19.1 C
Ranchi
Saturday, February 15, 2025 | 09:29 pm
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

गंगा को बचाने निकला एक कवि

Advertisement

गंगा जगाओ अभियान : गंगा बचेगी, तभी संस्कृति व संस्कार बचेंगे अजय कुमार गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए आज से गंगा स्वच्छता पखवाड़ा शुरू हो रहा है, जो 31 मार्च तक चलेगा. एक तरफ केंद्र सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन गंगा को बचाने की कोशिश कर रहा है, दूसरी तरफ एक कवि गीत, […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

गंगा जगाओ अभियान : गंगा बचेगी, तभी संस्कृति व संस्कार बचेंगे

अजय कुमार

गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए आज से गंगा स्वच्छता पखवाड़ा शुरू हो रहा है, जो 31 मार्च तक चलेगा. एक तरफ केंद्र सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन गंगा को बचाने की कोशिश कर रहा है, दूसरी तरफ एक कवि गीत, कविता और नाटक के जरिये गंगा की सूरत बदलने की जिद में यात्रा कर रहा है, बिना किसी सरकारी मदद के. पढ़िए एक रिपोर्ट.

निलय उपाध्याय

एक कवि और लेखक गंगा को बचाने निकल पड़ा है. प्रवाहमान गंगा की विनाशलीला को देख कवि ने उसे बचाने की पटकथा लिखनी शुरू की है. ये कवि हैं चर्चित टीवी सीरियल ‘देवों के देव महादेव’ और मुंबई के पृथ्वी थिएटर में चलने वाले व्यंग्य नाटक ‘पॉपकार्न विद परसाई’ के लेखक कवि निलय उपाध्याय. बिहार के पहाड़पुरुष दशरथ मांझी पर उनका उपन्यास ‘पहाड़’ हाल ही में आया है. गंगा तट की यह यात्रा बीते दस महीने से लगातार चल रही है.

हल्दिया से लौटने के क्रम में पटना पहुंचे निलय ने अक्तूबर में अपनी यात्रा बनारस से शुरू की थी. इसके पहले वह चार महीने बनारस में रहे. कहते हैं, गंगा को अब समाज ही बचायेगा. गंगा बचेगी, तभी संस्कृति व संस्कार बचेंगे. वह अब तक करीब 1400 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं. बनारस से बलिया, छपरा, हाजीपुर, फरक्का, साहेबगंज, राजमहल, हल्दिया तक.

गंगा मैली हुई तो लोगों का मन भी गंदा हो गया. इसके नाम पर काम शुरू करो, तो लगता है पैसा मिलेगा. सो, हमने तय किया कि सरकार और एनजीओ से एक पैसा भी नहीं लेंगे. पुणे के एक कॉलेज में बेटी पढ़ा रही है. जब स्क्रिप्ट राइटिंग छोड़ कर गंगा की यात्रा पर निकलने का निश्चय किया तो उसने हर महीने दस हजार रुपये देने का वायदा किया. यह मेरे लिए काफी है. जहां जाता हूं, लोगों के बीच ठहरता हूं. उन्हीं के पैसे से पत्रिका, पंपलेट निकलता है. निलय अपनी गाड़ी (मारुति 800) के साथ यह यात्रा कर रहे हैं. उनके सहयात्री ड्राइवर हैं.

निलय मानते हैं कि संकट यथार्थ का नहीं है, असली संकट अभिव्यक्ति का है. अपनी यात्रा के दौरान ही उन्होंने गंगा पर आठ गीत लिखे. उसे गायिका चंदन तिवारी ने आवाज दी है. गंगा के किनारे, गांवों में और शहरों में आयोजन स्थल पर गंगा गीत के ऑडियो सुनाये जाते हैं. गंगा की हालत के बारे में बताया जाता है. इस तरह लोग जुड़ते जा रहे हैं.

यात्रा के साथ ‘गंगा समय’ नाम से पत्रिका भी निकाली जा रही है. ‘गंगा समय’ के बनारस, बलिया, सारण और भागलपुर खंड छपे. सभी खंड अलग-अलग इलाकों में गंगा की वास्तविक तसवीर बताते हैं. यात्रा के साथ पत्रिका निकालने का यह अनूठा संकल्प है.

निलय मानते हैं तीन-तिकड़म से गंगा नहीं बचेगी. पैसों से यह नहीं बचेगी. उन्होंने गंगा के उद्गम से अंत तक पांच लाख साल पुरानी नदी को चार हिस्से में बांटा है. हरिद्वार से गंगोत्री तक बंधन क्षेत्र, नरौरा से हरिद्वार तक विभाजन क्षेत्र, कन्नौज से बनारस तक प्रदूषण क्षेत्र और बलिया से आगे तक गाद क्षेत्र.

हर क्षेत्र की अपनी दिक्कतें हैं. कहीं बांध बनाये जा रहे हैं, तो कहीं केमिकल बहाये जा रहे हैं. विकास की आपाधापी में बाजार भी इसमें घुस गया है. बिहार को बचाने के लिए वह फरक्का बांध को तोड़ देने के हिमायती हैं. अमेरिका में हर साल बांध तोड़े जा रहे हैं. हमारे यहां बनाये जा रहे हैं.

उन्होंने अपनी मुहिम को गंगा जगाओ अभियान नाम दिया है. गंगा बचाओ क्यों नहीं? निलय कहते हैं, जगाना एक क्रिया है, जो नींद के खिलाफ है. हम मानते हैं कि मनुष्य की दो प्रकृतियां होती हैं. अंदर और बाहर की. गंगा हर मनुष्य के अंदर और बाहर दोनों की प्रकृति है. गंगा के बाहर की प्रकृति बेहद बदहाल है. अंदर की प्रकृति गहरी नींद में है. इसलिए हम गंगा जगाओ कहते हैं.

गीत, नाटक, कविता, लेखन से लोगों को गंगा से जोड़ने-बचाने और उन्हें जगाने का यह नायाब प्रयोग है. पटना में गंगा पर आधारित नाटक का स्क्रिप्ट तैयार कर रहे निलय कहते हैं- कविता संवेदना की भाषा है और गद्य संवाद की. पर नाटक युद्ध की भाषा है. गंगा इतनी लुट चुकी है कि उसे बचाने के लिए नाटक का होना बेहद जरूरी हो गया है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें