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LAC पर तनाव के बीच चीन के साथ बैठक कर अपने ही घर में बुरी तरह घिरी NCP

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पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ जारी तनाव के बीच नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी चीन के साथ वर्चुअल बैठक करके अपने ही घर में बुरी तरह से घिर गयी है. सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की चीन के साथ इस बैठक की नेपाल के सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दल के नेता कड़ी आलोचना कर रहे हैं. इस बैठक का खुलासा होने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की उनकी ही पार्टी के नेता कड़ी आलोचना कर रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि नेपाल के उप प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरयाल की अगुआई में आयोजित इस बैठक के बारे में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ के अधिकारियों को ही किसी प्रकार की जानकारी नहीं थी.

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काठमांडू : पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ जारी तनाव के बीच नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी चीन के साथ वर्चुअल बैठक करके अपने ही घर में बुरी तरह से घिर गयी है. सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की चीन के साथ इस बैठक की नेपाल के सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दल के नेता कड़ी आलोचना कर रहे हैं. इस बैठक का खुलासा होने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की उनकी ही पार्टी के नेता कड़ी आलोचना कर रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि नेपाल के उप प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरयाल की अगुआई में आयोजित इस बैठक के बारे में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ के अधिकारियों को ही किसी प्रकार की जानकारी नहीं थी.

काठमांडू पोस्‍ट और भारतीय मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, चीन के साथ हुई इस बैठक के खुलासे के बाद अब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (NCP) को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है. एनसीपी के विदेश विभाग के उप प्रमुख सुरेंद्र कार्की ने कहा कि पार्टी के विदेश मामलों के विभाग को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और यह इस तरह की बैठक करने के लिए सही समय नहीं था. भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव चल रहा है, लेकिन हम विवाद में शामिल एक देश के साथ बैठक कर रहे हैं.

कार्की ने आगे कहा कि हमने गुटनिरपेक्षता की नीति और शांतिपूर्ण कूटनीति का पालन किया है, लेकिन इस तरह की गतिविधियां हमारी विश्‍वसनीयता को नुकसान पहुंचाएंगी. बताया जा रहा है कि इस बैठक से कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के ही कई नेताओं ने पल्ला झाड़ लिया है, जिसमें प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनल शामिल हैं. इस बैठक में पार्टी के सह अध्‍यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे.

इस बैठक में दहल ने कहा कि नेपाल कोई भी ऐसी विदेशी सहायता को स्‍वीकार नहीं करेगा, जिसके साथ कोई सैन्‍य या सुरक्षा हित जुड़ा हो या उसका कोई प्रावधान नेपाल के संविधान का उल्‍लंघन करता हो. दरअसल, दहल का इशारा अमेरिका की ओर से दी जा रही 50 करोड़ डॉलर की सहायता की ओर था. कुछ लोगों का आरोप है कि यह सहायता अमेरिका के इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्‍सा है.

मीडिया की खबरों के अनुसार, अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि इस पैसे का उद्देश्‍य सैन्‍य नहीं है. दहल ने चीन के बेल्‍ट एंड रोड कार्यक्रम में नेपाल की हिस्‍सेदारी पर संतुष्टि जतायी, जो शी जिनपिंग का महत्‍वाकांक्षी परियोजना है. उधर, विपक्ष ने भी इस बैठक के समय को लेकर एनसीपी पर निशाना साधा है.

नेपाली कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री उदय समशेर राणा ने कहा कि नेपाल और चीन के मुद्दे पर नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी सरकार को निर्देशित कर रही है, जबकि द्विपक्षीय संबंध दो सरकारों के बीच होना चाहिए. एनसीपी इस तरह से निर्देशित कर रही है जैसे क्‍यूबा और उत्‍तर कोरिया में होता है. एनसीपी के करीबी सूत्रों के अनुसार, बैठक में दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच संबंध, वर्तमान कोरोना वायरस महामारी और मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर मुख्य रूप से बातचीत हुई.

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बैठक में दहल ने तिब्बत और ताइवान के संबंध में ‘एक चीन’ नीति के प्रति नेपाल की प्रतिबद्धता को दोहराया. काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, एनसीपी के एक केंद्रीय सदस्य ने कहा कि वह विचार कर रहे हैं कि चीन-भारत सैन्य तनाव और कालापानी, लिपुलेख आदि को लेकर नेपाल तथा भारत के बीच तनाव के मद्देनजर इस बैठक के लिए क्या यह सही समय था. पूर्व विदेश मंत्री कमल थापा ने कहा कि इस तरह की बैठक आपत्तिजनक है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘आपत्तिजनक, एक नव-औपनिवेशिक प्रथा.’ थापा राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष भी हैं.

Posted By : Vishwat Sen

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