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चीन पर है दुनिया की नजर

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विश्लेषण : साल में एक बार होता है एनपीसी और सीपीपीसीसी का आयोजन, तय होती हैं अहम नीतियां जय प्रकाश पांडे चीन के नये साल के शुरुआत और स्प्रिंग फेस्टिवल के बाद एनपीसी और सीपीपीसीसी के सम्मेलन वर्ष में एक बार होते हैं. दस दिन तक चलने वाली चीन की इस संसद पर दुनिया की […]

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विश्लेषण : साल में एक बार होता है एनपीसी और सीपीपीसीसी का आयोजन, तय होती हैं अहम नीतियां
जय प्रकाश पांडे
चीन के नये साल के शुरुआत और स्प्रिंग फेस्टिवल के बाद एनपीसी और सीपीपीसीसी के सम्मेलन वर्ष में एक बार होते हैं. दस दिन तक चलने वाली चीन की इस संसद पर दुनिया की नजर बनी रही. इन सम्मेलनों में ही पिछली नीतियों की समीक्षा और भावी योजनाएं तय की जाती हैं. इस साल के आखिर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19 वीं कांग्रेस होनी है. पढ़िए एक रिपोर्ट.
चीन की राजधानी बीजिंग में मार्च के पहले दो सप्ताह राजनीतिक हलचल तेज रही. यहां की संसद यानी ग्रेट हॉल में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) और चाइनीज पीपुल्स पालिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस (सीपीपीसीसी) में कई अहम फैसले लिये गये. इसमें अर्थव्यवस्था में सुधार और दुनिया के साथ सहभागिता बढ़ाने के लिए उठाये जाने वाले कदम चीन और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं. अमेरिका और यूरोप जहां वैश्वीकरण से पीछे की तरफ हटने की बात कर रहे हैं, वहीं चीन ने खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था को विस्तृत रूप देने पर जोर दिया है. 2020 तक देश को खुशहाल बनाने का चीन का लक्ष्य है.
ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी को दूर किये बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता है. इसके लिए चीन ने जीडीपी दर में बढ़ोतरी के बजाय विकास और रोजगार पर ध्यान देने की योजना बनायी है. पिछले साल चीन की जीडीपी 6.7 फीसदी थी, चालू वर्ष में इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इस साल चीन 1.1 करोड़ लोगों को रोजगार देगा. पढ़ाई में सब्सिडी के लिए विशेष फंड की भी व्यवस्था की गयी है. इसका फायदा शहरों में आने वाले मजदूरों के बच्चों को मिलेगा. दशकों तक आबादी नियंत्रण पर सख्त चीन में पिछले साल दूसरे बच्चे का अधिकार तो मिल गया, मगर अभी उसके लिए सुविधाएं मिलनी बाकी हैं. एनपीसी में दूसरे बच्चे के लिए सब्सिडी सहित अन्य जरूरतों के संबंध में प्रस्ताव पेश किया गया. लोग भविष्य के लिए इसे सकारात्मक रूप से देख रहे हैं.
चीन कृषि में भी आपूर्ति क्षेत्र में सुधार लाने के लिए कदम उठायेगा. इसके तहत बाजार की जरूरत का पता लगाने, आपूर्ति और मांग के संतुलन को बेहतर करने के लिए काम किया जायेगा. इससे कृषि उद्योग की गुणवत्ता सुधरेगी और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. चीन दुनिया का सबसे अधिक स्टील और कोयला उत्पादक और उपभोग करने वाला देश है.
मगर, इस साल चीन ने पांच करोड़ टन स्टील और 15 करोड़ टन कोयले का उत्पादन घटाने का लक्ष्य रखा है. इसके पीछे प्रदूषण पर नियंत्रण के अलावा अधिक उत्पादन पर अंकुश लगाना है. चीन के रक्षा बजट में हुए इजाफे पर जहां दुनिया के कई देशों ने चिंता जतायी है. वहीं, चीन सरकार का दावा है कि पिछले साल की तरह इस साल भी रक्षा बजट में खास बढ़ोतरी नहीं की गयी है. यह 2017 में 10. 44 खरब युआन से अधिक रहेगा, जो गत वर्ष की तुलना में सात फीसदी ज्यादा है. 2016 में चीन ने इसमें 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. चीन की मानें तो पिछले सात साल में उसने इन दो वर्षों में रक्षा बजट सबसे कम बढ़ाया है.
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना भी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के प्रमुख एजेंडे में रहा है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18 वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद प्रांत से ऊपर वाले 120 से अधिक अधिकारियों को सजा दी गयी थी. इस सम्मेलन में भी चीन ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का संकल्प दोहराया है.
वन बेल्ट वन रोड पर भी चीन का विशेष फोकस है. इस मार्ग के देशों के साथ व्यापारिक सहभागिता बढ़ायी जायेगी. पिछले तीन सालों में एक पट्टी एक मार्ग से जुड़े देशों में चीन का पूंजी निवेश 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा है. वह मई में बीजिंग में एक पट्टी एक मार्ग को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग शिखर मंच का आयोजन भी कर रहा है. चीन ने अमेरिका व जापान के साथ भी संबंध बेहतर बनाने का संकेत दिया है.
चीन में एनपीसी को ज्यादा अधिकार हैं. भारतीय व्यवस्था के नजरिये से एनपीसी को लोकसभा और सीपीपीसीसी को राज्यसभा की तरह देख सकते हैं. एनपीसी में लगभग तीन हजार सदस्य हैं, जो पांच साल के लिए चुने जाते हैं. सैद्धांतिक रूप से यह सत्ता की सर्वोच्च संस्था है. इसमें राज्यों, नगरपालिकाओं और सेना से प्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह सरकार और अपनी योजनाओं की समीक्षा करती है. हालांकि एनपीसी की एक स्टैंडिंग कमेटी भी होती है, इसमें 150 के आसपास सदस्य होते हैं, जो कानून बनाने और कानून में सुधार के लिए सक्रिय भागीदारी निभाते हैं. अन्य सदस्य एनपीसी की सालाना बैठक में सक्रिय रहते हैं.
इस साल के आखिर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19 वीं कांग्रेस होनी है. इसमें नये राष्ट्रपति का चुनाव होगा. शी चिनफिंग का दोबारा राष्ट्रपति चुना जाना तय है क्योंकि चीन में राष्ट्रपति को दूसरा कार्यकाल भी मिलता है. शी राष्ट्रपति के साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) के प्रमुख भी हैं. माओ के बाद शी चिनफिंग को सबसे ताकतवर नेता माना जाता है.
दूसरे देशों के आलोचक सीपीपीसीसी और एनपीसी को रबर स्टैंप कहने से गुरेज नहीं करते हैं, असल में सीपीसी(कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना) के पास ही सारी शक्तियां हैं. उसके निर्णय ही अमल में लाये जाते हैं. हमारे देश की तरह चीन की संसद में शोरशराबा या हंगामा नहीं होता है.
चारहार इंस्टिट्यूट के सीनियर फेलो वांग वी कहते हैं कि चीन में हर सभ्यता और संस्कृति को आत्मसात करने की परंपरा रही है. चीन ने बौद्ध धर्म को भारत से अपनाया तो मार्क्सवाद को जर्मनी और यूरोप से. इन दर्शनों को चीन ने अपने अनुरूप ढाल लिया. यही वजह है कि चीन में समाजवाद जिंदा है. पश्चिमी देशों से ज्यादा चीन की डेमोक्रसी का मॉडल सफल रहा है.
(लेखक चीन में वरिष्ठ भारतीय पत्रकार हैं)

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