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चीन को आंख दिखा रहा है पाकिस्तान, ग्वादर बंदरगाह को लेकर बढ़ी टेंशन

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Gwadar Port : ग्वादर बंदरगाह की वजह से पाकिस्तान और चीन के बीच तनाव पैदा हो गया है. जानें अमेरिका की इसमें क्या है भूमिका?

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Gwadar Port : ग्वादर बंदरगाह चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती में खटास ला रहा है. पाकिस्तान ने चीन के पैसों से विकसित ग्वादर हवाई अड्डे का उद्घाटन टाल दिया है. ऐसा उसने तीसरी बार किया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्वादर बंदरगाह के स्वामित्व को लेकर भी पाकिस्तान और चीन के बीच टेंशन बढ़ चुकी है. इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का रिएक्शन सामने आया है. उसने कहा है कि ग्वादर पाकिस्तान का है और वह इसे किसी दूसरे देश के हाथों में नहीं देगा.

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पाकिस्तान ने ग्वादर को लेकर दी चीन को टेंशन

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज बलोच ने कहा, ”ग्वादर बंदरगाह एक कमर्शियल बंदरगाह है. इसे चीनी सरकार की मदद से विकसित किया गया है. पाकिस्तान ग्वादर बंदरगाह या कोई अन्य ऐसी जगह किसी भी विदेशी संस्था के हाथ में नहीं देगा.” पाकिस्तान के इस बयान के कई अर्थ निकाले जाने लगे हैं. विदेश मामलों के जानकार पाकिस्तान के इस बयान को चीन को ब्लैकमेल करने की कोशिश की तरह देख रहे हैं. पाकिस्तान ग्वादर को चीन को देकर किसी भी कीमत पर अमेरिका से पंगा नहीं लेना चाहता है.

फंस चुका है पाकिस्तान?

पाकिस्तान बदहाली से खुद में परेशान है. ऐसे में उसे खुद को एक देश के रूप में बचाए रखने के लिए अमेरिका के अलावा चीन का साथ उसे हर हाल में चाहिए. पाकिस्तान खुद को चीन का दोस्त बताता रहा है. वहीं, कर्ज के लिए और खुद को वैश्विक पटल पर बनाए रखने के लिए उसे अमेरिका का भी साथ चाहिए. यही वजह है कि पाकिस्तान सीधे-सीधे ग्वादर को चीन के हाथ में देने से बच रहा है.

ये भी पढ़ें : Explainer: दो धूर्त देशों की दोस्ती पर बलूच भारी? पाकिस्तान में चीन की कई परियोजनाएं खटाई में

चीन के साथ मोलभाव कर रहा पाकिस्तान

पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और चीन के वरिष्ठ सरकारी और सैन्य अधिकारियों के बीच कुछ दिन पहले हाई लेवल मीटिंग हुई. बलूचिस्तान में ग्वादर के रणनीतिक बंदरगाह के भविष्य में यूज करने पर बातचीत तथाकथित ‘चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ के अनुसार की गई. इस्लामाबाद ने कथित तौर पर बीजिंग के सामने बड़ी मांग रख दी. उसकी ओर से कहा गया कि यदि वह ग्वादर में सैन्य अड्डा चाहता है, तो बीजिंग को उसे सेकेंड स्ट्राइक की परमाणु क्षमता से लैस करना होगा.

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