13.1 C
Ranchi
Sunday, February 16, 2025 | 04:04 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

एक आइडिया से बदहाल गांव बना खुशहाल

Advertisement

मिसाल : लापोड़िया गांव के लक्ष्मण अब तक लगा चुके हैं 60 लाख से ज्यादा पेड़ पिछले दिनों एक्सएलआरआइ,जमशेदपुर ने सामाजिक उद्यमिता पर तीन दिनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में देशभर के 100 से ज्यादा सामाजिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में भाग लेने लक्ष्मण सिंह भी आये […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

मिसाल : लापोड़िया गांव के लक्ष्मण अब तक लगा चुके हैं 60 लाख से ज्यादा पेड़
पिछले दिनों एक्सएलआरआइ,जमशेदपुर ने सामाजिक उद्यमिता पर तीन दिनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में देशभर के 100 से ज्यादा सामाजिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में भाग लेने लक्ष्मण सिंह भी आये थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए लगभग 300 एवार्ड मिल चुके हैं. जानिए इस प्रेरक व्यक्तित्व को.
संदीप सावर्ण
जमशेदपुर :जयपुर-अजमेर मार्ग पर स्थित दुदू प्रखंड से करीब 25 किलोमीटर दूर राजस्थान का सूखाग्रस्त गांव. नाम है लापोड़िया. इस गांव में एक अभिनव प्रयोग हुआ, तीन तालाब (देव सागर, अन्न सागर अौर फूल सागर) खोदने का. इन तीन तालाबों ने लापोड़िया गांव की न सिर्फ तकदीर बदल दी, बल्कि गांव के नायक लक्ष्मण सिंह को राष्ट्रपति पुरस्कार भी दिलवा दिया. अन्न सागर नामक तालाब से गांव के खेतों की सिंचाई हुई, देव सागर तालाब का इस्तेमाल पीने के पानी व फूल सागर से ग्राउंड वाटर के लेवल को ठीक किया गया. Âबाकी पेज 19 पर
एक आइडिया से बदहाल…
एक छोटे से गांव से निकल कर यह कारवां राजस्थान के पांच जिलों (जयपुर, टोंक, पाली, भीलवाड़ा अौर बाड़मेर) में फैल गया है. करीब 60 लाख पेड़ लगाये गये, वहीं 58 गांवों में हजारों तालाब खोदे गये. इसका असर यह हुआ कि अब राजस्थान के उक्त पांच जिलों का तापमान अन्य जिलों से करीब 1 से 1.5 डिग्री तक कम रहता है. इस काम को एक टीम ने पूरा किया है अौर टीम का नाम है ग्राम विकास नवयुवक मंडल. टीम के नायक हैं लक्ष्मण सिंह.
कैसे आया आइडिया : 1977 में अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान लक्ष्मण सिंह गरमी की छुट्टी बिताने के लिए जयपुर शहर से अपने गांव लापोड़िया आये. उस वक्त गांव में अकाल पड़ा हुआ था. लोग पानी के लिए तरसते दिखे. पीने के पानी के लिए लोगों को कई किलोमीटर तक भटकना पड़ता था. इसके बाद उन्होंने गांव के युवाअों की एक टीम तैयार की. नाम दिया गया ग्राम विकास नवयुवक मंडल. अपने एक-दो मित्रों का सहयोग लेकर गांव के पुराने तालाब की मरम्मत का काम शुरू किया. इस कार्य में दो-चार मित्रों को छोड़ किसी ने साथ नहीं दिया. इस वजह से काम बीच में ही छोड़ देना पड़ा. कुछ वर्ष के बाद लक्ष्मण सिंह फिर वापस गांव आये अौर अपनी पुरानी टीम के साथ संकल्प लिया कि चाहे कितनी भी बाधा क्यों न आये, हर हाल में तालाब निर्माण का काम पूरा किया जायेगा. हालांकि इसका दूसरे लोगों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, लेकिन लक्ष्मण सिंह शुरुआती दिनों में अकेले ही काम करते रहे. धीरे-धीरे गांव के युवा, बुजुर्ग, महिलाएं अौर बच्चे भी इससे जुड़ते गये अौर देवसागर तालाब तैयार हो गया. इसके बाद सभी ने संकल्प लिया कि समय-समय पर इसकी मरम्मत की जायेगी. इस तालाब का इस्तेमाल पीने के पानी के लिए किया गया. इसके बाद लोगों ने गांव के ही अन्न सागर अौर फूल सागर तालाब की मरम्मत की अौर तय किया कि इस तालाब का इस्तेमाल सिंचाई अौर ग्राउंड वाटर ठीक करने के लिए किया जायेगा.
खेतों में पानी का प्रबंध करने, खेतों में पानी को रोकने और इसमें घास, झाड़ियां, पेड़-पौधे पनपाने के लिए चौका विधि का नया प्रयोग किया. चौका विधि के तहत खेतों की मेड़ धरती से नौ इंच बढ़ा दी गयी, जिससे खेत में हमेशा पानी भरा रहता अौर इससे धरती में नमी रहती. इस विधि से भूमि में पानी रुका और खेतों की प्यास बुझी. इसके बाद भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए विलायती बबूल हटाने का भी अभियान चला. इसका असर यह हुआ कि अब बंजर भूमि में घास उगने लगी अौर यहां पशु चरते हैं. चारा का इंतजाम होने से गोपालन को बढ़ावा मिला. करीब 2000 की जनसंख्या वाले इस गांव में हर दिन करीब 1600 लीटर दूध का उत्पादन होता है.
बकरी की मेगड़ी से लहलहा रहे हैं पौधे : लक्ष्मण सिंह ने कहा कि जब खेतों में घास उग आती है तो उसे खाने के लिए बकरी को छोड़ा जाता है. बकरी खेत में ही मेगड़ी करती है. यह काफी उपजाऊ होता है. जिस जगह पर वह मेगड़ी करती है वहां बीज डाला जाता है जिससे खेती लहलहाने लगती है. जीरो कॉस्ट में बंपर उपज होती है. लक्ष्मण सिंह ने कहा कि वन विभाग पौधरोपण करता है. वह पौधा उपजाता कहीं अौर है अौर बाद में किसी दूसरे जगह पर रोपा जाता है, जिससे उसका ग्रोथ प्राकृतिक रूप से उपजाये गये पौधे से कम होता है. उन्होंने कहा कि लापोड़िया गांव, जो कभी सूखाग्रस्त था, वहां अब इतने पेड़-पौधे हैं कि मानो यह कोई जंगल का गांव हो.
मंत्री ने जेल भेजने की दी थी धमकी : लक्ष्मण सिंह ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि जब काम की शुरुआत की तो धीरे-धीरे लोग हाथों-हाथ लेने लगे. इसके बाद चुनाव आया अौर उसमें एक उम्मीदवार थे बाबूलाल नागड़. कांग्रेस से थे. उन्होंने अपने पक्ष में चुनाव प्रचार करने को कहा, लेकिन मना कर दिया, बाद में वे जीते अौर उन्हें मंत्री भी बनाया गया. मंत्री बनने के बाद उन्होंने मेरे द्वारा लगाये गये पेड़-पौधे पर जांच बिठा दी. प्रचार नहीं किया था, इसे लेकर जेल भेजने की भी धमकी दी, लेकिन इन दिनों वे खुद बलात्कार के आरोप में जेल में हैं.
सम्मान ‌व पुरस्कार : लक्ष्मण सिंह को पर्यावरण संरक्षण के लिए अब तक करीब 300 अवार्ड मिल चुके हैं. वर्ष 2007 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला है. उन्हें वर्ष 1992 में नेशनल यूथ अवार्ड, इंदिरा प्रियदर्शनी अवार्ड, राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार समेत कई अन्य पुरस्कार मिले हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें