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कनाडा में रिपुदमन सिंह मलिक की गोली मारकर हत्या, कनिष्क बम विस्फोट मामले में 20 साल तक काटी थी जेल की सजा

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वैंकूवर के हवाई अड्डे पर एक विमान में सूटकेस में बम ले जाया गया था, जिसे फिर टोरंटो में एअर इंडिया विमान-182 में पहुंचाया गया. विमान 23 जून, 1985 को आयरलैंड तट पर अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 24 भारतीयों सहित 329 लोग मारे गए थे.

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टोरंटो : एअर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट मामले में करीब 20 साल तक जेल की सजा काट चुके तथाकथित तौर पर खालिस्तानी चरमपंथी रिपुदमन सिंह मलिक की कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई है. कनाडा की पुलिस का कहना है कि वह अब भी हमले के पीछे के कारण का पता लगाने की कोशिश में जुटी है. अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी में मारे गए रिपुदमन सिंह मलिक और अजैब सिंह बागरी को एअर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट मामले में मार्च 2005 में अदालत ने बरी कर दिया था.

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23 जून 1985 को एयर इंडिया के विमान में किया गया था धमाका

बता दें कि वैंकूवर के हवाई अड्डे पर एक विमान में सूटकेस में बम ले जाया गया था, जिसे फिर टोरंटो में एअर इंडिया विमान-182 में पहुंचाया गया. विमान 23 जून, 1985 को आयरलैंड तट पर अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 24 भारतीयों सहित 329 लोग मारे गए थे. एक अन्य बम को भी एअर इंडिया के जापान जाने वाले विमान में लगाए जाने का षड्यंत्र रचा गया था, लेकिन वह तोक्यो के नरिता हवई अड्डे पर फट गया था. इसमें दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी.

रिपुदमन की गले में मारी गई गोली

‘सीबीसी’ ने कनाडा के सर्रे के चश्मदीद हवाले से खबर दी है कि उसने तीन गोलियां चलने की आवाज सुनी और फिर मलिक को उनकी लाल टेस्ला कार से बाहर निकाला. मलिक की गर्दन पर गोली लगने का निशान था. अन्य एक चश्मदीद ने बताया कि एक कोरोबारी ने मलिक की पहचान की. वहीं, सर्रे रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने कहा कि एक व्यक्ति को सुबह करीब साढ़े नौ बजे गोलियां मारी गईं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. उन्होंने कहा कि यह टारगेटेड फायरिंग प्रतीत होती है और वह अभी मृतक की नाम जारी नहीं कर रहे हैं. खबर के अनुसार, पुलिस ने बताया कि उन्होंने संदिग्ध वाहन का पता लगा लिया है, जो जलकर खाक हो चुका है.

रिपुदमन के बेटे ने सोशल मीडिया पर दी पिता की मौत की जानकारी

एबीसी की एक खबर के अनुसार, पुलिस ने शुरुआत में मृतक की पहचान उजागर नहीं की थी, लेकिन मलिक के बेटे जसप्रीत मलिक के सोशल मीडिया पर पिता की मौत की जानकारी देने के बाद उन्होंने पहचान उजागर की. खबर के अनुसार, मलिक के बेटे ने फेसबुक पर लिखा, ‘मीडिया उन्हें हमेशा एअर इंडिया बम विस्फोट का एक आरोपी मानेगी. मीडिया और आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) कभी अदालत का फैसला स्वीकार नहीं करेगी. मैं दुआ करता हूं कि आज की इस वारदात का उससे कोई लेना-देना ना हो.

जांच में जुटी है पुलिस

इंटिग्रेटिड होमीसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम ने एक बयान में कहा कि हम मलिक के इतिहास से वाकिफ हैं. हालांकि, हम अब भी हमले का मकसद पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि गोलीबारी लक्षित प्रतीत होती है और आमजन को कोई खतरा नहीं है. सीबीसी की एक खबर के अनुसार, मलिक की मौत की खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है. एक ओर मलिक के दोस्तों का कहना है कि सिख समुदाय ने अपना एक नायक खो दिया. वहीं, ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर उज्ज्वल दोसांझ ने कहा कि वह एक विवादित शख्सियत थे.

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पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी

खबर के अनुसार, उज्ज्वल दोसांझ ने कहा कि एक और पेचीदा तथ्य यह है कि वह हाल में भारत गए थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनकी नीतियों के पक्ष में एक पत्र लिखा था. मुझे लगता है कि इसका समुदाय के भीतर असर पड़ा होगा. सीबीसी की खबर के अनुसार, मलिक पिछले कुछ वर्षों से खालसा स्कूल के अध्यक्ष थे और सर्रे एवं वैंकूवर में दो निजी स्कूल चला रहे थे. वह वैंकूवर स्थित खालसा क्रेडिट यूनियन (केसीयू) के अध्यक्ष भी थे, जिसके 16,000 से अधिक सदस्य हैं.

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बदले की कार्रवाई थी एयर इंडिया बम विस्फोट मामला

एअर इंडिया बम विस्फोट मामले में केवल इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया था और उसने 30 साल जेल में भी बिताए. वह 2016 में रिहा हो गया था. इस हमले के पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि 1984 में स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथियों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई का बदला लेने के उन्होंने यह हमला किया.

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