24.1 C
Ranchi
Saturday, February 15, 2025 | 12:26 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

चेन्नई की सड़कों से यूरोप तक जयवेल का सफर

Advertisement

प्रेरक : वंचितों की सेवा करने का जुनून मानवी कटोच जयवेल का जन्म चेन्नई की गलियों में ही हुआ. उसके माता-पिता आंध्र के नेल्लोर गांव के किसान थे. वह भारी कर्ज में फंसे थे. उन्होंने अपनी जमीन बेची और काम की आस में शहर आ गये. महीनों तक काम ढूंढ़ने पर भी जब नाकामयाबी ही […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

प्रेरक : वंचितों की सेवा करने का जुनून
मानवी कटोच
जयवेल का जन्म चेन्नई की गलियों में ही हुआ. उसके माता-पिता आंध्र के नेल्लोर गांव के किसान थे. वह भारी कर्ज में फंसे थे. उन्होंने अपनी जमीन बेची और काम की आस में शहर आ गये.
महीनों तक काम ढूंढ़ने पर भी जब नाकामयाबी ही हाथ लगी तो भीख मांगकर गुजारा करना शुरू कर दिया. जयवेल भी बड़ी बहनों और छोटे भाई के साथ भीख मांगने लगे. इसके बावजूद उनके माता-पिता कर्ज चुकाने में असफल रहे. परिवार की बदनसीबी का सिलसिला जारी रहा. जब जयवेल तीन साल के थे, पिता चल बसे. मां को शराब की लत ने जकड़ लिया.
वर्ष 1999 में सुयम चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक उमा और मुथूराम से जयवेल की संयोगवश मुलाकात हुई. उमा ने जयवेल और उनके भाई-बहनों को ‘सिरगू मोंटेसरी‘ में दाखिल करा दिया. यह सुयम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा वंचित बच्चों के लिए चलाया जा रहा स्कूल है.
इसके बाद जयवेल ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. सर्वश्रेष्ठ नंबरों से बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा दी. आज 22 वर्षीय जयवेल तीन साल का ‘परफॉर्मेंस कार एनहांसमेंट टेक्नोलॉजी इंजिनियरिंग’ का कोर्स ग्लिनड्वर यूनिवर्सिटी, व्रेक्सहैम, यूके से पूरा कर चुके हैं. जयवेल कहते हैं- ‘जैसे ही मेरा कोर्स खत्म होगा, सबसे पहले मैं लोन चुकाऊंगा और अपनी मां के लिए एक घर बनाना चाहूंगा . इसके बाद मैं सुयम से जुड़कर अपना जीवन सड़कों में रहने वाले बच्चों को समर्पित कर दूंगा. मैं सब कुछ उनकी ही बदौलत हूं.’
उमा और मुथूराम ने सिर्फ जयवेल की जिंदगी नहीं बदली हैं. गरीबी रेखा से नीचे वाले कम से कम 50 ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें उनके कारण उच्च शिक्षा मिल पायी है और ऐसे 250 भिखारी परिवार हैं जो इनके ट्रस्ट
की वजह से वापस अच्छी दशा में आ गये हैं. दो भाई जो कभी बाल-श्रमिक थे, आज डॉक्टर और इंजीनियर हैं.उमा की यात्रा शुरू हुई ,जब वह महज 12 साल की थीं. उमा की मां एक सरकारी स्कूल की अध्यापिका थी. इस वजह से उमा को झुग्गी के बच्चों से मिलने का मौका मिला. तेज और होशियार बच्ची उमा ने इन बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू कर दिया. मुथूराम और कुछ और दोस्तों ने भी इस नेक काम में मदद की. जब वह 16 साल की हुई, तब तक उन पर दूसरों की मदद करने का जुनून सवार हो चुका था. उमा गरीबों और बुजुर्गों के लिए लगे मोतियाबिंद कैंप, रक्तदान कैंप और भी दूसरे कैंपों में शिरकत लेती रहती थी.
वर्ष 1997 में जब उमा गणित में एमएससी कर रही थी, उन्हें एक पत्रकार दोस्त का फोन आया. उन्हें तिरुनेलवेली के अंबसमुद्रम गांव में रहने वाले 16 वर्षीय बालक महालिंगम के बारे में बताया. महालिंगम एक बहुत ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से था, जहां 12 बच्चों में वह इकलौता लड़का था. अपने परिवार की मदद के लिए उसने 10वीं की परीक्षा के बाद छुट्टियों में एक पीतल के दीये बनाने वाली फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया. एक बार, जब वह गर्म पीतल से भरा कम्प्रेसर साफ कर रहा था किसी ने गलती से उसे चालू कर दिया.
पिघला हुआ पीतल उड़कर महालिंगम के चेहरे पर जा गिरा. जब दर्द से कराहते हुए उसने मुंह खोला तो पिघली धातु उसके मुंहमें चली गयी, जिससे उसकी आहार नली और श्वसन तंत्र झुलस गये. उसे तिरुनेलवेली के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद उसके पेट में तरल खाने के लिए एक आहार नली डालकर घर भेज दिया. उमा तुरंत ही उस लड़के को चेन्नई अपने घर ले आयी. करीबन 100 डॉक्टरों से मदद मांगने के बाद डॉ जेएस राजकुमार ने उसका इलाज मुफ्त में किया. डॉ कुमार चेन्नई के किलपोक स्थित रिजिड हॉस्पिटल्स के चेयरमैन हैं. 13 सर्जरियां हुई और इस पूरे समय में उमा ने महालिंगम का ध्यान रखा. वे रोज अस्पताल जाती थी और महालिंगम को गणित पढ़ाती थी उमा के कारण ही महालिंगम अपनी 12वीं की परीक्षा एंबुलेंस से देने गये और उत्तीर्ण हुए. आज उमा की बदौलत ही महालिंगम अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं और अपनी पत्नी एवं बेटी के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
वर्ष 1998 में जब उमा 22 साल की थी, तब एक पांच वर्षीय लड़के को उसके पिता द्वारा बेचे जाने से बचाया. उस वाकये के बाद उमा को खुद का एक एनजीओ पंजीकृत करवाने की जरूरत महसूस हुई, ताकि वे बाल-श्रम के चंगुल में फंसे बाकी बच्चों को भी बचा सके.
उन्होंने और उनके दोस्तों ने 1999 में ‘सुयम चैरिटेबल ट्रस्ट’ को पंजीकृत कर दिया. मुत्थुराम और उमा एक जैसा ही जुनून रखते हैं और बाद में उन्होंने साथ मिल कर इन बच्चों की मदद करने के लिए शादी कर ली. उनका पहला दल ऐसे बच्चों का था, जिनसे जबरदस्ती भीख मंगवायी जाती थी और गलियों में रखा जाता था. जल्द ही वे जयवेल और धनराज जैसे बच्चों से मिले. 2003 में ट्रस्ट ने इन बच्चों के लिए सिरागु मोंटेसरी स्कूल शुरू किया और कुछ ही समय में नामांकित बच्चों की संख्या 30 से बढ़कर 300 हो गयी.
(इनपुट : द बेटर इंडिया डॉट कॉम )

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें