, जानिये क्यों दुनिया को सता रहा है डर

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किम जोंग जल्द ही रूस जाकर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं, व्हाइट हाउस की तरफ से भी इस बात की संभावना जताई गई है कि हथियारों को लेकर रूस और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत चल रही है. जल्द ही किम और पुतिन मुलाकात कर सकते हैं.

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अमेरिका का जितना बड़ा दुश्मन रूस है, उतना ही बड़ा दुश्मन है उत्तर कोरिया. दोनों देश अमेरिका की आंखों की किरकिरी हैं. ऐसे में अगर दोनों देश मुलाकात करें तो अमेरिका समेत कई देशों के लिए बड़ी चिंता की बात है. दरअसल, एक बार फिर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुलाकात करने वाले हैं. बताया जा रहा है कि जल्द ही किम जोंग मुलाकात के लिए रूस जाने वाले हैं. गौरतलब है कि 2019 के बाद यह पहला मौका है जब दोनों देश के शासक मुलाकात करेंगे. हालांकि, दोनों की मुलाकात कहां होगी इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है.    

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बढ़ रही है रूस और उत्तर कोरिया के बीच निकटता
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक किम जोंग जल्द ही रूस जाकर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं, व्हाइट हाउस की तरफ से भी इस बात की संभावना जताई गई है कि हथियारों को लेकर रूस और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत चल रही है. जल्द ही किम और पुतिन मुलाकात कर सकते हैं. इसी कड़ी में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारी जॉन किर्बी ने 30 अगस्त को ही कहा था कि उत्तर कोरिया और रूस के बीच हथियारों के लेन-देन को लेकर बातचीत जोर पकड़ रही है. दरअसल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी सेना के लिए हथियारों की आपूर्ति चाहते हैं, जिसके लिए वह उत्तर कोरिया से बातचीत कर रहे हैं. दरअसल, पश्चिमी राष्ट्रों की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस और उसके सैन्य आपूर्तिकर्ता वैगनर समूह ने पहले ही हथियारों के लिए कथित रूप से उत्तर कोरिया से संपर्क किया था.

हथियार के बदले तकनीक मांग सकता है उत्तर कोरिया
हथियारों की इस खरीद-फरोख्त और उत्तर कोरिया के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों का यूक्रेन के युद्धक्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. उत्तर कोरिया के साथ हथियारों के कारोबार पर मेरे शोध से यह पता चलता है कि उत्तर कोरिया हथियारों के बदले रूस से तकनीक की मांग कर सकता है. इससे उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रमों को बहुत फायदा होगा और साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से हुए नुकसान की भरपाई कर सकेगा. संयुक्त राष्ट्र उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रमों को सीमित करना चाहता है, जिसके लिए उसने उत्तर कोरिया के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए हैं.

सैन्य रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश
हालिया घटनाक्रम से यह साफ हो जाता है कि उत्तर कोरिया और वैगनर समूह के मालिक येवगेनी प्रिगोझिन के इनकार करने के बावजूद हथियारों के व्यापार संबंध तेजी से प्रगाढ़ हुए हैं. हालांकि प्रिगोझिन की हाल में मौत हो गई थी. अमेरिका ने सितंबर 2022 में दावा किया था कि उत्तर कोरिया, रूस को बड़ी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति कर रहा है. उत्तर कोरिया द्वारा वैगनर समूह को रॉकेट और मिसाइलों की कथित रूप से आपूर्ति किए जाने के दो महीने बाद जनवरी 2023 में किर्बी ने उत्तर कोरिया-रूसी सीमा पर घातक हथियारों से लदी एक ट्रेन की उपग्रह तस्वीर साझा की थी.

अमेरिका ने लगाया था प्रतिबंध
मार्च में अमेरिका के वित्त विभाग ने रूस के लिए दो दर्जन प्रकार के हथियारों और युद्ध सामग्री की खरीद की खातिर उत्तर कोरिया अधिकारियों के साथ काम करने वाले स्लोवाकियाई नागरिक अशोत मकर्तिचेव पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे पता चलता है कि दोनों देशों के बीच संपर्क के कई रास्ते हैं. इसके अलावा वैगनर समूह को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए अमेरिका ने जुलाई में उत्तर कोरिया के हथियार कारोबारी रिम योंग ह्योक पर प्रतिबंध लगा दिया था. 2019 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इसी नाम के एक व्यक्ति को सीरिया में उत्तर कोरियाई हथियार कंपनी कोमिड का पदाधिकारी बताया गया था.

हथियारों के लिए भाई-भाई
रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु का प्योंगयांग दौरा हालांकि दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों के महत्व को रेखांकित करता है. सबसे जरूरी बात, शोइगु को हथियारों की प्रदर्शनी दिखाने का काम खुद उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने किया. इस प्रदर्शनी में अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल और नई तकनीक वाले उन्नत ड्रोन के साथ-साथ अन्य हथियार प्रणालियां भी मौजूद थीं.

प्योंगयांग को तकनीक की भूख
इसमें कोई दो राय नहीं है कि बदलती स्थिति में रूस को यूक्रेन युद्ध में फायदा होगा. वहीं, किम जोंग उन शासन पर लगे ढेर सारे प्रतिबंधों के कारण कमजोर हुई आर्थिक शक्ति को रूस द्वारा उत्तर कोरिया से हथियारों की खरीद करने से मजबूती मिलेगी. इससे उत्तर कोरिया को राजस्व जुटाने में भी मदद मिलेगी. इतना ही नहीं, इससे उत्तर कोरिया के हथियार निर्यात उद्यम को भी बढ़ावा मिल सकता है. उत्तर कोरिया को खाद्य पदार्थों, तेल, उर्वरक और अन्य जरूरी सामान की सख्त जरूरत है. ऊपर उल्लेखित स्लोवाकियाई व्यक्ति रूस को हथियार दिलाने की एवज में उत्तर कोरिया को वाणिज्यिक विमान, कच्चे माल और विभिन्न वस्तुओं की खरीद के लिए कोरियाई अधिकारियों के साथ काम करता था.

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उत्तर कोरिया के संदर्भ में अधिक चिंता की बात यह है कि वह लंबे समय से परमाणु और लंबी दूरी के मिसाइल कार्यक्रम सहित विभिन्न हथियारों के विकास के लिए हथियारों की बिक्री पर निर्भर रहा है. इसे ही ‘प्रसार वित्तपोषण’ करार दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को लागू करने के लिए दुनिया भर में विभिन्न स्तर पर प्रयास किए गए हैं.

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