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China vs America: अमेरिकी बेड़े से बढ़ी चीन की बेचैनी, ड्रैगन ने लगाया ये आरोप

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China vs America: चीन पूरे दक्षिण सागर को चीन का हिस्सा मानता है. जबकि, अमेरिका इस दावे को हमेशा ही खारिज करता आया है. अमेरिका का तर्क है कि दक्षिण चीन सागर का अधिकतर इलाका अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र है, जहां कोई भी जा सकता है.

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China vs America: दक्षिण सागर में बढ़ते अमेरिकी दखल से चीन की बेचैनी दिखने लगी है. अमेरिकी नौसेना के 17वें बेडे ने दक्षिण चीन सागर में प्रवेश किया तो चीन की बौखलाहट खुलकर सामने आने लगी. चीन ने अमेरिकी नौसेना के दक्षिण चीन सागर में घुसने का विरोध किया है. गौरतलब है कि, अमेरिकी नौसेना ने बुधवार को दक्षिण चीन सागर में चीन-नियंत्रित द्वीपों के पास एक विध्वंसक पोत भेजा जिसे वाशिंगटन ने रणनीतिक समुद्री मार्ग के माध्यम से नौवहन की स्वतंत्रता को रेखांकित करने वाला गश्ती अभियान कहा.

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विध्वंसक पोत ‘यूएसएस बेनफोल्ड’ ने पैरासेल द्वीप समूह को पार किया और उसके बाद दक्षिण चीन सागर में इसका परिचालन जारी रहा. अमेरिकी नौसेना के 17वें बेड़े ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘अभियान ने समुद्र में अधिकारों, स्वतंत्रता और कानूनी उपयोग को बरकरार रखा.” चीनी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर कर्नल तियान जुनली के हवाले से कहा गया कि क्षेत्र से बेनफोल्ड के गुजरने पर चीन की दक्षिणी थिएटर कमान ने इसकी गतिविधियों पर नजर रखी और इसे वहां से जाने को कहा. मंत्रालय ने कहा, “सैन्य क्षेत्र में हमारे सैनिक दक्षिण चीन सागर में राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा, शांति और स्थिरता की रक्षा के लिए हर समय चौकस रहते हैं.

चीन के दावे को खारिज करता आया है अमेरिका: बता दें, चीन की बढ़ती सामरिक ताकत को लेकर अमेरिका चौकन्ना है. अमेरिका नेविगेशन की स्वतंत्रता का हवाला देकर दक्षिण चीन सागर में अपने बेड़े को भेजते रहता है. वहीं, चीन पूरे दक्षिण सागर को चीन का हिस्सा मानता है. जबकि, अमेरिका इस दावे को हमेशा ही खारिज करता आया है. अमेरिका का तर्क है कि दक्षिण चीन सागर का अधिकतर इलाका अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र है, जहां कोई भी जा सकता है.

अमेरिकी बेड़े से चीन में खलबली: दक्षिण चीन में अमेरिकी बेड़े की इंट्री ने चीन की चिंतित कर दिया है. दरअसल, चीन और ताइवान की दुश्मनी की राह में अमेरिका ताइवान की मदद कर रहा है. चीन अमेरिका को पहले ही चेतावनी दे चुका है कि उसे ताइवान के साथ सैन्य सहयोग बंद कर देना चाहिए. चीन ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिकी क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है. हालांकि अमेरिकी चीन के आरोप को सिरे से खारिज करता आया है.

भाषा इनपुट के साथ

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