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Pakistan News: गोपनीय संदेश मामले में इमरान खान की न्यायिक हिरासत 13 सितंबर तक बढ़ाई गई

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पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने गोपनीय संदेश के कथित खुलासे से संबंधित मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की न्यायिक हिरासत बुधवार को 13 सितंबर तक बढ़ा दी, जिसके चलते भ्रष्टाचार के एक मामले में एक दिन पहले जमानत मिलने के बावजूद जेल से जल्द रिहाई की उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया

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पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने गोपनीय संदेश के कथित खुलासे से संबंधित मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की न्यायिक हिरासत बुधवार को 13 सितंबर तक बढ़ा दी, जिसके चलते भ्रष्टाचार के एक मामले में एक दिन पहले जमानत मिलने के बावजूद जेल से जल्द रिहाई की उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.

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न्यायाधीश अबुल हसनत जुल्करनैन ने गोपनीय संदेश से संबंधित गुम दस्तावेज के मामले में फैसला सुनाया

सुनवाई करने के लिए पंजाब की अटक जेल पहुंचे न्यायाधीश अबुल हसनत जुल्करनैन ने गोपनीय संदेश से संबंधित गुम दस्तावेज के मामले में फैसला सुनाया. इस दस्तावेज को खान ने पिछले साल अपदस्थ होने से पहले एक राजनीतिक रैली के दौरान लहराया था.

सुनवाई अटक जिला जेल में हुई

गृह मंत्रालय द्वारा व्यक्त की गई सुरक्षा चिंताओं के बीच कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद मामले की सुनवाई अटक जिला जेल में हुई. जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, न्यायाधीश जुल्करनैन ने खान की न्यायिक हिरासत 13 सितंबर तक बढ़ा दी, जिसका मतलब है कि वह अभी जेल में ही रहेंगे.

विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी को भी इसी मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत

सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत दायर मामलों की सुनवाई के लिए हाल ही में स्थापित की गई अदालत ने खान के करीबी सहयोगी और दो बार विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी को भी इसी मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

5 अगस्त से जेल में बंद हैं इमरान खान 

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के उपाध्यक्ष 67 वर्षीय कुरैशी को अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. वह कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश हुए. अधिकारियों ने मंगलवार को मामले की सुनवाई अटक जिला जेल के अंदर करने का फैसला किया, जहां खान (70) भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पांच अगस्त से बंद हैं

इमरान को एक मामले में मिली थी जमानत 

मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने खान की सजा को निलंबित कर दिया था, लेकिन वह रिहा नहीं हो पाए क्योंकि गोपनीय संदेश के खुलासे से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने उन्हें जेल में रखने और सुनवाई के लिए पेश करने का आदेश दिया था.

जेल के अंदर प्रवेश करने और खान से मिलने की अनुमति दे दी गई

खबर में कहा गया है कि वकील सलमान सफदर की अध्यक्षता में खान की पांच सदस्यीय कानूनी टीम ने जेल में अदालत की सुनवाई में भाग लिया. खबर के अनुसार शुरुआत में टीम को प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसे जेल के अंदर प्रवेश करने और खान से मिलने की अनुमति दे दी गई.

केवल तीन वकीलों को पूर्व प्रधानमंत्री का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी गई

खान की पार्टी ने कहा कि सुनवाई के दौरान केवल तीन वकीलों को पूर्व प्रधानमंत्री का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी गई. खान के वकील शेर अफजल मारवत ने याचिका दायर की कि जेल के अंदर सुनवाई करने की कानून एवं न्याय मंत्रालय की 29 अगस्त की अधिसूचना कानून के खिलाफ है क्योंकि यह खुले मुकदमे की भावना का उल्लंघन करती है.

अदालत के न्यायाधीश की नियुक्ति को भी चुनौती

उन्होंने तर्क दिया कि कार्यवाही इस्लामाबाद में न्यायिक परिसर में होनी जानी चाहिए और यदि उद्देश्य कार्यवाही को गुप्त रखना है तो बंद कमरे में सुनवाई होनी चाहिए. खान ने देश के सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत दर्ज अपने मुकदमे के लिए गठित विशेष अदालत में न्यायाधीश के रूप में आतंकवाद रोधी अदालत के न्यायाधीश की नियुक्ति को भी चुनौती दी.

कई लोगों को बनाया गया प्रतिवादी 

खान ने मामले में कानून एवं न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय, संघीय जांच एजेंसी के प्रमुख, इस्लामाबाद के आयुक्त, इस्लामाबाद पुलिस महानिरीक्षक और अदियाला व अटॉक जेल के अधीक्षकों को प्रतिवादी बनाया.

‘पीटीआई’ के प्रवक्ता जुल्फिकार बुखारी ने एक बयान में कहा, “जब इमरान खान ने अपनी दैनिक सुनवाई के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का अनुरोध किया तो इसे ऐसे प्रसारित किया गया जैसे कि वह उनसे बचने की कोशिश कर रहे हों. अब, सुनवाई का आदेश उनके जेल कक्ष से दिया गया है. यह टीवी पर या कम से कम उनके दोस्तों और परिवार की मौजूदगी में लाइव क्यों नहीं किया जा सकता.”

उन्होंने कहा, “दुनिया को यह देखना चाहिए कि क्या इस अवैध सुनवाई में न्याय का कोई तत्व है. पीटीआई को कुचलने और खत्म करने की योजना थी…इसके बजाय संविधान और कानून की बेरहमी से हत्या कर दी गई…” इस महीने की शुरुआत में शुरू किए गए मामले में आरोप लगाया गया था कि खान और अन्य ने गोपनीयता से जुड़े कानूनों का उल्लंघन किया.

पिछले साल मार्च में, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले खान ने इस्लामाबाद में एक सार्वजनिक रैली में अपनी जेब से कागज का एक टुकड़ा निकालकर इसे लहराते हुए दावा किया था कि यह इस बात का सबूत है कि उनकी सरकार को गिराने के लिए एक “अंतरराष्ट्रीय साजिश” रची जा रही है. अविश्वास प्रस्ताव के चलते खान को सत्ता से अपदस्थ होना पड़ा था. हालांकि, 26 अगस्त को जेल में संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की पूछताछ के दौरान, खान ने इस बात से इनकार किया था कि पिछले साल एक जन सभा में उन्होंने जो कागज लहराया था, वह गोपनीय दस्तावेज था. उन्होंने गोपनीय दस्तावेज के गुम होने की बात भी स्वीकार की थी और कहा था कि उन्हें याद नहीं है कि उन्होंने इसे कहां रख दिया.

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