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राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे: श्रीलंका सरकार

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मुख्य सरकारी सचेतक मंत्री जॉनसन फर्नांडो ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस समस्या का सामना करेगी और राष्ट्रपति के इस्तीफे का कोई कारण नहीं है, क्योंकि उन्हें इस पद के लिए चुना गया था.

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कोलंबो: श्रीलंका की सरकार ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे और वह मौजूदा मुद्दों का सामना करेंगे. सरकार ने आपातकाल लगाने के राजपक्षे के निर्णय का भी बचाव किया, जिसे बाद में हटा लिया गया.

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1 अप्रैल को श्रीलंका में लगा था आपातकाल

राजपक्षे ने देश में आर्थिक संकट को लेकर हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों और अपने इस्तीफे की मांग के चलते एक अप्रैल को देश में आपातकाल लगा दिया था. मुख्य सरकारी सचेतक मंत्री जॉनसन फर्नांडो ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस समस्या का सामना करेगी और राष्ट्रपति के इस्तीफे का कोई कारण नहीं है, क्योंकि उन्हें इस पद के लिए चुना गया था.

राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन में विपक्षी दल का हाथ- सरकार

फर्नांडो ने दावा किया कि देश में हिंसा के पीछे विपक्षी जनता विमुक्ति पेरामुनावास (जेवीपी) पार्टी का हाथ था. फर्नांडो ने कहा कि इस प्रकार की ‘घातक राजनीति’ की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए और लोगों से हिंसा की समाप्ति का आह्वान किया. ‘कोलंबो पेज’ नामक पोर्टल की खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि सरकार इन मुद्दों से निपटने के लिए काम करती रहेगी.

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आपातकाल लागू करने का सरकार ने किया बचाव

सरकार ने आपातकाल लागू करने के राष्ट्रपति के फैसले का भी बचाव किया. सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय और अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर हमले के प्रयास के बाद आपातकाल घोषित किया गया था. इससे पहले, श्रीलंका के वरिष्ठ वामपंथी नेता वासुदेव ननायक्कारा ने कहा कि देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के कारण पैदा हुई राजनीतिक उथल पुथल को मध्यावधि चुनाव कराकर समाप्त किया जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव कराने से पहले कम से कम छह महीने के लिए एक समावेशी सरकार का गठन किया जाना चाहिए.

ऐसी सरकार बने, जिसमें सबका हो प्रतिनिधित्व

‘डेमोक्रेटिक लेफ्ट फ्रंट’ के नेता ननायक्कारा उन 42 सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने सतारूढ़ श्रीलंका पोदुजन पेरामुन (एसएलपीपी) गठबंधन से खुद को अलग करने की घोषणा की है. ननायक्कारा ने कहा, ‘यह सरकार आगे नहीं चल सकती. कम से कम छह महीने के लिए एक ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए, जिसमें सबका प्रतिनिधित्व हो और फिर चुनाव होने चाहिए.’

विदेशी मुद्रा का संकट

हालांकि उन्होंने विपक्षी खेमे से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया. गौरतलब है कि श्रीलंका इस समय सबसे बदतर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गयी है. प्रतिदिन 12 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है.

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