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13 राज्य, 58 % आबादी पर भाजपा ‘राज’

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शनिवार को आये चुनाव परिणाम ने उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भारी उलटफेर किया. पंजाब में दस साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई और यहां आरोपों से घिरी शिरोमणि अकाली दल की सरकार के प्रति नाराजगी का खामियाजा भाजपा को भी भुगतना पड़ा. उधर, उत्तराखंड में आमने-सामने की लड़ाई में […]

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शनिवार को आये चुनाव परिणाम ने उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भारी उलटफेर किया. पंजाब में दस साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई और यहां आरोपों से घिरी शिरोमणि अकाली दल की सरकार के प्रति नाराजगी का खामियाजा भाजपा को भी भुगतना पड़ा.
उधर, उत्तराखंड में आमने-सामने की लड़ाई में रावत सरकार हार गयी और इस तरह कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गयी. हालांकि, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जरूर उभरी, लेकिन सत्ता की चाबी निर्दलीय और छोटे दलों के हाथों में आ गयी है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की सत्ता में वापसी के साथ ही भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ 13 राज्यों में सत्ता पर काबिज हो गयी है. आबादी के लिहाज कहें, तो देश की करीब 58 फीसदी आबादी पर सीधे या सहयोगी दलों के माध्यम से भाजपा का शासन स्थापित हो गया है. वहीं, कांग्रेस लगातार सीमटती जा रही है.
पंजाब
कुल सीट : 117
बहुमत : 59 सीट
कैप्टन को मिला बर्थ-डे गिफ्ट, छट गया ‘बादल’
चंडीगढ़ : पंजाब की सत्ता से दस साल तक दूर रहने के बाद कांग्रेस ने इस बार शानदार वापसी की और 117 सदस्यीय विधानसभा में 77 सीट हासिल की. सूबे में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गंठबंधन सरकार का पटाक्षेप हो गया. वहीं, पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही आप दिल्ली जैसा कोई करिश्मा दोहराने में विफल रही.
सत्ता विरोधी लहर का पुरजोर फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में शिअद-भाजपा गंठबंधन को सत्ता से बेदखल कर दिया.
शनिवार को कैप्टन का बर्थ-डे था और सूबे की जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री बना कर शानदार गिफ्ट दिया है. कांग्रेस ने 77 सीट पर जीत हासिल की, जो दो तिहाई बहुमत से सिर्फ एक सीट कम है. पार्टी ने दूसरी बार ऐसा शानदार प्रदर्शन किया है. इससे पहले 1992 के चुनावों में पार्टी को 87 सीट मिली थी. इसके अलावा कांग्रेस के गुरजीत सिंह अजूला ने अमृतसर लोस उपचुनाव भाजपा के राजिंदर मोहन सिंह चिन्ना को 1,99,189 मतों से हराया.
शिअद की करारी हार को देखते हुए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल रविवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देंगे. अमरिंदर सिंह ने सूबे में अपनी पार्टी की सरकार के गठन के चार सप्ताह के भीतर राज्य से ड्रग की समस्या खत्म करने का वादा किया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट की पहली बैठक मं 100 महत्वपूर्ण फैसले लेंगे.
1. शिरोमणि अकाली दल व भाजपा गंठबंधन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का पूरा लाभ कांग्रेस को मिला.
2. कांग्रेस ने माझा, दोआब व मालवा में समान रूप से अभियान चलाया.
3. कांग्रेस के पास भरोसेमंद चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह का रहा है.
4. पानी को लेकर पंजाब-हरियाणा में विवाद है. कैप्टन ने भरोसा दिलाया कि विवाद खत्म करेंगे .
5. सिद्धू पार्टी के लिए तुरुप का इक्का बने. इससे कांग्रेस को माझा में लाभ मिला.
बड़ी जीत
प्रकाश सिंह बादल (शिअद)
लंबी सीट से 22770 वोट से
कैप्टन अमरिंदर सिंह (कांग्रेस)
पटियाला से 52407 वोट से
सुखबिर सिंह बादल (शिअद)
जलालाबाद से 18500 वोट से
नवजोत सिंह सिद्धू (कांग्रेस)
अमृतसर पूर्व से 42809 वोट से
बिक्रम सिंह मजीठिया (शिअद)
मजिठा से 12884 वोट से
बड़ी हार
गुरप्रीत सिंह घुग्गी (आप)
बाटला से 8215 वोट से
जरनैल िसंह (आप)
लंबी से 45121 वोट से
भगवंत मान (आप)
जलालाबाद से 18500 वोट से
जनरैल सिंह (आप)
लंबी से 21224 वोट से
राजिंदर कौर भट्टल (कांग्रेस)
लहरा सीट से 26815 वोट से
1984 में लोकसभा में दो सीटें मिली थीं
नेशनल कंटेंट सेल. जन संघ से शुरू हो रहे भाजपा के इतिहास का यह स्वर्ण काल है. इस समय केंद्र में बहुमत के साथ-साथ देश के 11 राज्याें में इसकी सरकार है. इन 10 राज्यों में देश की 53.07% आबादी रहती है. इसके अलावा तीन राज्यों में भाजपा गंठबंधन के तहत सरकार में शामिल है. इन तीन राज्यों में देश की 5.25% आबादी रहती है.
कुल मिलाकर 58% आबादी पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी का शासन है. असम में वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 2017 में मणिपुर में भी भाजपा ने बढ़त बनाकर देश के पूर्वोत्तर में अपनी स्थिति मजबूत की है. वर्ष 1951 में जन संघ की स्थापना हुई थी. 1952 के लोकसभा चुनाव में इसे मात्र तीन सीट पर सफलता मिली थी. वर्ष 1977 में गैर कांग्रेसवाद को मजबूत करने के लिए जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हो गया था.
वर्ष 1980 में जनता पार्टी के टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नाम से यह फिर से अस्तित्व में आयी. वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में इसे मात्र दो सीट पर सफलता मिली थी. उस समय यह कयास लगाया जाने लगा था कि इस पार्टी का भारतीय राजनीति में भविष्य नहीं है. लेकिन, 1989 में लोकसभा चुनाव में 85 और 1991 में 120 सीट जीत कर इसने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करायी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को स्पष्ट बहुत दिया.
भाजपा अकेले 53 %
यूपी 16.50%
उत्तराखंड 0.83%
महाराष्ट्र 9.3 %
मध्यप्रदेश 6%
राजस्थान 5.7%
गुजरात 5.0%
झारखंड 2.7%
असम 2.6%
छत्तीसगढ़ 2.0%
हरियाणा 2.1%
कुल 52.83
आंध्र प्रदेश 4.8 %
जम्मू कश्मीर 1.06%
अरुणाचल 0.11 %
कर्नाटक 5.0 %
हिमाचल 0.6%
मेघालय 0.2 %
पुडुचेरी 0.1 %
पंजाब 2.30%
उत्तराखंड
कुल सीट : 70
बहुमत : 36 सीट
भाजपा को तीन चौथाई बहुमत रावत नहीं बचा पाये अपनी सीटें
देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल करते हुए भाजपा ने शनिवार को 69 में से 56 सीटें अपनी झोली में डाल लीं और तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता अपने नाम कर ली. भाजपा की यह सफलता प्रदेश के इतिहास में किसी भी राजनीतिक दल को अब तक मिली सबसे बड़ी कामयाबी है.
प्रदेश में कुल 70 विस सीटों में से एक लोहाघाट सीट पर आठ इवीएम खराब होने कारण मतगणना पूरी नहीं हो सकी और उसका नतीजा नहीं आ सका. मतगणना का काम रुकने से पहले लोहाघाट से भाजपा प्रत्याशी पूरन सिंह फर्त्याल कांग्रेस के प्रत्याशी से करीब 450 मतों से आगे चल रहे थे.
प्रदेश में चली मोदी लहर में सत्ताधारी कांग्रेस के बड़े-बड़े किले ढह गये और मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित कई मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा. प्रदेश में कांग्रेस महज 11 सीटों तक सिमट गयी. पिछले तीन चुनावों में प्रदेश के मैदानी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करनेवाली बसपा इस बार अपना खाता भी नहीं खोल सकी. हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट रानीखेत सीट से कांग्रेस के करन सिंह माहरा से 4981 मतों से हार गये. वहीं, रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों सीटों से हार गये.
चुनाव 2012 विस 2014 लोस 2017 विस
सीट वोट% सीट वोट% सीट वोट%
कांग्रेस 32 33.79 00 34.40 11 33.5
भाजपा 31 33.13 05 55.93 56 46.5
बसपा 03 12.19 00 04.78 00 7.0
उक्रांद 01 1.93 00 —- 00 0.7
अन्य 03 12.34 00 04.89 02 12.3
बड़ी जीत
यशपाल आर्य (भाजपा)
बाजपुर सीट से 12636 वोट से
सौरभ बहुगुणा (भाजपा)
सितारगंज से 28450 वोट से
इंदिरा हृदेश (कांग्रेस)
हलद्वानी से 6157 वोट से
प्रीतम सिंह (कांग्रेस)
चकराता से 1543 वोट से
रितु खंडूरी (भाजपा)
यमकेश्वर से 8982 वोट से
बड़ी हार
हरिश रावत (कांग्रेस) हरिद्वार 12000,किच्छा 2154 वोट से
अजय भट्ट (भाजपा)
रानीखेत से 4981 वोट से
सुरेंद्र िसंह नेगी (कांग्रेस)
कोटद्वार से 1318 वोट से
किशोर उपाध्याय (कांग्रेस)
सहसपुर से 18863 वोट से
दिनेश अग्रवाल (कांग्रेस)
धरमपुर से 10951 वोट से
मुख्यमंत्री उम्मीदवार
भाजपा की जबरदस्त जीत के बाद अब मुख्यमंत्री को लेकर पार्टी में बहस शुरू हो गयी है. पार्टी में मुख्यमंत्री पद के कई उम्मीदवार हैं, जिसमें बीसी खंडूरी, सतपाल महाराज, भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक का नाम सबसे ऊपर है.
जीत के फैक्टर
1. भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा, जिसका उन्हें जबरदस्त फायदा मिला.
2. भाजपा ने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए पूर्व सीएम विजय बहुगुणा समेत 14 नेताओं को तोड़ कर बड़ा दावं चला था, जो सफल हो गया.
3. मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के बागी नेताओं को मनाने में नाकामयाब रहें. इसको लेकर कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा.
4. प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत बड़े 12 नेताओं का चुनावी अभियान.
5. उत्तराखंड में भाजपा मुख्य रूप से तीन मुद्दे पलायन, आपदा पीड़ितों का पुनर्वास और भ्रष्टाचार को जोर-शोर से उठाये.
जोड़-तोड़ की होगी सरकार
गोवा
कुल सीट : 40
बहुमत : 21 सीट
पणजी : गोवा विधानसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका लगा, जहां कुल 40 में उसे 13 सीटें ही मिली हैं, जबकि 17 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. वहीं, आप का खाता तक नहीं खुल सका.
महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी, गोवा फाॅरवर्ड पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन-तीन सीटें जीती हैं, जबकि एक पर राकांपा जीती है. बहुमत के लिए 21 विधायक चाहिए. मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर को मांद्रे में शिकस्त का सामना करना पड़ा. पार्टी की हार के बाद उन्होंने राज्यपाल मृदुला सिन्हा को इस्तीफा सौंपा. मौजूदा सदन में कांग्रेस के पास सात सीटें थी, लेकिन इसने अपनी सीटों की संख्या बढ़ा कर 17 कर ली है.
कांग्रेस के चार पूर्व सीएम दिगंबर कामत, प्रतापसिंह राणे, रवि नाइक और लुइझो फालेरियो जीते हैं. वहीं, पारसेकर की करारी हार के अलावा भाजपा के छह मंत्री भी हारे हैं. इस चुनाव नतीजे के चलते नव गठित गोवा फारवर्ड पार्टी और एमजीपी जैसी छोटी पार्टियां नई सरकार के गठन में अहम भूमिका निभायेंगी.
कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी
मणिपुर
कुल सीट : 60
बहुमत : 31
त्रिशंकु जनादेश
इंफाल. पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में सत्तारूढ़ कांग्रेस को भाजपा ने कड़ी टक्कर दी है. सूबे में 60 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 28 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. वहीं, भाजपा ने 21 सीटें जीत कर प्रदेश में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज करायी है.
वहीं, सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) कानून के खिलाफ सोलह वर्षों तक भूख हड़तला पर बैठनेवाली इरोम शर्मिला अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में विफल रही. वह खुद थोउबाल सीट से लड़ीं और उन्हें महज 90 वोट मिले. इसके बाद उन्होंने कहा कि अब मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी. इधर, मणिपुर में प्रांतीय कांग्रेस प्रमुख टीएन हाओकिप ने कहा कि उनकी पार्टी समान विचारों वाले और क्षेत्रीय दलों के साथ मिल कर प्रदेश में अगली सरकार बनायेगी.
बड़ी जीत
फ्रांसिस डिसूजा (भाजपा)
मापुसा सीट से 6806 वोट से
प्रवीण जयंते (भाजपा)
मायेम सीट से 4974 वोट से
दिगम्बर कामत (कांग्रेस)
मड़गाम से 4900 वोट से
फ्रांसिस सिलबेरिया (कांग्रेस)
सेंट आंद्रे से 5070 वोट से
दीपक पवास्कर (मगोपा)
सावर्डे सीट से 1169 वोट से
बड़ी हार
लक्ष्मीकांत पारसेकर (भाजपा)
मांद्रे सीट से 7119 वोट से
दयानंद मांद्रेकर (भाजपा)
शियोली से 1441 वोट से
संतोष सावंत (कांग्रेस)
मायेम सीट से 4974 वोट से
राजेंद्र आरलेकर (भाजपा)
परनेम सीट से 6030 वोट से
महादेव नाइक (भाजपा)
शिरोडा सीट से 4270 वोट से
कांग्रेस के गढ़ में भाजपा की सेंध
बड़ी जीत
ओकराम सिंह (कांग्रेस)
थोउबाल से 10400 वोट से
एन बिरेन सिंह (भाजपा)
हीनगंग सीट से 1206 वोट से
सूरज ओकरम (कांग्रेस)
खांगाबोक से 20778 वोट से
बड़ी हार
इरोम शर्मिला (प्रजा)
थोउबाल से महज 90 वोट मिले
लेतंथेम बसंत सिंह (भाजपा)
थौबल सीट से 10,400 वोट से
खुमुजाम रत्नकुमार (कांग्रेस)
म्यांग इंफाल से 2094 वोट से
फैक्टर
1. सीएम ओकराम सिंह के कद का नेता किसी दल में नहीं था.
2. सूबे में कांग्रेस कमजोर हुई है.
3. भाजपा ने इस राज्य में संगठन खड़ा कर बढ़त बनायी है.
4. पीएम के प्रचार की बदौलत भाजपा की दमदार उपस्थिति दर्ज हुई.
5. इरोम शर्मिला अपनी बात लोगों तक पहुंंचाने में नाकाम रही.
विजेताओं को बधाई. मतदाताओं को उनकी पसंद का विकल्प चुनने के लिए बधाई. हारने वाले अपना दिल छोटा न करें. लोकतंत्र में हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि कुछ जीतते हैं, कुछ हारते हैं.
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री
यूपी में भाजपा की विशाल जीत का श्रेय केंद्र सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों, प्रधानमंत्री के नेतृत्व और भाजपा अध्यक्ष की रणनीति को जाता है. जाति, तुष्टीकरण की राजनीति से उपर उठकरवोट पड़े.
योगी आदित्यनाथ,भाजपा
मणिपुर के चुनाव में बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने धन बल की शक्ति का खुला इस्तेमाल किया. यही मेरी हार की वजह है. इसलिए मैंने राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया है, अब कभी कभी नहीं लड़ूंगी इलेक्शन.
इरोम शर्मिला, पीआरजेए, प्रमुख.
चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की जांच पड़ताल की जायेगी. पंजाब में कांग्रेस की जीत और गोवा में पार्टी द्वारा सरकार गठन की संभावना कि इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.
शकील अहमद,कांग्रेस
यह मोदी लहर है. 2014 के लोस चुनाव से शुरू लहर 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जारी है. यह 2019 के बाद भी पूरी गति के साथ आगे बढ़ेगी. हमारी जीत का श्रेय प्रधानमंत्री के नेतृत्व, सरकार की गरीबोन्मुखी नीतियों और अमित शाह की रणनीति की जीत है.
केशव प्रसाद मौर्य,भाजपा अध्यक्ष यूपी
पंजाब में पार्टी की हार हमें स्वीकार है. सभी पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत किया, नतीजे निराशजनक हैं, लेकिन जनता का फैसला सर-माथे पर. जनता के हित में आप का संघर्ष जारी रहेगा.
अरविंद केजरीवाल,मुख्यमंत्री, दिल्ली
भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विजय की नयी ऊंचाइयों को छू कर देश की राजनीतिक कहानी बदल दी है. मोदी के नेतृत्व में यह भ्रष्टाचार मुक्त शासन और गरीब समर्थक नीतियों की जीत है.
राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री
भाजपा की बड़ी जीत देश के लिए खतरनाक संकेत : वाम
वामपंथी पार्टियों ने कहा कि भाजपा की जीत देश के लिए खतरनाक संकेत है, क्योंकि इससे विभाजनकारी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा. भाकपा ने कहा कि भाजपा की जीत संकेत देती है कि देश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को गंभीर खतरा है. यह नतीजा देश की वाम लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष ताकतों को जगानेवाला होना चाहिए, ताकि सांप्रदायिक ताकतों को हराया जा सके.

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