12.7 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 06:56 am
12.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

पुतिन ने जैसे ही 3 लाख रिजर्व फोर्स भेजने का किया ऐलान, गूगल पर ‘हाथ तोड़ने के तरीके’ सर्च करने लगे रूसी

Advertisement

रूस का एक धड़ा शुरू से ही यूक्रेन पर हमले के पक्ष में नहीं है. वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैनिक जुटाने वाले ऐलान के बाद से ज्यादातर लोग देश से बाहर जा रहे हैं. वहीं, कुछ लोग प्रदर्शन करने पर उतारू हो गए हैं. पूरे रूस में एक प्रकार से अफरा-तफरी मची हुई है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नई दिल्ली : 24 फरवरी 2022 के बाद से अब तक करीब सात महीनों से यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जैसे ही मोर्चे पर तीन लाख रिजर्व फोर्सेज को तैनात करने का ऐलान किया, रूस के लोगों ने गूगल पर घर बैठे हाथ तोड़ने या फिर देश छोड़ने के तरीके सर्च करने लगे. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया है कि यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के लिए तीन लाख रिजर्व सैनिकों को जुटाया जाएगा. पुतिन के मुताबिक, रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों के लोगों की सुरक्षा और उसकी अखंडता के लिए ऐसा करना जरूरी है.

- Advertisement -

मोर्चे पर भेजे जाने की आशंका से भयभीत हैं लोग

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि बुधवार से लागू होने वाले आदेश के मुताबिक अनिवार्य सैनिक भर्ती केवल रिजर्व जवानों पर लागू नहीं होगी. पुतिन की ओर घोषणा किए जाने के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा कि पिछले सैन्य अनुभव वाले तीन लाख लोगों को अब बुलाया जाएगा. इसके कुछ ही देर बाद गूगल पर ‘घर पर हाथ कैसे तोड़ें’ सर्च किया जाने लगा. माना जा रहा है कि गूगल पर इस प्रकार का सर्च करने वाले लोग संभवत: मोर्चे पर भेजे जाने की आशंका से भयभीत हैं और इससे बचने के उपाय खोज रहे हैं.

विमानों में नहीं मिल रही जगह

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रूस का एक धड़ा शुरू से ही यूक्रेन पर हमले के पक्ष में नहीं है. वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैनिक जुटाने वाले ऐलान के बाद से ज्यादातर लोग देश से बाहर जा रहे हैं. वहीं, कुछ लोग प्रदर्शन करने पर उतारू हो गए हैं. पूरे रूस में एक प्रकार से अफरा-तफरी मची हुई है. बड़ी संख्या में लोगों ने वन वे फ्लाइट के टिकट भी बुक करा लिये हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस में विमानों में लोगों को जगह नहीं मिल पा रही है.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि कथित तौर पश्चिमी परमाणु ब्लैकमेल के जवाब में आंशिक लामबंदी और बहुत सारे रूसी हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ अपने युद्ध में एक बार फिर से तेजी ला दी है. वास्तव में, पुतिन ने बस इतना ही कहा, ‘जब हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा होता है, तो हम रूस और अपने लोगों की रक्षा के लिए हमारे पास उपलब्ध सभी साधनों का उपयोग करेंगे – यह कोई झांसा नहीं है.’ यह नवीनतम वृद्धि 20 सितंबर को यूक्रेन के उन क्षेत्रों में जनमत संग्रह की घोषणा के बाद हुई है, जिनपर वर्तमान में रूस का कब्जा है. यह यूक्रेन में तेजी से बढ़ रही विकट स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए रूसी राष्ट्रपति का ताजा दांव लगता है.

जान-पहचानी रणनीति

यूक्रेन के पूर्व में ‘जनमत संग्रह’ के माध्यम से क्षेत्र पर कब्जा करने की रूस की योजना एक स्थापित प्रथा का अनुसरण करती है, लेकिन यह युद्ध में वृद्धि का एक नया दौर भी बनाती है, जो पिछले सात महीनों में पुतिन के अनुसार नहीं चल रहा है. मार्च 2014 में रूस द्वारा प्रायद्वीप पर कब्जा करने के बाद जल्दबाजी में हुए जनमत संग्रह के आधार पर पुतिन ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और फरवरी 2022 में यूक्रेन में रूसी सेना को भेजने से कुछ दिन पहले उन्होंने डोनेट्स्क और लुहान्स्क गणराज्यों की स्वतंत्रता को मान्यता दी. 2014 से रूस और उसके स्थानीय साथी परदे के पीछे के इन क्षेत्रों में ‘शांति सेना’ की तैनाती कर रहे थे. पुतिन ने मात्र दो दिन बाद ही यूक्रेन के खिलाफ अपने अवैध युद्ध के लिए इन्हीं क्षेत्रों को लॉन्चपैड के रूप में इस्तेमाल किया.

इस आक्रमण के परिणामस्वरूप रूस ने यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. पिछले कई हफ्तों में मास्को ने इनमें से कुछ क्षेत्रों को फिर से खो दिया है, लेकिन अभी भी लगभग 90,000 वर्ग किमी इलाके पर उसका नियंत्रण है, ज्यादातर डोनबास क्षेत्र में और यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व में. क्रेमलिन द्वारा डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और खेरसॉन क्षेत्रों के बड़े हिस्से में तैनात अस्थायी अधिकारियों ने अब मास्को से कहा है कि वह इन क्षेत्रों को रूसी संघ में शामिल करने के लिए जनमत संग्रह कराए. जनमत संग्रह 23 और 27 सितंबर के बीच होने की संभावना है और रूसी संसद से उम्मीद की जाती है कि वह पुतिन के हस्ताक्षर करने के बाद शीघ्र ही किसी भी निर्णय की पुष्टि करेगा. 2014 में क्रीमिया में भी इसी तरह की प्रक्रिया हुई थी.

एक अलग तरह की वृद्धि

2014 में यूक्रेन ने क्रीमिया पर ज्यादा लड़ाई नहीं की और इसके आतंकवाद विरोधी अभियान को जल्दी से रोक दिया गया, क्योंकि रूस ने अपने स्थानीय प्रॉक्सी की मदद के लिए डोनबास में भारी संख्या में सैनिकों और संसाधनों को भेज दिया था. आठ महीने की भारी लड़ाई के बाद फरवरी 2015 में मिन्स्क शांति समझौते की अंतिम किस्त के रूप में इसके दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम सामने आए, जिसके तहत सात साल की असफल वार्ता प्रक्रिया किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. अब इस बात की कोई संभावना नहीं है कि कीव और उसके पश्चिमी साझेदार इस तरह के किसी सौदे को स्वीकार करने जा रहे हैं, जो मॉस्को को फिर से संगठित होने और अपने अगले कदम की योजना बनाने के लिए समय देगा.

Also Read: 10 बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं को 13 लाख रुपए, मिलेगी ये बड़ी उपाधि…रूसी राष्ट्रपति पुतिन का ऐलान

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ समेत यूक्रेनी और पश्चिमी नेता इस बारे में पहले ही बहुत कुछ कह चुके हैं. जनमत संग्रह की घोषणा और वे जो कुछ भी कहते हैं, वह पश्चिम के लिए एक सीधी चुनौती है, नाटो और यूरोपीय संघ में नीति निर्माताओं को एक यूक्रेन का समर्थन जारी रखने के लिए जिसे अब रूस हमलावर ठहरा रहा है. इससे रूस और पश्चिम के बीच सीधे टकराव का खतरा काफी बढ़ जाएगा और एक बार फिर रूस के परमाणु हथियारों का सहारा लेने की आशंका बढ़ जाएगी.

क्या ये पुतिन का आखिरी दांव?

इस सब से सवाल उठता है कि पुतिन कितनी दूर जा सकते हैं और जाएंगे? वह अब तक अपने अधिकांश पत्ते खेल चुके हैं और अभी भी जीत नहीं रहे हैं. पश्चिम के खिलाफ ऊर्जा ब्लैकमेल भी नाटो और यूरोपीय संघ के सदस्यों और उनके सहयोगियों के संयुक्त मोर्चे को तोड़ नहीं पाया है. पुतिन के समर्थक कम हैं और दूर हैं और वे संदिग्ध देश ईरान और सीरिया, उत्तर कोरिया और म्यांमार हैं. चीन रूसी तेल और गैस खरीद सकता है, लेकिन शी जिनपिंग ने अभी तक यूक्रेन पर पुतिन का साथ खुले तौर पर नहीं दिया है और ऐसा करने की संभावना नहीं है. खासकर, अगर कब्जे वाले क्षेत्रों में नियोजित जनमत संग्रह के परिणामस्वरूप युद्ध में और वृद्धि हुई तो… इन सबसे ऊपर, पुतिन यूक्रेन में जमीन पर नहीं जीत रहे हैं. दांव लगाने का उनका नवीनतम हताश प्रयास इसका अभी तक का सबसे स्पष्ट संकेत है, लेकिन यह भी एक संकेत है कि इससे पहले से ही भयावह स्थिति कितनी अधिक खतरनाक हो सकती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें